अनूपपुर। दिल्ली सरकार का अनुकरण करते हुए भारत सरकार कोयला मजदूरों की कोराना से मृत्यु पर उनके परिजनों को एक करोड़ रुपया देने इंडियन माइंस वर्कर फेडरेशन के उपाध्यक्ष,एसईसीएल एटक महामंत्री एवं एटक मध्य प्रदेश अध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह ने भारत सरकार के कोयला मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है।
कामरेड हरिद्वार सिंह ने गुरूवार को कोयला मंत्री को लिखे पत्र में कहा हैं कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 से मरने वालों को एक करोड़ रुपया देने का अपने कैबिनेट निर्णय के फैसले का स्वागत करते हैं साथ में भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि कोयला मजदूर 8 घंटे पल्ली में 24 घंटे काम करता है। मजदूर कोयला ना निकाले तो देश अंधेरे में डूब जाएगा। यहां तक कि कोविड अस्पतालों में वेंटिलेटर ऑक्सीजन जितनी प्रकार की मशीनें संचालित हैं सब बिजली आधारित है यह जानते हुए भी कि मजदूरों का कोयला उद्योग में काम करना उनके जान के लिए खतरनाक है जैसे सीमा पर जवान मुस्तैद खड़ा रहता है मालूम नहीं कि दुश्मन कब हमला करेगा। इसी तरह से कोयला मजदूर जान हथेली पर लेकर काम करता है उसे भी नहीं मालूम कि कब उसकी जान चली जाएगी।
उन्होंने कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो सकता है खदान के भीतर आमतौर ऑक्सीजन की कमी रहती है। कब उसकी जान चली जायें और परिवार अनाथ हो जायें। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष कोयला मंत्री भारत सरकार ने 15 लाख रुपया मृत परिवार के आश्रित को देने की घोषणा की थी जो बहुत कम है। अस्पतालों में काम करने वाले नर्सेज,डॉक्टर,पैरामेडिकल स्टाफ,सुरक्षाकर्मी एवं अन्य संबंधित लोगों को सैल्यूट करता हूं कि इस महामारी में मानवता की सेवा में दिन रात एक कर रहे हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं। कोयला मजदूर विशेष प्रकार की परिस्थिति में काम करता है। भारत सरकार को हर हाल में एक करोड़ रुपए अनुग्रह राशि देने की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड-19 ने अब तक कोयला उद्योग के सैकड़ों कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जान ले चुका है,एटक की इस अपील को सरकार गंभीरता से लेगी।
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