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शनिवार, 6 अप्रैल 2019

बुजुर्ग नेताओं को आराम देना,उनकी उपेक्षा नहीं-मनोज द्विवेदी

आडवाणी के ब्लाग पर राहुल की भाषाई गिरावट चिंताजनक
अनूपपुर शुक्रवार को पूर्व उप प्रधानमंत्री,भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के ब्लाग पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो भी कहा उसने सभी देश वासियों को हतप्रभ कर दिया। इस चुनाव मे किसी भी दल के लिये भाषाई मर्यादा बनाए रखना बड़ी चुनौती है। राजनीति में अब सामान्य शिष्टाचार भी बचा रहेगा,इस पर लोगों को संदेह है। इससे पूर्व केन्द्रीय मंत्री शत्रुध्न सिन्हा या यशवंत सिन्हा जैसे लोग भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को चुनाव में आराम देने पर उनकी उपेक्षा के आरोप लगाते हुए कांग्रेस के सुर मे सुर मिलाते रहे है। इसे उनकी अतृप्त अति महत्वाकांक्षा से अधिक कुछ नहीं मानने वाले लोगों का कहना  है कि पिछले तीन साल से भाजपा से कुछ अधिक मिलने की उनकी आस टूट गयी तो पार्टी से सांसद रहते हुए भी वक्त बेवक्त ये पार्टी पर,विशेष रुप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर हमलावर होते रहे हैं। सिन्हा जब नीतिगत विषयों पर पार्टी लाईन से बाहर जाकर विपक्ष के सुर मे सुर मिलाते थे,तब से ही उनकी नीयत,मंशा पर सवाल उठते रहे हैं। उक्त विचार भाजपा नेता मनोज द्विवेदी ने शनिवार को पत्रकारों के बीच व्यक्त किया। भाजपा नेता ने कहां राजनीति मे बुजुर्गियत का सम्मान चिंता का विषय रहा है। किसी समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बुजुर्ग सीताराम केसरी के साथ जिस अपमान जनक व्यवहार के साथ उन्हे पद से धक्केमार कर हटाया गया,वह सभी को याद है। कांग्रेस के मोतीलाल वोरा किसे याद है? कांग्रेस ने उन्हे पिछली बार कब,कहां से चुनाव लडाया,यह लोग भूल चुके हैं। बहरहाल शुक्रवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के ब्लाग पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी ने जिस निम्नता का परिचय दिया,उसे दुनिया ने देखा है। भाषाई गिरावट सभी दलों के लिये चिंता का विषय है। यह तो पक्का है कि 75 पार नेताओं को चुनाव मे विराम देने की भाजपा की नीति पर पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने असंतोष जताया है। लेकिन बुजुर्ग नेताओं को आराम देना,उनकी उपेक्षा- उनका अपमान तो बिल्कुल भी नहीं है।
मनोज द्विवेदी ने भाजपा की ऐतिहासिक तस्वीरों को बयां करते हुये कहां कि एक  दुर्लभ तस्वीर है जो उस समय की है जब 6 अप्रैल,1980 को आज के ऐतिहासिक दिन पर इन महान हस्तियों ने मुंबई मे भारतीय जनता पार्टी का गठन किया था। तस्वीर में देखें कि उस वक्त के कद्दावर संस्थापक नेताओं कुशाभाऊ ठाकरे, भैरोंसिंह शेखावत,सुंदरलाल पटवा,मदन लालखुराना,लालकृष्ण आडवाणी,विजयराजे सिंधिया राजमाता और प्रथम भाजपा अध्यक्ष अटलबिहारी वाजपेई साथ हैं। इन महान हस्तियों को सादर नमन करते हुए भारतीय जनता पार्टी में आज भी जब कोई अवसर होता है, इन महान हस्तियों को,जिनकी रखी हुई नींव आज आलीशान इमारत का रुप लेकर पूरी दुनियां में भारत का नाम रोशन कर रही है,को याद किये बिना कोई एककदम भी आगे नहीं बढ़ता। ऐसा कौन सा परिवार नही है जिसमें 80-90 साल के बुजुर्गों को,जिन्हे बहुत सी शारिरिक - मानसिक दिक्कतें रहती हैं ,कड़ाके की सर्दी -गर्मी मे चुनावी मैदान में उतारने को आसान सहमति दी जाती हो?
मनोज द्विवेदी कांग्रेस को अगाह करते हुए कहां याद रहे लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,सुमित्रा महाजन, बाबूलाल गौर,सरताज सिंह जैसे वरिष्ठ नेता जहाँ से भी चुनाव लडते,भाजपा की जीत सुनिश्चित होती। पार्टी ने यदि इन वरिष्ठ जनों को अवस्था या अन्य कारणों से चुनाव मैदान से बाहर रखकर आराम देते हुए नये चेहरों पर दांव खेला है तो उसके लिये यह अतिरिक्त खतरा ही है। 2019 चुनाव मे अन्य दल जब एक एक सीट के लिये किसी भी हद को पार करने के लिये तैयार हों तो अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव से बाहर रखकर अपेक्षाकृत नये युवाओं को अवसर देने का साहस भाजपा ही कर सकती है। बहरहाल विपक्ष इसे भले ही उम्रदराज नेताओं का अपमान या उनकी उपेक्षा बतला रहा हो ,भारतीय जनता पार्टी ने बुजुर्ग नेताओं को आराम देकर कहीं कोई उनकी उपेक्षा नहीं की है। अपितु भाजपा का यह दांव अन्य दलों के लिये भारी भी पड सकता है।


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