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मंगलवार, 21 मार्च 2023

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए अमरकंटक पहुंचे आचार्य विद्यासागर

अमरकंटक में 9 दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव 25 मार्च से, तैयारियां जोरों पर
अनूपपुर। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज का मंगल चरण अमरकंटक की पावन वसुंधरा में मंगलवार की प्रात: स्पर्श हुआ। महाराज श्री के साथ निर्यापक श्रमण मुनिश्री, प्रसाद सागर जी महाराज, चंद्रप्रभ सागर जी महाराज, निरामय सागर जी महाराज प्रातः डिंडौरी मार्ग से अमरकंटक पहुंचे। आचार्य श्री के नगर प्रवेश के दौरान बड़ी संख्या में जैन श्रावक जनसमूह ने उनकी भव्य अगवानी की। अमरकंटक के प्रमुख मार्गों को रंगोली से सजाया गया। मुनिश्री की अगवानी करने के लिए सभी महिलाएं, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग शामिल हुए। ढोल नगाड़े और डीजे की धुन पर नाचते गाते लोग धर्मध्वजा लेकर आचार्य श्री को सर्वोदय तीर्थ जैन मंदिर लेकर पहुंचे। मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक तीर्थक्षेत्र में विश्व की सबसे वजनी भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा स्थापित 170 फीट ऊंचे जैन मंदिर का नवनिर्माण कार्य संपन्न होने के साथ ही यहां स्थापित अष्टधातु की प्रतिमा का पंचकल्याणक समारोह एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज जी के सानिध्य में 25 मार्च से 2 अप्रैल तक नौ दिवसीय श्री मज्जिनेंद्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा, विश्वशांति यज्ञ एवं गजरथ महोत्सव का आयोजन हो रहा है। आचार्य विद्यासागर जीके अगवानी के दौरान हजारों की संख्या में अनूपपुर जिले सहित बिलासपुर, पेंड्रा, डिंडोरी सहित अन्य स्थानों से समाज के लोग एकत्र है। देवेंद्र जैन (चुन्नू ) ने बताया कि अमरकंटक क्षेत्र के समूचे आश्रम, लाज, और धर्मशालाओं का बुकिंग पूर्ण हो चुका है। बताया गया भगवान आदिनाथ मंदिर के समक्ष बने मानस्तंभ सहस्त्रकूट जिनालय में 1008 प्रतिमा विराजमान होगी। यहां तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है सभी व्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग समिति बनाकर समाज जनों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां ठहरने भोजन और चिकित्सा की भी उचित व्यवस्था की गई है। पुलिस और प्रशासन द्वारा भी यहां आवश्यक व्य वास्था की गई हैं। 25 मार्च को जाप, स्थापना, घट यात्रा तथा ध्वजारोहण। 26 को सरलीकरण, इंद्रा प्रतिष्ठा, गर्भ कल्याणक (पूर्वरूप), 27 को गर्भ कल्याणक (उत्तर रूप), 28 को जन्म कल्याणक, 29 को तप कल्याणक, 30 को ज्ञान कल्याणक (पूर्वार्द्ध), 31 को ज्ञान कल्याणक (उत्तरार्द्ध), 1 को मोक्ष कल्याणक व फेरी, 2 को बिंब स्थापना, कलश रोहण, महा मस्तकाभिषेक का आयोजन होगा। तीर्थंकर भगवान आदिनाथ मंदिर की विशेषताएं समुद्र सतह से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर मैकल पर्वतमाला के शिखर अमरकंटक में मंदिर का निर्माण की आधारशिला 6 नवंबर 2003 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने आचार्य श्री विद्यासागर के साथ रखी थी। मंदिर निर्माण में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को तराशकर गुड़ के मिश्रण से तराशे गए पत्थरों को चिपकाया गया है। दीवारों, मंडप व स्तंभों में आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं। 1994 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में इस मूर्ति को ढाला गया था। अष्टधातु से ढली आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विश्व में सबसे वजनी 24 टन की है, जो अष्टधातु के 28 टन वजनी कमल पर विराजमान है। प्रतिमा और कमल का कुल वजन 52 टन है। राजस्थान के बंसी पहाड़ के गुलाबी पत्थरों से ओडिशी शैली में मंदिर बनाया गया है। भूकंप के प्रभाव से यह मंदिर पूर्णत: सुरक्षित है। जिनालय में स्थापित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव 25 मार्च से आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में होगा।

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