कोरोना काल में विपदाग्रस्त लोगों की मदद करने का अनूठा जुनून
अनूपपुर। मतलब की धुंध में लगातार जकड़ते जा रहे समाज में यदि सेवा का नि:स्वार्थ जुनून कहीं नजर आए, तो आसानी से यकीन नहीं होगा, लेकिन अनूपपुर के समाजसेवी शशिधर अग्रवाल इसकी जीती जागती मिसाल हैं। जरूरतमंदों एवं असहाय लोगों की सेवा करने वाले पेशे से फोटोग्राफर शशिधर ने पिछले लॉकडाउन में भी लगातार लोगों की मदद की और इस बार भी उन्होंने लॉकडाउन में सेवा का काम जारी रखा।
कोरोना की दूसरी लहर में कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया। उससे बचाव को लेकर अपने भी दूर नजर आए। जब लोगों को बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों की दरकार थी, शशिधर अग्रवाल लोगों को राशन, कपड़े, मास्क से लेकर सेनीटाइजर जैसी सामग्री भी निरंतर बांट रहे थे। अपने काम के दौरान बगैर रिश्तेदारों के शव को क्या देखा, उनकी पूरी सोच ही बदल गई।
शशिधर ने बताया कि कोरोना संदिग्ध मरीजों के शवों का प्रशासन की मदद से करीब ५५ शवों का अंतिम संस्कार कराया। जनसेवा के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पत्नी भारती अग्रवाल, पुत्री सुरभि, शिवांगी, रितिका को इसमें हमराह कर लिया। गतवर्ष की तरह इस लॉकडाउन में भी लगभग चार सौ मास्क बनाकर जरूरतमंदों को नि:शुल्क बांटे। आज भी जहां कहीं सूचना ऐसी मिलती तो अकेले ही सेवा कार्य के लिए निकल पड़तें।
गत वर्ष और इस वर्ष कोरोना संदिग्ध तथा इसके लक्षणों वाले करीब 88 लोगों को अलग-अलग स्थानों पर परीक्षण कराकर चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें कोविड केयर सेन्टर में भर्ती कराया। सांस लेने में परेशान 25 मरीजों को ऑक्सीजन एम्बूलेंस से शहडोल, मनेन्द्रगढ़ भिजवाने में भी मदद की। इस काम को आगे बढ़ाने के लिए छोटीसी पान की दुकान चलाने वाले मोनू, सोनी अग्रवाल को जोड़ा, जिन्होंने अल्प आमदनी के बावजूद अपने पिता स्व. लालजी अग्रवाल की स्मृति में 10 नग गद्दे, तकिए सिविल सर्जन को प्रदान किए।
शशिधर की पहल पर उनके मित्र नगर के एक व्यवसायी तथा छोटे भाई राजेश अग्रवाल व राजकुमार मिश्रा ने एक माह तक जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों को चाय, नाश्ता एवं खाना पहुंचाने की व्यवस्था की। ऑक्सीजन की आवश्यकता पडऩे पर नगर के व्यवसायी राजेश केडिया से तीन ऑक्सीजन सिलेण्डर प्राप्त कर जिला चिकित्सालय को पहुंचाए। सर्प पकडऩे में दक्ष शशिधर ने कोरोना काल के चलते लॉकडाउन में रहवासी क्षेत्रों से 65 सर्पों को पकडक़र नागरिकों को सुरक्षित किया और सांप के काटे के 12 व्यक्तियों को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराकर उनकी जान बचाई। और सांपों को सुरक्षित जंगलों में छोड़ा। शशिधर किसी न किसी तरह जरूरतमंदों की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं।
बहुत ही नेक इरादा और कार्य। असपके जज्बे को सलाम।
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