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सोमवार, 20 दिसंबर 2021

सर्द हवाओं ने लगातार दूसरे दिन अमरकंटक सहित पूरे जिले को कंपकंपाया , न्यूनतम पहुंचा तापमान, बर्फ की जमी चादर

रबी की फसलों पर मंडराया पाला का खतरा, अरहर, मटर सहित आलू की फसलें हो सकती है प्रभावित अनूपपुर। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में लगाकर हो रही बर्फबारी तथा सर्द के बनते माहौल में अब अमरकंटक का मैकाल पर्वतीय क्षेत्र लगातार तीसरे दिन 20 दिसम्बेर को भी ठंड की चपेट में रहा है। यह मौसम की जहां रविवार - सोमवार को सीजन की दूसरी रात पवित्र नगरी अमरकंटक का तापमान न्यूनतम स्तर पर रहा, जहां अमरकंटक के अनेक स्थानों पर अहले सुबह बर्फ की चादर बिछी रही। वहीं इस दौरान अमरकंटक सहित जिलेभर का सोमवार की शाम को भी जनजीवन कंपकंपाती ठंड से प्रभावित रहा। सम्भावना जताई जा रही है कि अमरकंटक की वादियों में आगामी एकाध सप्ताह इसी तरह की कंपकपाती ठंड का असर बना रहेगा और कुछ रातें और भी बर्फ जम सकती है। वहीं शीतलहर के आरंभिक चरण में अब जिले के 38 हजार हेक्टेयर में लगी दलहनी फसलों के साथ नगदी रूप में उगाई जाने वाली आलू, टमाटर, सब्जी की फसलों पर भी खतरा मंडराने लगा है। कृषि उपसंचालक अनूपपुर एनडी गुप्ता का कहना है कि रविवार और सोमवार को न्यूनतम तापमान पहुंचा है और गलनभरी सर्द हवाएं चली है। इससे रबी की फसलों को नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन यह स्थिति कुछ दिनों तक लगातार और बनी तो बर्फीली हवाओं में फसलों को अधिक नुकसान पहुंचेगा। इसमें अरहर, मटर, चना, मसूर सहित अन्य दलहनी फसलों के साथ नगदी फसलों में आलू, गोभी, टमाटर, मिर्च सहित अन्य सब्जी की फसलें प्रभावित हो सकती हैं। वहीं मृदा विशेषज्ञों ने भी मिट्टी के तत्व में पौष्टिकता के आधार पर यहां उगने वाली फसलों में नुकसान की बात कही है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष 38 हजार हेक्टेयर में दलहनी फसल के लक्ष्य रखा गया हैं। जिसमें चना 15.50हजार हेक्टेयर, मटर 3.50 हजार हेक्टेयर, मसूर 19 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। वहीं जैतहरी, पुष्पराजगढ़, और अनूपपुर के किसानों द्वारा वृहद स्तर पर सब्जी की फसल को भी उगाया गया है। लेकिन अब इन फसलों पर शीतलहर का खतरा मंडराने लगा है। सिंचाई के साथ धुंआ कर बचाने की सलाह कृषि उपसंचालक एनडी गुप्ता ने बताया कि ठंड के मौसम में शीत लहर का प्रकोप फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन शीतलहर के गिरते ही किसान उसके बचाव के लिए एतिहातन उपाय कर लें तो इससे फसलों को कम से कम नुकसान तक रोका जा सकता है। विभाग विकासखंड स्तर पर इसके लिए सलाह जारी भी करती है। कृषि अधिकारी ने बताया कि शीत के प्रकोप से बचाने किसान ऐसे फसलों की सिंचाई कर, मेढ पर खेत के खर-पतवार वाली कचरे का धुंआ, सल्फर डस्ट का छिडक़ाव या नेट शेड लगाकर फसलों को बचा सकते हैं। इससे खेत के आसपास वातावरण गर्म बना रहेगा और ठंड का असर फसलों पर नहीं बनेगा। पुष्पराजगढ़ और जैतहरी में टमाटर की सर्वाधिक खेती जिले का पुष्पराजगढ़ विकासखंड टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसके कारण यहां जिले का सर्वाधिक टमाटर की खेती होती है। 10-15 हेक्टेयर में टमाटर की खेती है, इसके बाद पुष्पराजगढ़ से सटे क्षेत्र जैतहरी विकासखंड में टमाटर की फसल दूसरे स्थान में मानी जाती है। जिससे अनूपपुर जिले की बाजारों के अलावा बाहर भी सप्लाय किए जाते हैं। वहीं आलू कोतमा और अनूपपुर व जैतहरी विकासखंड में सर्वाधिक उपजाए जाते हैं। कंपकंपाती सर्द के बीच अमरकंटक में पर्यटकों का रूख सोमवार की शाम 5 बजे अमरकंटक का अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 3 डिग्री सेल्सियस वहीं जिला मुख्यांलय अनूपपुर का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है। फिलहाल अमरकंटक में ठिठुरती ठंड के बीच अमरकंटक की वादियों का लुफ्त उठाने सैलानियों का कारंवा भी अमरकंटक की रूख करने लगा है। जहां आगामी 25 दिसम्बर सहित नववर्ष 1 जनवरी के मौके पर खुशियां व पिकनिक मनाएंगे। जानकारों का कहना है कि अमरकंटक में प्रतिवर्ष अंतिम दिसम्बर या जनवरी माह की शुरूआती सप्ताह में तापमान न्यून स्तर पर पहुंचता है। इससे पूर्व 2020 में जनवरी माह के दौरान वर्फ की पहली चादर अमरकंटक में बिछी थी। उपसंचालक कृषि एनडी गुप्ता ने बताया कि विभाग मौसम में बदलाव हुआ, शीतलहर का प्रकोप जारी है। अभी फसलों को ज्यादा नुकसान की आशंका नहीं है, लेकिन आने वाले समय में पाला के कारण अधिक फसल प्रभावित हो सकती है।

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