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रविवार, 15 जनवरी 2023

मकर संक्रांति आज: विषेश मुहूत्र में श्रद्धालुओं ने नर्मदा उद्गम कुंड में लगाई आस्था की डुबकी

अनूपपुर। नई फसल की कटाई तथा सूर्यदेव के उत्तरायण पर पौराणिक मान्यताओं में 14 एवं 15 जनवरी को मनाए जाने वाले मकर संक्रांति का पावन पर्व दूसरे दिन 15 जनवरी को पूरे श्रद्धा व हर्षोउल्लास से मनाया गया। जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक के नर्मदा सहित जिला मुख्यालय के सोन-तिपान नदी संगम पर श्रद्धालुओं ने नदियों में आस्था की डुबकी लगाई। जबकि राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, राजनगर, बिजुरी सहित अन्य क्षेत्रों गुजरती नर्मदा, सोन, जुहिला, तिपान, केवई सहित अन्य नदियों के नदीघाटों पर लोगों ने स्नान कर इष्टदेवों की विशेष पूजा अर्चना की। मकर संक्राति के अवसर पर जिले के अनेक स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया गया है।
वहीं ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी की सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा। लेकिन प्रथम दिन ही जिले में पर्व की पौराणिक निर्धारित तिथि की महत्ता में मकर संक्रांति पुराणों के अनुसार यह पर्व बह्मा, विष्णु, महेश, गणेश सहित आदि शक्ति और सूर्य की उपासना एवं आराधना का पावन व्रत माना जाता है। संत महर्षियों के अनुसार इनके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है, संकल्प शक्ति बढ़ती है, ज्ञान का विकास होता है। मकर संक्रांति इसी चेतना को विकसित करने वाला पर्व है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में किसी न किसी रूप में आयोजित होता है।
जबकि अन्य मान्यताओं में गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इसी दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में मिली थी। इसलिए मकर संक्राति पर गंगा-सागर में मेला लगता है। मकर संक्राति पर्व के मौके पर रविवार की सुबह से ही पावन नगरी अमरकंटक में हजारो श्रदलुओं की भीड़ जुटी रही। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा उद्गम कुंड में डुबकी लगाकर माता नर्मदा का पूजन अर्चन किया। साथ ही तिल-चावल, गुड़ सहित अन्य सामग्रियों का दान दिया। दरअसल अमरकंटक में पर्व की महत्ता को देखते हुए यहां पहुंचने वाली भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं का जत्था एक सप्ताह पूर्व से आने आरम्भ हो गया था। प्रदेश की जीवनदायिनी नदी मां नर्मदा का उद्गम स्थल होने के कारण इस दिन यहां देश- प्रदेश से हजारों की तादाद में श्रद्धालु एवं पर्यटक पूजा अर्चना कार मंदिरों में दर्शन को आते हैं। जबकि अमरकंटक में इन दिनो अत्याधिक ठंड पड़ती है, जिसके कारण दूधधारा, कपिलधारा से निकलने वाली दूधिया भाप पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है।

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