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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

एकात्म भाव से मनुष्य का जन्म सफल हो जाता है,सौन्दर्य लहरी स्तुति से होते हैं जगदंबा दर्शन- श्रीश्री शंकरभारती महास्वामी

महास्वामी जी का श्रद्धालुओं ने किया भावभीना स्वागत अनूपपुर। विश्वध में संत, महात्मा बहुत से हैं लेकिन शंकराचार्य जी का नित्य ध्यान करने के बहुत से बड़े कारण हैं। समाज की रक्षा के लिये सनातन धर्म को एकसूत्र में बांधने के लिये शंकराचार्य रचित सौन्दर्य लहरी के माध्यम से जगत कल्याण के सद्प्रयास हेतु शंकराचार्य जी आदि काल से समाज में परमपूज्य हैं। सौंदर्य लहरी की रचना पूज्यपाद आदि शंकराचार्य ने जगद्कल्याण हेतु की गई है, जिसकी स्तुति अथवा श्रवण से कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा आनन्द की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि अद्वैत भेद-विभेद का नहीं आनंद का दर्शन है। सौंदर्य लहरी मनोकामनापूर्ति तथा परमानन्द की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। उक्ता शय का व्याख्यान सम्पूर्ण भारतवर्ष की यात्रा के दौरान अमरकंटक होकर अनूपपुर पधारे श्री दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्ववर श्रीमदजगतगुरु शंकराचार्य जी द्वारा अनुग्रहीत श्री योगानंदेश्वपर पीठाधिपति परम पूज्य श्रीश्री शंकरभारती महास्वामीजी ने विवेकानन्द स्मार्ट में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा सौंदर्य लहरी के पद्य लोक कल्याण तथा व्यक्ति के उत्थान का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। देव एक ही हैं, नाम विभेद भक्ति का सरलीकरण मात्र है। सौंदर्यलहरी के माध्यम से जगद्गुरु आदि शंकराचार्य सर्वकल्याण की कामना करते हैं। यह भावना भारत की सनातन संस्कृति का मूल आधार है। लोकमंगल तथा लोग कल्याण की कामना का अमर स्रोत सौंदर्य लहरी है। पूज्यपाद आचार्य शंकराचार्य जी की सौंदर्य लहरी समाज में व्याप्त दुखों के निवारण का मार्ग भी सुझाती है। अतः दुख, पीड़ा तथा व्याधि से मुक्ति हेतु इसका पाठ एवं श्रवण अवश्य किया जा सकता है। आदि शंकराचार्य ने भारत को सामाजिक, सांस्कृति एवं आध्यात्मिक एकता के सूत्र में बांधने कार्य किया। आदि शंकराचार्य द्वारा चारों दिशाओं में स्थापित चार पीठों के माध्यम से भारत की सतत् सनातन परम्परा का प्रवाह होता है। मनः शान्ति, तृप्ति प्राप्ति हेतु, समाज में एकात्म भाव के लिये सम्पूर्ण देश में इसका पाठ करना होगा। उन्होने बताया कि एकात्म भाव का उपदेश प्रसार हेतु अयोध्या जी में एक श्री शंकराचार्य वांग्ड परिसर की स्थापना की जा रही है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा श्री शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना एवं मूर्ति स्थापना के प्रयासों की उन्होंने प्रशंसा की। मध्यप्रदेश में जन अभियान परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ग्वालियर से अनूपपुर तक की यात्रा में जन अभियान परिषद के लोगों ने सराहनीय कार्य किया है। इस अवसर पर शहडोल संभागीय समन्वयक भीमसिंह डामोर ने कहा कि स्वामीजी के दर्शन से हमें साधक, सिद्ध, सुजान एवं शुद्धि का दर्शन हो गया है। उन्होंने कहा कि अद्वैत आत्म दर्शन एवं परमात्म दर्शन की एकता का परिचायक है तथा हमारी मुक्ति मार्ग का प्रदर्शक है। स्वामी जी जैसे महापुरुषों के आशीर्वाद से ही हम आत्मा से परमात्मा की यात्रा कर सकते हैं। स्वामी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने माँ के विविध रूपों में सौन्दर्य का वर्णन कर सौन्दर्य लहरी के माध्यम से सामान्य जनों हेतु भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। सौन्दर्य लहरी संपूर्णता, समग्रता, सद्मार्ग की लहरी है। अद्वैत हमारी जीवन पद्धति है, हमारा पथ-प्रदर्शक है। इस अवसर पर एसडीएम कमलेश पुरी, नीतेश, अशोक बियाणी, उमेश पाण्डेय, मनोज द्विवेदी, विवेक बियाणी, राजेन्द्र बियाणी, हरिशंकर वर्मा, गजेन्द्र सिंह, राजेश शिवहरे, राजेश शुक्ला, अजीत मिश्रा, अमित श्रीवास्तव, विकास, हरिकिशन बियाणी,किरण बियाणी, रमा मिश्रा, आदर्श शर्मा,हिमान्सुा बियाणी,बिज्जुप थामस, फत्तेसिंह, मोहन सिंह, जेपीएन शर्मा, अशोक शर्मा, मनोज दुबे के साथ श्रद्धालुओं, जन अभियान परिषद के वालेंटियर्स ने अयोध्या क्षेत्र में श्री आदिशंकराचार्यजी का भव्य मंदिर और अनेक दिव्य स्मृति में अद्वैत-वेदान्त और अन्य शास्त्रों का अध्ययन और संशोधन संस्था की स्थापना का संकल्प किया। इससे पूर्व मातृ शक्तियों, भक्तों द्वारा नगर आगमन पर महाराज जी का कलश, पताका, पुष्प वर्षा, मंगलोच्चारण, मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत किया गया। पं. अजय शास्त्री द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ स्वस्ति वाचन किया गया। मनोज द्विवेदी द्वारा श्री श्रृंगेरी शारदा पीठाधिपति श्री श्री शंकर भारती महास्वामी जी को सभी भक्तों की ओर से अनूपपुर आगमन से अनुग्रहित करने पर अभिनंदन पत्र वाचन उपरांत समर्पित किया गया।

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