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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

अनरक्षित पदों पर पदोन्नती की मांग को लेकर सपाक्स ने सौंपा ज्ञापन

अनूपपुर। प्रदेश में अनराक्षित पदों पर पदोन्नती अविलंब करने की मांग को लेकर सपाक्स द्वारा ज्ञापन 4 फरवरी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि 28 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को लेकर दिए गए अपने फैसले में पुन: एक बार यह स्पष्ट किया है कि पदोन्नति में आरक्षण हेतु एम. नागराज प्रकरण और जरनैल सिंह प्रकरण में निश्चित किए गए मार्गदर्शी सिद्धांतो का पालन अनिवार्य होगा। उन्होने बताया कि म.प्र. पदोन्नति 30 अप्रैल 2016 को उच्च न्यायालय ने एम. नागराज प्रकरण में निर्धारित मार्गदर्शी सिद्धांतो के अनुरूप न पाते हुए असंवैधानिक करार देकर ही खारिज किया था। वर्तमान फैसले से अब यह स्पष्ट हैं कि मप्र सरकार द्वारा वर्ग विशेष के लिए अनावश्यक रूप से प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया रोक कर रखी गई है, जबकि अनारक्षित श्रेणी में पदोन्नति हेतु किसी प्रकार की कोई रोक न तो उच्च न्यायालय के फैसले में लगाई थी न ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नतियां रोकी गई हैं। इस संबंध में पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा भी उनके बाद के निर्णयों में इसे स्पष्ट कर चुके है। संस्था लगातार इस तथ्य से मुख्यमंत्री एवं शासन के अन्य संबंधित विभागों को अवगत कराती रही तथा सपाक्स वर्ग की पदोन्नतियां करने की गुहार लगाती रही है। लेकिन सरकार पूरी तरह से 64 प्रतिशत वर्ग के हितों को दरकिनार कर विगत 6 वर्षो से अन्याय कर रही है। नतीजा यह कि सरकार द्वारा हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नति व आर्थिक लाभ के सेवानिवृत हो चुके हैं जबकि ऐसे कर्मी सरकार द्वारा उच्च पदों पर स्थापित किए गए जिन्हें वास्तव में वहां होना ही नहीं चाहिए जहां वे पदस्थ किए गए हैं। 28 जनवरी 22 के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वर्ष 2006 के निर्णय के बाद से ऐसे कोई भी नियमो जो एम. नागराज प्रकरण के सिद्वांतो का परिपालन नहीं करते के अंतर्गत की गई सभी पदोन्नतियां गलत हैं अत: ऐसे नियमों से लाभान्वित सभी कर्मी पदानवत किये जायें जैसा कि उच्च न्यायालय जबलपुर ने अपने निर्णय में कहा हैं। संस्था ने अपने ज्ञापन में मुख्यमंत्री से एवं पदोन्नति नियमों हेतु गठित मंत्री समूह से अनुरोध किया है कि संविधान प्रदत्त व्यवस्था के अनुरूप ही किसी प्रकार के नए नियम बनाए जाएं तथा जब तक प्रकरण में अंतिम निर्णय नहीं आता, सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मियों की पदोन्नतियां तत्काल प्रारंभ करे। अन्यथा स्थिति में प्रदेश के 64 प्रतिशत शासकीय कर्मी लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बाध्य होंगे। वहीं ज्ञापन सौंपने वालों में सपाक्स जिलाध्यक्ष जयप्रकाश नारायण शर्मा, सचिव अखिलेश कुमार सिंह, सदस्य गिरधारी चौधरी, अंबिकेश प्रताप सिंह, विकास हरदहा एवं अन्य कर्मचारी अधिकारी उपस्थित रहे।

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