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शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

अमरकंटक ताप विद्युत गृह का राखड़ बांध टूटने से लाखो लीटर पानी के साथ बहीं राख

13 किसानों की 10 एकड़ भूमि में फैली राख,प्रबंधन ने हटाने की कहीं बात,देगे उचित मुवावजा अनूपपुर। अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की फ्लाई ऐश (राखड़ बांध) टूटने से किसानों के लगभग 10 एकड़ कृषि योग्य जमीन में राखड़ परत जम गई। जिसमें 13 किसानों की लगभग 10 एकड़ उपजाऊ भूमि में राखड़ की सफेद परतें बिछी हुई है। लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में राखड़ की परते जमी हुई हैं। राखड़ का पानी पुल के माध्यम से बहकर लगभग 6 किलोमीटर दूर सोन नदी में मिलने से सोन नदी के पानी को पूरी तरह से प्रदूषित होने की बात कहते हुए किसानों ने कार्रवाई की मांग की हैं। वहीं अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र के प्रबंधक ने राखड़ पुल की जांच की बात कही हैं। पटवारी आरएन सिंह द्वारा प्रभावित किसानों व खेतों का निरीक्षण किया जा रहा हैं। अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र की फ्लाई ऐश से निकलने वाले राखड़ को पाइप के माध्यम से ताप विद्युत केंद्र के पीछे एकत्रित किया जाता था। जांच करने प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहडोल की टीम भी पहुंच कर जांच की हैं। जानकारी अनुसार अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में शुक्रवार सुबह 4.10 बजे ग्राम केल्हौरी स्थित राखड़ बांध का किनारा टूट गया। जिसमें करीब 700000 क्यूोबिक मीटर पानी भराव की क्षमता वाले इस बांध में लाखों क्यूबिक राखड व पानी बह गया। सुबह गेट टूटने की जानकारी पंप हाउस व चौकीदार द्वारा संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी। दोपहर को मुरूम व मिट्टी से भरने का कार्य किया गया तब तक बांध का लाखों क्यूबिक पानी वाला राखड़ किसानों के खेतों में भरते हुए बने टाकी नाले से सोन नदी तक पहुंचने से पहले ही रूक गया। वहीं लगभग 10 एकड़ उपजाउ भूमि में कोयले की राख से अट गई। जहां केल्हौरी, बरगवां, देवरी सहित करीब आधा दर्जन गांव प्रभावित हुए हैं। अमरकंटक थर्मल पावर प्लांट 210 मेगावाट की क्षमता का पावर प्लांट हैं, जहां प्रतिदिन 3500 से 4000 टन कोयले की खपत होती है। इतनी बड़ी मात्रा में कोयले के दहन के बाद राख पानी के साथ बहाकर इसी राखड़ बांध में इकट्ठा की जाती है। मामले की जांच करने प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहडोल की टीम मंडल अधिकारियों के साथ पहुंची जो सोन नदी तक मंडल के केमिस्ट्रो के साथ निरीक्षण कर पानी का सैंपल ले अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंीने बताया कि बांध के टूटने से सोन नदी में राख नहीं पहुंच पाई इसके पहले नाले में जमा हो गई। सिविल विभाग के अधिक्षण अभियंता मुकेश नामदेव ने बताया कि यह घटना क्यो हुई मप्र और इतिहास में पहली बार हुई हैं। इसकी जांच के लिए आईआईटी कानपुर से विषेशज्ञों की टीम आ रहीं हैं। जो कारणों का पता लगायेगी। पूरा पानी नाले में गया हैं सोन नदी में नही गया। प्रदूषण बोर्ड की टीम ने इसका सर्वे ड्रोन से किया हैं। शनिवार को खेतो से राखड़ हटाई जायेगी। आंकलन कर किसानो को उचित मुवावजा दिया जायेंगा।

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