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बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

सौंदर्य लहरी मनोकामनापूर्ति तथा परमानन्द की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है- श्री श्री शंकरभारती महास्वामी जी

अमरकंटक में श्रंगेरी शारदा पीठाधिपति श्री श्री शंकर भारती महास्वामी ने की नर्मदा माता की आरती अनूपपुर। सौंदर्य लहरी की रचना पूज्यपाद आदि शंकराचार्य ने जगद्‌कल्याण हेतु की जिसके पाठन अथवा श्रवण से कष्ठों से मुक्ति मिलती है तथा आनन्द की अनुभूति होती है। अद्वैत भेद- विभेद का नहीं आनंद का दर्शन है। सौंदर्य लहरी मनोकामनापूर्ति तथा परमानन्द की प्राप्ति का मार्ग एवं पद्म लोक कल्याण तथा व्यक्ति के उत्थान का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। देव एक ही हैं। नाम विभेद भक्ति का सरलीकरण मात्र है । सौंदर्यलहरी के माध्यम से जगद्‌गुरु आदि शंकराचार्य सर्वकल्याण की कामना करते हैं। यह भावना भारत की सनातन संस्कृति का मूल आधार है। लोकमंगल तथा लोग कल्याण की कामना का अमर स्रोत सौंदर्य लहरी है। श्री दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर श्रीमदजगतगुरु शंकराचार्य जी द्वारा अनुग्रहीत श्री योगानंदेश्वर पीठाधिपति परम पूज्य श्रीश्री शंकरभारती महास्वामी जी सम्पूर्ण भारतवर्ष की यात्रा के दौरान बुधवार को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में परिसर में व्याख्यान में कहा। इसके पूर्व श्री दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर श्रीमदजगतगुरु शंकराचार्य जी द्वारा अनुग्रहीत श्री योगानंदेश्वर पीठाधिपति परम पूज्य श्रीश्री शंकरभारती महास्वामी जी ने पवित्र नगरी अमरकंटक में माता नर्मदा की पूजा कर आरती उतारी। भारत वर्ष की यात्रा के दौरान 15 फरवरी को उनका अमरकंटक शुभ आगमन हुआ। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि पूज्यपाद आचार्य शंकर की सौंदर्य लहरी समाज में व्याप्त दुखों के निवारण का मार्ग भी सुझाती है, अतः दुख, पीड़ा तथा व्याधि से मुक्ति हेतु इसका पाठ एवं श्रवण अवश्य किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय परिवार का सौभाग्य है कि परम आदरणीय स्वामी जी आदि गुरु शंकराचार्य विरचित सौंदर्य लहरी के लोक वाचन हेतु पधारे हैं। आदि शंकराचार्य ने भारत को सामाजिक, सांस्कृति एवं आध्यात्मिक एकता के सूत्र में बांधने कार्य किया। चारों दिशाओं में स्थापित चार पीठों के माध्यम से भारत की सतत् सनातन परम्परा का प्रवाह होता है। स्वामी जी के दर्शन से हमें साधक, सिद्ध, सुजान एवं शुद्धि का दर्शन हो गया है। अद्वैत आत्म दर्शन एवं परमात्म दर्शन की एकता परिचायक है तथा हमारी मुक्ति मार्ग का प्रदर्शक है। स्वामी जी जैसे महापुरुषों के आशीर्वाद से ही हम आत्मा से परमात्मा की यात्रा कर सकते हैं। कुलपति ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने माँ के विविध रूपों में सौन्दर्य का वर्णन कर सौन्दर्य लहरी के माध्यम से सामान्य जनों हेतु भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। सौन्दर्य लहरी संपूर्णता, समग्रता, सद्‌मार्ग की लहरी है। अद्वैत हमारी जीवन पद्धति है, हमारा पथ-प्रदर्शक है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव पी० सिलुवैनाथन ने कहा कि पूज्य सामीजी के विद्वतापूर्ण उद्‌बोधन से हम सभी लाभान्वित हुए हैं। विश्वविद्यालय परिवार इसके लिए पूज्य स्वामी जी का आभारी हैं। संचालन तथा संयोजन प्रो० राघवेन्द्र मिश्रा ने किया। इस दौरान अध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहें। परमपूज्य स्वामी जी ने माघ पूर्णिमा 16 फरवरी को अमरकंटक के मृत्युंजय आश्रम में महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद जी, स्वामी रामभूषण दास जी, की उपस्थिति मे श्रद्धालुओं के मध्य व्याख्यान दिया एवं आचार्य शंकर प्रणीत सौंदर्य लहरी का वाचन किया। सामाजिक समरसता मंच से जुड़े समाजसेवी मनोज द्विवेदी ने बताया कि परमपूज्य महाराज जी 17 फरवरी की दोपहर एक बजे अनूपपुर नगर में पधारेंगे। यहाँ विवेकानन्द स्मार्ट सिटी में वे श्रद्धालुओं के मध्य आशीर्वचन प्रदान करेंगे।

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