चट्टानों के धंसकने का आरोप,वैकल्पिक मार्ग से बढ़ी परेशानी
अनूपपुर। किररघाट घाट अनूपपुर-अमरकंटक मुख्य मार्ग में 8 जुलाई की शाम तेज बारिश के दौरान धंसकी चट्टानों से बंद हुई आवाजाही में अब सडक़ मरम्मत और घटना स्थल से कुछ दूरी बने डैम पर इसका ठीकरा फोड़ा जा रहा हैं। इससे विभागों ने अपना पल्ला झाड़ एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल दिया है। लेकिन इन विभागीय अनदेखी में आम नागरिकों के परेशानियों से इंकार नहीं किया जा सकता है। पिछले 6 दिनों से अनूपपुर-राजेन्द्रग्राम-अमरकंटक मुख्य मार्ग पूरी तरह बंद हैं, इसके आगामी शुरूआत होने में अभी समय निर्धारित नहीं किया गया है।
प्रशासनिक स्तर पर आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए गए हैं, लेकिन इससे वाहन चालक सहित यात्रियों की परेशानी अधिक बढ़ गई है। किररघाट में एमपीआरडीसी विभागीय अधिकारियों की अनदेखी से इंकार नहीं किया जा सकता।
हनुमान मंदिर सिद्धबाबा स्थल के पास 50 मीटर की दूरी में दो स्थानों पर चट्टान धंसके हुए हैं। इसके अलावा एक अन्य स्थल भी पूरी तरह तबाह है। पानी के बहाव में चट्टान के अंदरूनी हिस्से खोखला हो गया है। जबकि उपरी हिस्से पर दरार बन आई है। माना जाता है कि दो साल पूर्व हनुमान मंदिर के पास धंसकी चट्टान से विभाग द्वारा सतर्कता बरतते हुए किररघाटी के सडक़ों की मरम्मत के साथ धंसकने वाले चट्टानों को रिटेनिंग बॉल से सुरक्षा कवच बना दिया जाता तो आज यह दुर्दशा नहीं बनती। इसके अलावा यहां से गुजरने वाले भारी वाहनों के लिए भी कोई मापदंड तैयार नहीं किए गए हैं। दिन-रात सैकड़ो भारी वाहन, जिनका प्रवेश मुश्किल होता है वहां से गुजरते हैं। हनुमान मंदिर के मोड़ के पास कई भारी वाहन के हादसे वहां के चट्टान को कमजोर बनाने के लिए दोषी माने जा सकते हैं। जिसे छिपाने विभागीय कर्मचारियों ने पत्थरों को वहां डाल मरम्मत से अनदेखी कर दी थी। वहीं घटना स्थल से 50 मीटर की दूरी और 100 फीट उंचाई पर बनी जिपं की वॉटरशेड योजना की छोटी डैम भी इस दुर्घटना के कारण माने जा रहे हैं। एमपीआरडीसी विभाग ने मई-जून माह में ही 5 लाख 5 हजार की लागत से बनाए गए डैम में अधिक मात्रा में पानी भरने और कमजोर दीवारों के टूटने के कारण पानी के बहाव में चट्टानों के क्षतिग्रस्त होने की बात कही है।
एमपीआरडीसी सहायक प्रबंधक शहडोल का कहना है कि किररघाट मार्ग वर्षो पुरानी है। यहां से निरंतर वाहनों का आवाजाही बना रहा है। लेकिन घटना के बाद स्थानीय लोगों की पूछताछ में इस डैम के फूटे पानी के बहाव में चट्टानों को नुकसान पहुंचने की जानकारी सामने आई है। फिलहाल चार स्थान पर रिटेनिंग बॉल निर्माण सहित अन्य कार्य के प्रस्ताव को भोपाल भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही काम आरम्भ कर दिए जाएंगे।
दो साल से सडक़ सुधार नहीं हुआ था काम
शहडोल-अमरकंटक एमपीआरडीसी सडक़ की पेंच रिपयेरिंग या मरम्मती का कार्य पिछले दो साल से नहीं हुए थे। जिसमें बुढ़ार से लेकर अमरकंटक तक सडक़ों की दुर्दशा बन गई थी। इस दौरान किररघाट की सड़ह भी चलने लायक नहीं रही थी। हालांकि इस वर्ष मेंटनेंस वर्क कराए गए हैं।
सहायक प्रबंधक एमपीआरडीसी शहडोल का कहना हैं कि प्रस्ताव को भोपाल भेजा गया है, जल्द ही स्वीकृति की उम्मीद है। चट्टानों के धंसकने का कारण उपर बने डैम से फूटा पानी का बहाव है। यह स्थानीय लोगों से भी पूछताछ में सामने आई है।
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