तीर्थकोटि कुंड के दरवाजे पर लगा ताला,रामघाट पर नहीं पानी का भराव,तैयारियां शून्य
अनूपपुर। प्रथम सावन सोमवार से लेकर अंतिम तिथि तक लाखों की संख्या में कावडिय़ों सहित श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी। 25 जुलाई से सावन माह का आरम्भ हो जाएगा। जिसमें शिवभक्तों का जत्था स्नान और जलाभिषेक के लिए जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक पहुंचेंगे। इस दौरान शिवभक्त नर्मदा में स्नान कर नर्मदा उद्गम कुंड से जल भरकर जलाभिषेक के लिए जालेश्वर धाम के लिए प्रस्थान करेंगें। वहीं जालेश्वर जलाभिषेक के उपरांत दूर-दाराज खासकर कर्वधा छत्तीसगढ़ के कावडिय़ों द्वारा पुन: नर्मदा जल भरकर बूढ़ा महादेव (कर्वधा धाम) में जलाभिषेक करने की यात्रा करेंगे। इस दौरान मां नर्मदा के दर्शन और पवित्र सावन मास में नर्मदा स्नान के लिए अन्य प्रदेशों के सैलानियों के साथ स्थानीय लोगों की भी भीड़ नर्मदा मंदिर परिसर, माई की बगिया, सोनमूडा, श्रीयंत्र मंदिर सहित तीर्थकोटि व रामघाट पर मौजूद होगी। लेकिन वर्तमान कोरोना संक्रमण काल के दौरान अमरकंटक में जुटने वाले श्रद्धालुओं व सैलानियों की भीड़ से निपटने और कोरोना नियमों का पालन कराने नर्मदा मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन स्तर पर कोई रणनीति तैयार नहीं की गई है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और गाइडलाइन के पालन नहीं होने से दूसरी लहर की भांति का खतरा फिर से उत्पन्न हो सकता है। वैज्ञानिक चिकित्सको के मतों के अनुसार अगस्त माह में कोरोना की तीसरी लहर आने के संकेत को भांपते हुए उत्तराखंड सरकार ने कावंड यात्रा रोक लगा दी। वहीं उत्तरप्रदेश की कांवड यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं के दिल्ली में प्रवेश पर दिल्ली सरकार द्वारा भी एतिहातन प्रवेश पर रोक लगा दिया है। जबकि उत्तरप्रदेश में कावंड यात्रा पर कोर्ट में मामला विचाराधीन है। जानकारों का मानना है कि अगर अमरकंटक जैसे छोटे से धार्मिक स्थल पर कोरोना नियमों के अनुसार रणनीति नहीं बनाई गई तो अप्रैल-माह के दौरान कोरोना से बनी स्थिति की भांति पुन: जिले में खतरा बना रहेगा। इसके लिए पूर्व से ही प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंदिर ट्रस्ट, मंदिर पुजारियों, आश्रम के संतों व गणमान्य नागरिकों के बीच आपसी सहमति पर रणनीति तैयार किया जाना चाहिए, ताकि माहभर लगने वाले सावन उत्सव के दौरान सुरक्षा के साथ धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा किया जा सके। फिलहाल सावन माह के आरम्भ होने में पांच दिन का समय शेष है।
गत वर्ष लॉकडाउन के बाद भी 10 हजार से अधिक पहुंचे थे श्रद्धालु
वर्ष 2020 के दौरान देश व्यापी लॉकडाउन और परिवहनों पर पूर्णत: प्रतिबंध के बावजूद अमरकंटक स्थानीय स्तर पर लगभग 10 हजार श्रद्धालु सावन मास के दौरान अमरकंटक पहुंचे थे। लेकिन इस वर्ष देश के कुछ हिस्सों को छोडक़र ऑनलॉक की स्थिति और परिवहन सुविधाएं भी उपलब्ध है। जिसके कारण अमरकंटक में इस वर्ष लाखों की भीड़ जुटने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता हैं। अमरकंटक जानकारों का कहना है कोरोना काल को छोडक़र देखा जाए तो पूर्व के वर्षो में सावन माह के दौरान डेढ़ लाख से दो लाख के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती थी।
रामघाट का निर्माण अधूरा, तीर्थकोटि पर ताला
सावन माह की भीड़ और नर्मदा की सकरी होती जलधारा को विस्तारित करने के उद्देश्य शासन द्वारा रामघाट सौन्दर्यीकरण, गाद निकालने और पुष्कर डैम सहित अन्य डैमों की मरम्मती कार्य कराया जा रहा था। जिसे बारिश से पूर्व पूरा करने के अल्टीमेटम भी सीएम शिवराज सिंह ने दिए गए थे। लेकिन मई माह के दौरान लगातार बारिश के कारण कार्य प्रभावित हुआ और परिणाम जुलाई माह के बाद भी रामघाट का निर्माण कार्य अधूरा रहा गया। इसके कारण इस वर्ष श्रद्धालुओं को रामघाट पर स्नान के लिए साफ नर्मदा जल नहीं उपलब्ध हो पाएंगे। लेकिन दूसरी ओर कोरोना के कारण तीर्थकोटि घाट के दरवाजे पर भी ताला लगा हुआ है।
अनूपपुर-अमरकंटक मुख्य मार्ग बंद
अनूपपुर-अमरकंटक मुख्य मार्ग के किररघाट घाट में 8 जुलाई को तेज बारिश से कुछ दूरी बने डैम के टूटने के कारण पहाड़ से चट्टानों धंसकने से मार्ग में आवाजाही पर पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया हैं। लेकिन विभागीय अनदेखी से सावन के महीने में आम नागरिकों को अमरकंटक पहुंचने में परेशानियों का समाना करना पड़ेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें