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बुधवार, 14 जुलाई 2021

अनूपपुर का मुखौटा,बाना,चिरौजी को मिलेंगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

आदिवासीयों के उत्पादकों की होगी जीआई टेगिंग, बदलेगी 300 परिवारों की जिंदगी

अनूपपुर। आदिमानव जब विकास के पथ पर था तभी से अपने मुखौटे का राज समझ लिया था इसलिए उसने अपने उस अनुष्ठान और कला में मुखौटे को स्थान दिया वस्तुत: रोजमर्रा के जैविक अस्तित्व की रक्षा में मनुष्य द्वारा किए गए प्रयत्न मुखोटे के प्रतिबिंब हुए इसी कारण मुखौटा हमेशा अपना जादू सा प्रभाव डालने में सक्षम होता हैं। यानी जो मुख का ओट करें अर्थात चेहरे पर चढ़ाया गया नकली अस्क और शरीर के सभी अंगों के माध्यम से बनाई जाने वाली विभिन्न भाषाओं द्वारा एक अकल्पनीय व्यक्तित्व को धारण करता हैं। ऐसा ही एक मुखौटा अनूपपुर जिले के आदिवासी अंचल बीजापुरी और उसके आसपास के आदिवासियों की पहचान अब अनूपपुर जिल,प्रदेश ही नहीं नाम पूरे विश्व में रोशन करेगा। जिले के मुखोटे के अलावा  वाद्य यंत्र बाना जो आदिवासियों के देव वाद्य यंत्र के रूप में विख्यात हैं जिसे यह अपनी विषेश अयोजनों में बजाजे हैं। इसके साथ ही गोंड़, बैंगा जनजाति संग्रहित वनोपज चार पाका (चिरोंजी) उत्पाद को जीआई टेगिंग कराने की तैयारी मध्यप्रदेश शासन का आदिम जाति कल्याण विभाग कर रहा हैं। इससे काष्ठ शिल्प कलाकारों के चेहरे खिल उठे। इनका मानना है की जिन मुखौटो की पूजा हम करते थे आज वही हमें विश्व में पहचान दिलाएगें। इससे 300 आदिवासी परिवारों की जिंदगी खुशहाल होगी।

जिलें के तीन आदिवासी उत्पादों के साथ प्रदेश के 10 आदिवासी उत्पादों की जीआई टैगिंग के बाद इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिल सकेगी और यह ऑनलाइन पूरे विश्व में उपलब्ध हो सकेंगे। इससे आदिवासियों उनके सामान की कीमत और महत्व बढ़ जाएगा।


जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग का काम उस खास भौगोलिक परिस्थिति में मिलने वाली चीजों का दूसरे स्थानों पर गैरकानूनी इस्तेमाल को कानूनी तौर पर रोकता है। इसके बाद यह अधिकार व्यक्तियों,उत्पादकों औंर संस्थाओं को मिल सकतें हैं। यह 10 वर्षो तक मान्य रहेंगा।

आदिवासियों के मुखौटो में नाग देवी-देवता, असुर पालतू और जंगली जानवर,मनुष्यों जैसे हजारों की संख्या में अलग-अलग भाव भंगिमाओं के मुखोटे खैर साल सराय आमद की लकडिय़ों में उम्दा नक्कासी कर बड़ी श्रद्धा भाव अपनी कला को बनाते हैं। आदिवासी संस्कृति में इन मुखौटो का धार्मिक महत्व हैं। कष्ट कलाकारों का मानना है की अगर सरकार हमारे बीच से बिचौलियों को हटा दें तो हमारे भी अच्छे दिन आ सकते हैं। सरकार इस फैसले से काफी खुश हैं और इनमें उम्मीद जगी हैं की कला का अच्छा दाम मिलेगा। इससे जीवन में खुशियां आएंगी।

आदिम जाति विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोविल का कहना है कि प्रदेश के 10 आदिवासी उत्पादों की जीआई टैगिंग कराई जा रही है। जिसमें अनूपपुर के हस्तशिल्प वनोपज के तीन उत्पादों को शामिल किया गया हैं। टैगिंग होने से इन उत्पाद से जुड़े आदिवासियों को रोजगार मिलेगा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

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