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रविवार, 4 अक्तूबर 2020

वृक्षों को बचाने के लिये धेनु सेवा संस्थान ने दिखाई नई राह


गोबर से बनी गौकाष्ठ के उपयोग के लिए की अपील

अनूपपुर सतगुरु परिवार की धेनु सेवा संस्थान शहडोल ने घायल, बीमार,भूखी - प्यासी गायों की सेवा में अपनी पहचान बनाने के बाद अब गौ पालन को पर्यावरण संरक्षण से जोडऩे का सफल प्रयास कर रहा है। धेनु सेवा संस्थान गाय के गोबर से लकड़ी का अधिक बेहतर विकल्प तैयार कर रहा है। गोबर से बने कंडों से आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन बनाया जाता है। हवन आदि तमाम शुभ कर्म गाय के गोबर से बने कंडों को जला कर किया जाता है। प्रयास है कि संस्थान लोगों को यह सुविधा उपलब्ध कराये कि लोग शवदाह लकडिय़ों से ना करके गाय के गोबर से बने गौ काष्ठ से करें।

अमरकंटक के तीस से अधिक छोटे- बड़े आश्रमों तथा पचास से अधिक छोटे - बड़े होटलों में प्रतिमाह हजारों क्विंटल लकडिय़ां जलाई जा रही हैं, एक शवदाह के लिये यदि बारिश के मौसम में गीली लकडिय़ां टाल से मिल जाए तो अंतिम संस्कार में कितनी परेशानी होती है,ईधन के लिये लकडिय़ों की वैध - अवैध आपूर्ति के कारण तेजी से वृक्ष काटे जा रहे हैं। जिसके कारण हमारे आसपास के जंगल तेजी से सिकुडऩे लगे हैं।

आनंद मिश्रा बताया कि हमारा प्रयास हैं कि अमरकंटक के आश्रमों में जंगल की लकडिय़ों की जगह गोबर से बनी गौ काष्ठ का प्रयोग करें। समाज तथा प्रशासन लकडिय़ों की जगह गौ काष्ठ की स्वीकार्यता बनाले तो आश्रम - होटलों की धूनी एवं भ_ियों में जंगलों की बेशकीमती लकडिय़ों की जगह गौ काष्ठ का उपयोग होने से इससे प्रतिवर्ष हजारों पेड़ों को जीवनदान मिलने से पर्यावरण अधिक स्वच्छ, अधिक स्वस्थ हो जाएगा ।

मिश्रा ने बताया कि लकडिय़ों की तुलना में गौकाष्ठ उसके बराबर या उससे थोड़ी मंहगी लग सकती है लकडियों की तुलना मे गौकाष्ठ से कम धुंआ निकलता है,जिसका लाभ व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को संरक्षित करने में होता है। वातावरण भी पवित्र रहता है। बारिश के दिनों में जब लकडिय़ां गीली होती है तो उसे जलाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि गौ काष्ठ सूखी होने के कारण तेजी से आग पकडती है तथा तेज गर्मी पैदा करती है। गौ काष्ठ भविष्य में लकड़ी की कमी को देखते हुए शवदाह तथा अन्य तरह की ऊर्जा का बेहतरीन, सुलभ विकल्प बन सकता है। इसके कारण गोबर की कीमत बढऩे से गौपालक गायों को सड़कों पर आवारा नहीं छोडेगें। अभी वर्तमान में यह शहडोल, अनूपपुर सहित चुनिंदा स्थानों पर उपलब्ध है। इस कार्य में अरिमर्दन द्विवेदी, विनय पाण्डेय, वसुराज शुक्ला, अमन द्विवेदी, श्रेष्ठा द्विवेदी, शौर्य तथा सुबोध मिश्रा की टीम गोबर से गौ काष्ठ बनाने मे मदद कर रही है।

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