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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

नेशनल लोक अदालत में 362 प्रकरणों का हुआ निराकरण, राशि 13,66 करोड़ से अधिक का अवार्ड पारित

कुटुम्ब न्यायालय में पति- पत्नी के बीच विवाद का हुआ पटाक्षेप,राजीखुशी घर रवाना  

अनूपपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार 09 सितम्बर को जिला मुख्यालय अनूपपुर,  तहसील कोतमा व राजेन्द्रग्राम सिविल न्यायालयों सहित 13 खण्डपीठों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। 3040 लंबित प्रकरणों में से कुल 362 प्रकरणों का निराकरण हुआ। प्रीलिटिगेशन के 3590 प्रकरण प्रस्तुत हुए जिनमें से 196 प्रकरणों का निराकरण हुआ। लोक अदालत में कुल राशि 13,66,4,215 अवार्ड पारित किया गया। वहीं

समझाईश दिये जाने पर पति ने अपनी पत्नी को साथ रखने और उसका भरण पोषण करने पर सहमति देते हुए न्यायालय से दोनों राजीखुशी घर के लिये रवाना हुये।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर शनिवार को अनूपपुर जिला न्यायालय सहित तहसील कोतमा व राजेन्द्रग्राम सिविल न्यायालयों सहित गठित 13 खण्डपीठों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन हुआ। अनूपपुर में प्रधान जिला न्यायाधीश एस.एस.परमार ने प्रज्जवलित कर लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विवेक शुक्ला, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज जायसवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद सेवतिया, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महेन्द्र कुमार उइके, न्यायिक मजिस्ट्रेट रामअवतार पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवानी असाटी, न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजली शाह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह, जिला विधिक सहायता अधिकारी दिलावर सिंह सहित अधिवक्ता, कर्मचारी, नगरपालिका, विद्युत, बैंक के अधिकारी, पक्षकार उपस्थित रहें।

लोक अदालत जिला न्यायालय अनूपपुर सहित तहसील न्यायालय कोतमा व राजेन्द्रग्राम में कुल 13 खण्डपीठों का गठन किया गया था, जिसमें राजीनामा योग्य दाण्डिक प्रकरण, चेक अनादरण से संबंधित प्रकरण, बैंक वसूली प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा, वैवाहिक प्रकरण, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, सिविल प्रकरण एवं बिजली व पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के द्वारा किया गया। जिला मुख्यालय अनूपपुर, तहसील कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम में लंबित प्रकरणों में से 3040 प्रकरणों को लोक अदालत मे रेफर किया गया, जिनमे से कुल 362 प्रकरणों का निराकरण हुआ। प्रीलिटिगेशन के 3590 प्रकरण प्रस्तुत हुए जिनमें से 196 प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत के माध्यम से हुआ। आयोजित लोक अदालत में कुल राशि 13664215 अवार्ड पारित किया गया।

कुटुम्ब न्यायालय में प्रस्तुत भरण-पोषण वाद में पत्नी ने पति से भरण पोषण पाने के लिये न्यायालय की शरण ली थी। प्रकरण अनुसार विवाह के एक वर्ष पश्चात ही पति ने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया था जिससे वह अपने मायके में रह रही थी। नेशनल लोक अदालत में लंबे समय से चल रहा पति-पत्नी का विवाद राजीनामा के आधार पर निराकृत हुआ और पति ने अपनी पत्नी को साथ रखने और उसका भरण पोषण करने पर सहमति व्यक्त कर राजीनामा किया।

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