भ्रष्टाचार के मामले में डेढ़ माह में
दूसर पटवारी को मिली सजा
अनूपपुर। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार
निवारण अधिनियम) पंकज जायसवाल की न्यायालय ने थाना विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त
रीवा, अपराध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की
धारा 7, 13(1)डी, 13(2), आरोपी विनोद कुमार सोनी तत्कालीन
पटवारी हल्का लखनपुर तहसील अनूपपुर के प्रकरण में आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार का
अपराध प्रमाणित पाने पर 04 वर्ष का कठोर कारावास व 10000 रू. की राशि के अर्थदण्ड
की सजा सुनाई हैं। न्यायालय ने सजा सुनाते ही आरोपी को कारावास हेतु जेल भेज दिया।
पैरवी विशेष लोक अभियोजक (लोकायुक्त) हेमन्त अग्रवाल जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा
की गई।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि प्रकरण
में फरियादी गोविंद प्रसाद कोल ग्राम लखनपुर स्थित 10 एकड़ कृषि भूमि का सीमांकन
कराना चाहता था, जिस हेतु लोक सेवा केन्द्र में आवेदन
दिया, जिस पर पटवारी द्वारा उसे सूचना दी गई
कि 18 मई 2016 को जमीन का सीमांकन होना है, जिस पर गोविंद
प्रसाद उक्त तिथि को पटवारी का इंतजार करता रहा, और पटवारी नहीं आया, तब गोविंद प्रसाद तहसील कार्यालय में पटवारी विनोद सोनी से मिला
जहां उसके द्वारा सीमांकन कार्य के एवज में 10,000 रू. की मांग की। जिसके बाद
गोविंद प्रसाद साथी अर्जुन पटेल के साथ पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रीवा को लिखित
शिकायत की। लोकायुक्त पुलिस शिकायत की तस्दीक व सत्यापन किया, रिश्वत की मांग को प्रमाणित पाए जाने पर आरोपित पटवारी के विरूद्ध
स्वतंत्र राजपत्रित साक्षियों के समक्ष ट्रेप कार्यवाही करते हुए पटवारी के घर पर
सीमांकन कार्य के एवज में रिश्व्त के रूपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
लोकायुक्त पुलिस प्रकरण की विवेचना के दौरान समस्त दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक एवं
अन्य साक्ष्यों का संकलन कर सम्पूर्ण विवेचना पश्चात अभियोग पत्र विशेष भ्रष्टाचार
न्यायालय अनूपपुर की न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां विशेष लोक अभियोजक
(लोकायुक्त) द्वारा प्रकरण के सम्पूर्ण तथ्यों व साक्ष्यों को न्यायालय के समक्ष
रखा। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात विशेष लोक अभियोजक के तर्क का
प्रमाणित पाते हुए सजा सुनाई।
डेढ़ माह पूर्व विशेष न्यायाधीश
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय पंकज जायसवाल की न्यायालय ने भ्रष्टाचार के
मामले में तत्कालीन पटवारी हल्का बरगवां नं. 02 तहसील व जिला अनूपपुर शैलेन्द्र
शर्मा को 04 वर्ष का कठोर कारावास व 10,000 रू. की राशि के
अर्थदण्ड की सजा सुनाई थी। और आरोपी को न्यायालय से ही जेल भेज दिया गया था।
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