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सोमवार, 27 सितंबर 2021

इतिहास सभी पढ़ते हैं, लेकिन इतिहास बनाने वाले कुछ ही होते है- शीला त्रिपाठी

डूब रहे बालक को बचाने में सोनू ने दिखाई बहादुरी पर किया सम्मानित अनूपपुर। साहस और प्रतिभा का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता। उमर तो कच्ची है, लेकिन हिम्मत एकदम पक्की है। यह कहावत तब सच साबित हो गई जब घनघोर बारिश के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक और पोडक़ी के मध्य पुल डूब गया था जिसमें दो बच्चे भी पानी की तेज धारा में बह गए थे जिसमें से एक बच्चा इस दुनिया में नहीं रहा। पोडक़ी हायर सेकेंडरी स्कूल का विद्यार्थी 16 वर्षीय सोनू बंजारा ने जान की परवाह न करते हुए 11 वर्षीय सूर्यदेव सिंह को बचाकर नया जीवन प्रदान किया। इस बचाव प्रयास में सोनू बंजारा खुद पानी की तेज धारा में समा गया था। उसने अदम्य साहस का परिचय देते हुए न सिर्फ स्वयं को बचाया बल्कि अपने से 5 वर्ष छोटे सूर्यदेव सिंह को भी बचा लिया। इस घटना से प्रेरित होकर जनजातीय विकास एवं सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने वाले श्रीशील मण्डल द्वारा इस अदम्य साहस के लिए सोमवार को सोनू बंजारा को एक सादे समारोह में शीला त्रिपाठी एवं मण्डल के सदस्यों द्वारा सम्मानित किया गया। सोनू बंजारा को पाठ्य पुस्तकें, बस्ता, शाल,साइकिल एवं प्रशस्ति-पत्र दिए गया। इस अवसर पर शीला त्रिपाठी ने कहां कि हम में से अधिकतर इतिहास पढ़ते हैं, लेकिन कुछ ही होते हैं जो इतिहास बनाते हैं, सोनू बंजारा ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए खुद का नाम इस अदम्य साहस के लिए इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज करा लिया है। आज जरूरत है ऐसे साहसी बच्चों की पहचान को जन-जन तक पहुँचाने की ताकि आने वाली पीढिय़ां इनसे शिक्षा ले सकें और दूसरों की मदद करने में आगे आए। इनकी पहचान को सुनिश्चित करने के लिए श्रीशील मंडल प्रतिबद्ध है। जिससे सामाजिक चेतना को बढ़ावा मिल सके।

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