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मंगलवार, 12 मार्च 2024

नदी संरक्षण के लिए नर्मदा यात्रा: 4 हजार किमी की यात्रा का पड़ाव 3 महीने में पहुंची अमरकंटक

3122 किमी की यात्रा में हर घाट पर सुनाते थे शिव कथा, 878 किमी की यात्रा शेष

अनूपपुर। सागर के संत केशव गिरी महाराज नदी संरक्षण के लिए यात्रा 4 हजार किमी की यात्रा में निकले जिसमे  3122 किलोमीटर की यात्रा कर सोमवार को अमरकंटक पहुंच गए। 878 किमी की यात्रा और करेंगे। इस दौरान अबतक 3 महीने की यात्रा पर हर घाट पर लोगों को कथा सुनाते हुए यात्रा कर रहे हैं। इस बीच 215 घाटों की साफ-सफाई करते हुए जल और नदी संरक्षण का संदेश दिया।  

सागर में राम दरबार मंदिर के महंत नदी और जल संरक्षण के लिए 4 हजार किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं। यहयात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। नदी और जल संरक्षण के साथ राष्ट्र कल्याण की भावना को लेकर संतों की टोली के साथ यात्रा की जा रही है। पिछले महीने से केशव गिरी महाराज नर्मदा के हर घाट की सफाई कर रहें हैं और लोगों को शिव कथा सुना रहे हैं। 3122 किलोमीटर की यात्रा तय कर मंगलवार को अमरकंटक पहुंच गई हैं। यहां ॐ नमः शिवाय पंचाक्षर महामंत्र का अखंड जाप माई की बगिया में किया जा रहा हैं।

गृहस्थ संत केशव गिरी महाराज ने बताया कि ब्रम्हलीन दद्दा जी व शिव इच्छा से नर्मदा परिक्रमा सफलतापूर्वक अपने अंतिम पड़ाव पर चल रही है। यात्रा के दौरान करीब 215 छोटे-बड़े घाटों पर शिव भक्तों के सहयोग से साफ-सफाई की गई. इस दौरान वहां आदिवासी क्षेत्रों के महिला-पुरुष व बच्चों को गायत्री मंत्र उच्चारण कराकर सनातन धर्म से जोड़ने का प्रयास किया गया।

अमरकंटक के पहले 5 घरों में जाकर उन्होंने भिक्षा मांगीउसमें जो अन्न शिव इच्छा से मिला उससे अपने साथ चल रही संतों की टोली को स्वयं खाना बनाकर खिलाया गया। उन्होंने बताया कि नर्मदा परिक्रमा के दौरान भिक्षावृत्ति करना शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा करने से परिक्रमा पद पर चल रहे व्यक्ति का पदमानप्रतिष्ठा व अहंकार खत्म हो जाता है।

उन्होंने बताया कि वट वृक्ष का फल बहुत छोटा सा होता है और उसका बीज भी बहुत सूक्ष्म होता है। लेकिन उसी बीज में विशाल वटवृक्ष सूक्ष्म रूप से समाहित रहता है। यह यात्रा कुछ इसी प्रकार की है।

संत केशव गिरी ने बताया कि आगे की यात्रा अब 878 किलोमीटर की यात्रा शेष रह गई है। जो अमरकंटक से कुकरा मठ में प्रसिद्ध ऋण मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन करके डिंडोरी चाबी गांव व बरगी बांध को घेरते हुए जबलपुर के आगे के घाटों पर साफ-सफाई व पूजन पाठ करते हुए संतों की टोली बरमान घाट पहुंचेगी।



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