ईओडब्लू ने भोपाल के 5 दवा कारोबारियों के सहित 13 के खिलाफ दर्ज किया मामला
अनूपपुर। कोरोना काल में की गई खरीदी का असर 6 वर्ष देखने को मिला, जहां तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अनूपपुर द्वारा वर्ष 2019 से 2022 के बीच खरीदे गए उपकरणों की शिकायत
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से की गई थी जिस पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
अधिकारी एवं अपर कलेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। साथ ही उपकरणों की सप्लाई करने वाली भोपाल
निवासी 3 फर्म के 5 संचालकों के खिलाफ एफआईआर की है। जिसमें 10999 रुपए में
मिलने वाले जंबो साइज के ऑक्सीजन सिलेंडर को 16900 रुपए में और 68 रुपए कीमत वाली
आरएफ किट 4156 रुपए में खरीदी गई है। यहां 14 उपकरणों की खरीदी मप्र पब्लिक हेल्थ
कार्पोरेशन ने अप्रूव्ड रेट से कई गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी।
7 करोड़ के बजट से 778 उपकरण खरीदी
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की जांच रिपोर्ट के अनुसार अनूपपुर जिला चिकित्सालय और दूसरी
स्वास्थ्य संस्थाओं में मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने उपकरणों की खरीदी की
गई। इसके लिए प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत 7 करोड़ 11 लाख रुपए
से ज्यादा का बजट दिया था। जिसमे 778 प्रकार के उपकरणों की खरीदी के ऑर्डर भोपाल
के गौतम नगर में रहने वाली एक फैमिली की 3 फर्मों को दिया गया। वहीं, एक उपकरण की खरीदी कटनी की फर्म से की गई। जिसमें मप्र पब्लिक
हेल्थ कार्पोरेशन भोपाल के तय दर को दरकिनार किया गया, और 61 गुना महंगी दर पर मशीनों की खरीदी की गई। उपकरण खरीदी के इस
मामले में 33 लाख रुपए से ज्यादा का फायदा संबंधित फर्मों को हुआ है। जिसकी खरीदी
तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीडी सोनवानी, सिविल सर्जन डॉ. एसआर परस्ते और अपर कलेक्टर बीडी सिंह ने की।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रीवा जांच, 13 को बनाया आरोपी
नवंबर 2019 में अनूपपुर जिला स्वास्थ्य विभाग ने खरीदी टेंडर जारी
किए थे। टेंडर 5 लोगों ने डाले थे। चार की निविदाएं खोली नहीं गई और एक व्यक्ति को
लाभ पहुंचाया गया। करीब 7 करोड़ के इस टेंडर में 5 करोड़ का भुगतान कर भी दिया
गया। इसके बाद दिसंबर 2020 में आर्थिक अपराध शाखा भोपाल में इस मामले की शिकायत
हुई। जांच के बाद मार्च 2021 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रीवा में जीरो पर मामला रजिस्टर्ड किया गया था। वहीं जांच के लिए
रीवा आर्थिक अपराध शाखा को अधिकृत किया गया था। 3 अगस्त 2023 को अनूपपुर सीएमएचओ
दफ्तर में टीम पहुंची थी। तब वहां तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी मौजूद थे।
टीम के सदस्यों ने उनकी मौजूदगी में फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेजों को जब्त किया
था। इस कार्रवाई को आशीष मिश्रा सब इंस्पेक्टर, घनश्याम त्रिपाठी हेड कांस्टेबल के नेतृत्व में टीम ने अंजाम दिया
था। चार साल तक चली लंबी जांच के बाद भोपाल ईओडब्लू ने इस मामले में 27 मार्च 2024 को असल कायमी करते हुए 13 लोगों को
आरोपी बनाया है।
जिसमे डॉ. बीडी सोनवानी, तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अनूपपुर, रामखेलावन पटेल, तत्कालीन स्टोर कीपर, सीएमएचओ कार्यालय, महेश कुमार दीक्षित, तत्कालीन लेखापाल सीएमएचओ कार्यालय, बीडी सिंह, तत्कालीन एडीएम अनूपपुर, डॉ.एसआर परस्ते, तत्कालीन सिविल सर्जन अनूपपुर एवं अध्यक्ष क्रय समिति जिला
चिकित्सालय, अनूपपुर, डॉ. बीपी शुक्ला मेडिकल विशेषज्ञ एवं बीएमओ सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र, जैतहरी एवं, सदस्य क्रय समिति, डॉ. डीके कोरी, निश्चेतना विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय अनूपपुर एवं सदस्य क्रय समिति, डॉ. मोहन सिंह, श्याम मेडिकल एवं सदस्य क्रय समिति, सुनैना तिवारी, डायरेक्टर मेसर्स साइंस हाउस मेडिकल्स प्राइवेट, गौतम नगर भोपाल, जितेंद्र तिवारी, डायरेक्टर मेसर्स साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड, गौतम नगर भोपाल,अनुजा तिवारी, गौतम नगर, भोपाल, शैलेंद्र तिवारी, गौतम नगर, भोपाल, महेश बाबू शर्मा, गौतम नगर, भोपाल का नाम शामिल हैं।
आरोपियों में तत्कालीन एडीएम अब दिवंगत
आरोपियों में शामिल अनूपपुर के तत्कालीन अपर कलेक्टर बीडी सिंह का नाम भी शामिल हैं। तब वह क्रय समिति के अध्यक्ष थे।
जांच के दौरान उनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन एफआईआर में उनका नाम है। वहीं, अन्य आरोपियों के खिलाफ 420, 409, 120 बी, भादवि एवं 13 (1) ए, 13(2) व.नि.अ. 1988 संशोधन अधिनियम 2018 के अंतर्गत मामला दर्ज
किया गया है।
पात्र फर्मों को साजिशन टेंडरिंग से बाहर किया
ईओडब्ल्यू की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री
खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत स्वीकृत बजट से खरीदी के लिए बनी तत्कालीन एडीएम
बीडी सिंह की अध्यक्षता वाली समिति में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी बतौर
सदस्य शामिल थे। पात्र दवा सप्लाई फर्म को टेंडरिंग से बाहर करने की साजिश मुख्य
चिकित्सा अधिकारी रहे डॉ. सोनवानी ने
की थी। इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिविल सर्जन और दवा स्टोर के स्टोर कीपर और अकाउंटेंट ने टेंडरिंग
में उपकरणों की बिक्री के ऑफर्ड रेट की डेटा टेबल ही नहीं बनवाई थी। इतना ही नहीं
टेंडरिंग के दौरान जिन फर्म के रेट सबसे ज्यादा अधिक थे, उस फर्म को पात्र करने के लिए कम रेट ऑफर करने वाले दवा सप्लायर को
टेंडरिंग से बाहर कर दिया था।
पिता-पुत्र और बहुओं की 3 फर्म ने सप्लाई किए 13 उपकरण
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ कि मेसर्स सिन्को इंडिया लिमिटेड
इंदौर, मेसर्स साइंस हाउस
मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड और अनुसेल्स कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 13 प्रकार के
उपकरणों की खरीदी की गई। तीनों ही फर्म के संचालक भोपाल के गौतम नगर में रहते हैं।
साथ ही फर्म के संचालकों का आपस में रिश्ता पिता-पुत्र और पुत्रवधु (बहू) का है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें