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शुक्रवार, 25 मार्च 2022

गुटो में बटी कांग्रेस: प्रर्दशन के लिए कार्यकर्ताओं का टोटा,जिलाध्यक्ष की कार्यशैली से नराज आम कार्यकर्ता

खरी-खरी अनूपपुर। पूरे देश में आज कांग्रेस की हालत किसी से छुपी नहीं है राष्ट्रीय नेता की अदूरदर्शिता व प्रदेश के नेताओं की गुटबाजी से कार्यकर्ताओं का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका है। संगठन में जान फूंकने के लिए बड़े नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और उस पर अमल करना कोसों दूर होता है। सरकार का विरोध करना हो या प्रदर्शन पार्टी को कार्यकर्ता ढूंढे नहीं मिलते। प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार पूर्व मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी की भेंट चढ़ गई। बेटा और भतीजा के चक्कर में कमलनाथ सरकार को गिराकर भाजपा की सरकार बनाने में पूरा सहयोग दिया। कुछ दिन पूर्व अखबारों में खबर आई कि कांग्रेस संगठन में अब कोई विधायक संगठन का पदाधिकारी नहीं होगा लेकिन यह खबर तो खबर बन कर रह गई। आज पूरे प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष सहित जिलों के अध्यक्ष विधायकों के हाथ में है जिससे जिले का संगठन पूरी तरह चरमरा गया है। इसके साथ ही विधायकों की गुटबाजी संगठन को गर्त में ले जा रही है। लोगों की माने तो कांग्रेस संगठन अब मृतप्राय किस श्रेणी में पहुंच चुका है। अनूपपुर में होली के दिन सोन नदी में डूबने से तीन मासूमों की जिंदगी समाप्त हो गई और कांग्रेस अध्य क्ष ने जोर-शोर से कहा था कि विरोध प्रर्दशन कर ज्ञापन सौंपा जायेंगा। किंतु जब ज्ञापन सौंपने की बारी आई तो कांग्रेस में इतनी शक्ति नहीं रहेगी वह दिन के उजाले में ज्ञापन सौंप सकें। जिला संगठन शाम को ज्ञापन सौंपा जब कोई देखने वाला ना हो सिर्फ अखबारों में फोटो छपवा के अपनी वाहवाही लूट रहे है। गिने-चुने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच कर चुपचाप अधिकारी को ज्ञापन दे दिया जाता है जिससे कोई हल्ला ना हो और ना कोई व्यक्तियों की संख्या गिन सके। इसी तरह 24 मार्च को महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष ने भी यही किया पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि को लेकर महिला कांग्रेस प्रदर्शन करने की सोची किंतु उनके पास इतने भी लोग नहीं थे की बैनर पकड़ का चल सके,इसके लिए स्कूल की बच्चियों को बुलाकर बैनर पकड़ाया और चंद महिलाएं बैनर के पीछे खड़ी होकर फोटो खिंचवा कर खबर के लिए अखबारों में दे दिया कि महिला कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। जिस संगठन के पास कार्यकर्ताओं का टोटा है, और जिले में गुटों में बंटी हुई पार्टी जिसका जिलाध्यक्ष सिर्फ अपने विधानसभा तक ही सीमित है जिले के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों से कोई लेना-देना नहीं अध्यक्षी बचाने व अगली बार विधायकी की टिकट मिल जाए इसी गणित में लगे रहते। इससे धीरे-धीरे पूरा संगठन जिले में खत्म हो रहा हैं। सक्रिय कार्यकर्ताओ की पूछ- परख नहीं होने अध्य क्ष की निष्क्रियता के कारण कई बड़ें नेताओं ने भाजपा का दामन थामा लिया हैं। लोगो का मानना है कि सरकार गिराने में भी इनकी भूमिका महत्विपूर्ण रहीं हैं। नर्मदा जन्मोत्सव के दौरान जिस तरह से इन्होंने अपना आपा खोया था और भरे मंच वरिष्ठ नेता व विधायक का अपमान करना यही सब कारण कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त रहा है। दिग्विजय सिंह के इशारों पर चलने वाले जिला अध्यक्ष उन्हीं की राह पर चलकर भाजपा को बहुमत दिलाने और अपनी सीट बचाने में लगे हुए हैं।

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