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शनिवार, 12 मार्च 2022

समझौता ज्ञापन औषधीय एवं सुगंधित फूलों के संरक्षण, विपणन और उत्पादन के लिए कारगर सिद्ध होगा- कुलपति

जनजाति विश्वविद्यालय, अनूपपुर जिला प्रशासन और सीमैप द्वारा औषधीय एवं सुगंधित फूलों के संरक्षण, विपणन और उत्पादन हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर अनूपपुर। विश्वविद्यालय के 13 संकाय और 35 विषय में संलग्न शिक्षकों द्वारा उच्च कोटि शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु शोध कार्य करके 'वोकल फॉर लोकल' की अवधारणा को चरितार्थ करने हेतु विश्वविद्यालय परिवार पूर्णरूपेण कटिबद्ध है। 12 मार्च को विश्वविद्यालय द्वारा त्रिस्तरीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है। जिसमें विश्वविद्यालय के साथ सीमैप और अनूपपुर जिला प्रशासन संयुक्त रूप से शामिल हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि 'जनजातीय समाज का उन्नयन करना विश्वविद्यालय का उद्देश्य है और जनजातीय समाज के कौशल विकास का उन्नयन कर उसे वैश्विक पटल पर स्थापित करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महती भूमिका निभा रहा है। साथ ही राष्ट्र की गौरवशाली संस्कृति एवं परंपरा के संपोषक एवं संवाहक बनने की राह निर्मित कर रहा है। यह समझौता ज्ञापन औषधीय एवं सुगंधित फूलों के संरक्षण, विपणन और उत्पादन के लिए कारगर सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री का संदेश है कि जब तक ग्रामंचल आत्मनिर्भर नहीं होंगे तब तक संपूर्ण भारत आत्मनिर्भर नहीं हो पाएगा। यह समझौता ज्ञापन इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, औषधियां मानव संरक्षण में सहायक होती है अतः मानव को भी औषधियों का संरक्षण करना चाहिए। इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से वन औषधियों के विपणन और उत्पादन से किसान समर्थ बनेंगे और विकास की मुख्यधारा में शामिल होंगे। आज आवश्यकता है परंपरागत ज्ञान को आधुनिक ज्ञान से जोड़ने की यह समझौता ज्ञापन इसी तरह के जोड़ को अभिव्यक्त करता है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए कलेक्टर सोनिया मीणा ने इस समझौता ज्ञापन को मील का पत्थर बताते हुए कहा की समझौता ज्ञापन किसानों और क्षेत्र के विकास के लिए उपयोगी साबित होगा यहां पर तकनीकी सहायता के माध्यम से सुगंधित एवं औषधि पौधों को बचाए जाएगा। उनका विपणन होगा, कृषि आधुनिक पद्धति से होगी और यहां के कृषक औषधीय पौधों के उत्पादन से विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे यह क्षेत्र बायोस्फियर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, जिसमें की विभिन्न तरह की औषधियां और सुगंधित पुष्प हैं जिनकी पहचान और संरक्षण आवश्यक है। यह समझौता ज्ञापन इसी दिशा में कार्य करेगा ऐसा मुझे विश्वास है'। सीमैप के डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि 'आज का दिन अत्यंत गौरव का दिन है, हमने इस तरह के समझौता ज्ञापन कई बार किए लेकिन यह त्रिस्तरीय समझौता ज्ञापन अद्भुत है, इससे ना सिर्फ कृषकों की आय बढ़ेगी बल्कि यहां के सुगंधित पुष्प और औषधियों का विपणन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो सकेगा। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना तीनों संस्थाओं के लिए गौरव की बात है'। समझौता ज्ञापन पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव पी. सुल्वेनाथन द्वारा हस्ताक्षर किए गए और डीन एकेडमिक प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने विश्वविद्यालय की विकास यात्रा को सबके सामने रखा और कहा कि यह समझौता ज्ञापन अपने आप में अनूठा है इससे औषधीय एवं सुगंधित फूलों का संरक्षण और विपणन आसान होगा। विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जनजातीय अध्ययन विभाग, मानव विज्ञान तथा समाजशास्त्र विभाग, इनोवेशन क्लब, इनक्यूबेशन सेंटर यह सभी वनस्पति जगत के लिए और क्षेत्र के किसानों को मूल धारा से जोड़ने का कार्य करेंगे जिसमें औषधीय एवं सुगंधित फूल मुख्य होंगे। संचालन डॉक्टर रविन्द्र शुक्ला धन्यवाद प्रो. विजय प्रमाणिक द्वारा दिया गया। इस अवसर पर इस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी, प्रोफेसर मनीषा शर्मा, प्रोफेसर एम.टी.वी. नागराजू, प्रोफ़ेसर मूर्ति, प्रोफेसर पूनम शर्मा आदि शामिल थे।

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