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सोमवार, 7 मार्च 2022

102 उप स्वास्थ्य केन्द्र में 7 लाख की राशि से 12 तरह के कार्यो की मरम्तल के नाम पर सिर्फ बाहरी रंग-रोगन

ठेकेदार व उपयंत्री की जोड़ी ने बाहरी दीवारों को चमका कर किया कोरम पूरा अनूपपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जीर्णशीर्ण हो चुके उपस्वास्थ्य केन्द्रों के मरम्त के लिए स्वीकृत की गई राशि पर ठेकेदार व एनएचएम उपयंत्री द्वारा करायें जा रहें कार्य की गुणवत्ता पर प्रश्र चिन्ह खड़ा हो गया हैं, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण उपस्वास्थ्य केन्द्रों में सिर्फ बाहरी रंग-रोगन का कार्य करते हुए शासकीय राशि का आहरण करने पूरा जुगत बनाये है। आश्चर्य की बात है कि ब्लॉक स्तर के किसी भी अधिकारियों को उप स्वास्थ्य केन्द्र में चल रहे मरम्त के संबंध में कोई जानकारी नही है, जिला स्तर से हमें इस संबंध में कोई भी जानकारी से अवगत नही कराया गया है। स्वास्थ्य विभाग का यह कोई नया कारनामा नही है बल्कि आये दिन अपने करनामों के कारण स्वास्थ्य विभाग सुर्खियों में रहता है। जानकारी अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर्स हेतु जिले के चिन्हित उप स्वास्थ्य केन्द्रों के जीर्णशीर्ण वनों को उनके पुननिर्माण हेतु प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्रों को लगभग 7 लाख रूपए की राशि स्वीकृत किया गया था। जिनमें रंग-रोगन, वॉटर सिपेज, फर्श, लेटबॉथ, विद्युतिकरण, पेयजल लाइन, रैप निर्माण, कमरों में टाइल्स, बॉउन्ड्रीवॉल, योगा शेड का निर्माण सहित 12 तरह के कार्यो की सर्विस शामिल है। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक जिले की एक भी उप स्वास्थ्य केन्द्रों में पूर्ण रूप से मरम्त कार्य नही किया गया। पूरे मामले में एनएचएम के उपयंत्री सतीश शुक्ला व ठेकेदार द्वारा उप स्वास्थ्य केन्द्र के मर मत कार्यो में सिर्फ बाहरी रंग-रोगन का कार्य करते हुए राशि आहरित करने के जुगाड़ में है। 102 उप स्वास्थ्य केन्द्रों का होना है मर मत कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने हेतु जहां शासन व प्रशासन लगातार प्रयासरत है। वहीं अनेको सुविधाओं के माध्यम से ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने हेतु कई योजनाएं भी संचालित है। जिसमें जिले के लगभग 102 उप स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत जीर्णशीर्ण होने पर मरम्तभ के लिये राशि उपलब्ध कराते हुए टेंडर प्रक्रिया की गई। ठेकेदार द्वारा जिले के किसी भी उप स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्धारित मापदंडों के अनुसार मरम्त कार्य नही किया गया। दीवाल व छत सीपेज होने पर भी रंगाई व पुताई, बंद पड़े नल कनेक्शन, पानी की अनुपलब्धता, जर्जर शौचालय सहित योगा शेड, फर्श में टाइल्स जैसे महत्वपूर्ण कार्य जस के तस बने हुये है। जिसके कारण उप स्वास्थ्य केन्द्र बदहाली का शिकार है। उपयंत्री और ठेकेदार द्वारा मिलीभगत कर सिर्फ भवनों में रंग-रोगन कार्य करते हुए बाहरी दीवारों को चमका दिया गया है। उप स्वास्थ्य केन्द्रों के शौचालय जर्जर हालत में उपयोग विहीन है। जिसके कारण यहां कार्य रहे महिला कर्मचारी लगातार परेशान है। जिला व ब्लॉक स्तर पर नही है कोई जानकारी जीर्णशीर्ण उपस्वास्थ्य केन्द्रों में मर मत कार्य के लिए राशि आवंटित होने के साथ ही टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हुये एक वर्ष हो चुके है। लेकिन उप स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ सीएचओं से लेकर ब्लॉक व जिला स्तर के अधिकारियों के पास इस संबंध में कोई जानकारी ही उपलब्ध नही है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र में मेंटनेंस कार्य में क्या-क्या किया जाना है। इसके साथ ही एनएचएम के उपयंत्री सतीश शुक्ला द्वारा से जानकारी मांगे जाने पर उनके पास किसी तरह की जानकारी न होने संबंधी आश्यर्च चकित करने वाला जवाब दिया गया। 7 लाख में सिर्फ उप स्वास्थ्य केन्द्रों का रंग-रोगन जहां प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्रों में मेंटनेंस के लिये 7 लाख रूपये से ठेकेदार को रंग-रोगन, विद्युतिकरण, पेयजल सहित रैप निर्माण, कमरों में टाइल्स, शौचालय, बॉउन्ड्रीवॉल, योगा शेड का निर्माण कर देना है। लेकिन एनएचएम के उपयंत्री व ठेकेदार द्वारा ठेकेदार से मिलीभगत कर सिर्फ उप स्वास्थ्य केन्द्रों में रंग-रोगन का कार्य कराते हुए उसे बाहर से चमका रहे है। लेकिन अंदर की स्थिति जस की तस बनी हुई है। उप स्वास्थ्य केन्द्रो में न तो पानी सप्लाई संबंधी और न ही शौचालय का मर मत कार्य किया गया। जिसके कारण उप स्वास्थ्य केन्द्रो की स्थिति दयनीय बनी हुई है और न ही योगा के लिय शेड बनाया गया है। ठेकेदार लापता, उपयंत्री करा रहा कार्य स्वास्थ्य विभाग के जिला व ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को उप स्वास्थ्य केन्द्र में मेंटनेंस का कार्य कर रहे ठेकेदार के संबंध में किसी को कोई जानकारी नही है, न तो इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग रूचि ले रहा है। जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को किस ठेकेदार को कार्य मिला है व ठेकेदार का नाम तक नही पता है। वहीं गुणवत्ता विहीन व अधूरे कार्यो को पूरा दिखाने के कारण इसका खमियाजा ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ेगा। इतनी बड़ी लापरवाही या फिर जानबूझकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य पर पर्दा डाला जा रहा है, इस पर विभाग के अधिकारियों पर ही प्रश्र चिन्ह खड़ा हो रहा है। वहीं मेंटनेंस कार्य कराने वाला ठेकेदार लापता हो गया है, लेकिन उपयंत्री उक्त कार्यो को कराने में जी-जान से से जुटे हुये देखे गये है। सीएचओं की आधा सैकड़ा शिकायत खा रही धूल उपस्वास्थ्य केन्द्रो में मरम्ती का कार्य पूर्ण कर उन्हे सीएचओं के आवासीय भवन के रूप में बनाना है। लेकिन गुणवत्ता विहीन कार्य होने के साथ आधे अधूरे किये गए कार्यो पर भवन में न तो शौचालय, पेयजल की व्यवस्था पूर्ण नही की गई। जहां गुणवत्ता विहीन कार्य के साथ आधे अधूरे कार्य होने पर इसकी शिकायत जिले की लगभग आधा सैकड़ा सीएचओं द्वारा जिला स्तर पर मौखिक व लिखित रूप से की जा चुकी है। लेकिन सीएचओं की शिकायत कार्यालय में धूल खा रही है। सीएमएचओं अनूपपुर डॉ.एस.सी.राय का कहना हैं कि पूरे मामले में उपयंत्री सतीश शुक्ला को बुलाया गया है, जिनसे जानकारी लेकर गुणवत्ता विहीन व मापदंडों के अनुरूप कार्य होने पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।

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