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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

इंगांरावि नवाचार के क्षेत्र में आगे बढक़र वैश्विक फलक पर सशक्त भारत के रूप में स्थापित होगा- रमेश पोखरियाल निशंक


मेडिकल कालेज खोले जाने की घोषणा,
स्वर्ण पदकों में लड़कियों ने मारी बाजी 209 को स्वर्ण पदक, 3582 को दी गई दीक्षा

अनूपपुर। आज का दिन किसी भी संस्थान एवं वहां शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्याॢथयों हेतु गौरव का दिन होता है। यह दिन जीवन एवं कर्म पथ पर आगे बढऩे का प्रस्थान ङ्क्षबदु भी होता है। आप आत्मनिर्भर भारत जो कि प्रधानमंत्री का सपना है, के कारण और कारक दोनों हैं। आपके ही द्वारा भारत ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार के क्षेत्र में आगे बढक़र वैश्विक फलक पर सशक्त भारत के रूप में स्थापित होगा। शिक्षा के माध्यम से जनजातीय कला संस्कृति, भाषा, ज्ञान, विज्ञान को लोकल से ग्लोबल भारत बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय एवं यहां के शिक्षक महती भूमिका का निर्वहन कर रहें हैं। स्थानीय वनोपज को तकनीकी माध्यम के द्वारा प्रचारित एवं विपणन हेतु विश्वविद्यालय निरंतर प्रयत्नशील है। जिससे यहां के जनजातीय समुदाय का विकास हो रहा है और समग्र विकास की संकल्पना साकार हो रही है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में तृतीय दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहीं। तृतीय दीक्षांत समारोह बेबीनार के माध्यम से हुआ। जिसमे विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली प्रो.डीपी सिंह रहें।

विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय निवासियों के विकास हेतु किए जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे गांवों को गोद लेकर विकसित करना, जीविका उपार्जन व नवाचार केंद्र के कार्यों, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय में रोजगार परक शिक्षा के अवसरों की वृद्घि के लिए चिकित्सालय एवं चिकित्सा विज्ञान संकाय (मेडिकल कालेज) खोले जाने की घोषणा की। 

उन्होंने विश्वविद्यालय स्थापना का उद्देश्य जनजातीय विद्यर्थियों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अवसर प्रदान कर उन्हें देश के विकास से जोडऩा तथा उनकी कला व संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करना है। प्रसन्नता है कि कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष कहा कि आज ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के जिस उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विष्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया था, वह पूरा होता हुआ दिख रहा है। शिक्षा के माध्यम से ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का कार्य होता है। विष्वविद्यालय की युवा शक्ति सद्मार्ग और मूल्यपरक शिक्षा व आचरण द्वारा नई शिक्षा नीति २०२० को सफल बनाकर भारत को वैष्विक फलक पर गौरवान्वित करने में सफल हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं।


इंगांराजवि में तृतीय दीक्षांत समारोह में दीक्षार्थियों को बेबीनार माध्यम से दी गई दीक्षा 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में तृतीय दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2007 में स्थापित है विश्वविद्यालय ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान एवं सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में अपने योग्य शिक्षकों कर्मठ कर्मचारियों एवं ऊर्जावान विद्यर्थियों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदित है। विश्वविद्यालय के 12 संकायों के अंतर्गत 32 विभाग कार्य कर रहे हैं। जिनमें 29 स्नातक 35 स्नातकोत्तर और 31 पीएचडी कार्यक्रम चलाए जाते हैं। विष्वविद्यालय की विशिष्टता का आकलन इस तथ्य के आधार पर किया जा सकता है कि इसके कुल छात्रों की संख्या का 72 प्रतिशत समाज के कमजोर वर्ग से आते है। जिसमें अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की संख्या 30 प्रतिशत अनुसूचित जाति की 15 अन्य पिछड़े वर्गों की 10 तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की संख्या 1 प्रतिशत है। सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों की कुल संख्या 28 प्रतिशत है। विद्यार्थियों की संख्या लड़कियों की शिक्षा के बढ़ते अनुपात को दर्शाती है। जिसमे 42 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। 32 विभागों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर परंपरागत पाठ्यक्रम के साथ-साथ व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को भी प्रोत्साहन दे रहा है। इस क्षेत्र की भौगोलिक, जनजातीय तथा जैविक बहुलता को देखते हुए तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निहित इन प्रकरणों को महत्व देने की दृष्टि के अंतगर्त विश्वविद्यालय अपने शिक्षण एवं शोध के माध्यम से पूरे क्षेत्र के उस ज्ञान और कौशल को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए कटिबद्घ है जो आदिवासी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली में समाहित है। इस अवसर पर विभिन्न विषयों के योग्य विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई,

स्वर्ण पदकों में लड़कियों ने मारी बाजी

विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली उपाधि प्रत्येक अकादमिक वर्ष में विद्यार्थियों की उपलब्धियों के आधार पर मूल्यांकन के पश्चात प्रदान किया जाता है। इसी मूल्यांकन के आधार पर कई प्रकार की उपाधियां दी जाती है। विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुलपति स्वर्ण पदक, उशा स्मृति स्वर्ण पदक, गिरिराज किशोरी अग्रवाल स्मृति स्वर्ण पदक और बिसाहु दास महंत स्वर्ण पदक विषयवार सर्वोत्तम उपलब्धि के आधार पर प्रदान की जाती है।

वर्ष 2017 में स्नातक स्तर पर 25 और स्नातकोत्तर स्तर पर 21 स्वर्ण पदक दिया गया है जिसमें बीसीए की छात्रा अमिशा अग्रवाल को सबसे ज्यादा 4 स्वर्ण पदक मिले हैं तथा किषन लाल को दो स्वर्ण पदक मिले हैं वहीं स्नातकोत्तर की कम्प्यूटर साइंस की छात्रा सुरभी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले। वर्ष 2018 में व्यावसायिक अध्ययन की श्रुति सिंह बघेल को 4 स्वर्ण पदक और एकता अष्वनि को दो स्वर्ण पदक मिले तथा स्नातकोत्तर में गणित के लिए ज्योतिमा शुक्ल को दो स्वर्ण पदक मिले । इस वर्ष कुल स्नातक स्तर पर 25 स्वर्ण और स्नातकोत्तर स्तर पर 25 स्वर्ण पदक दिया गया। वर्ष 2019 में स्नातक में 25 स्वर्ण पदक और स्नातकोत्तर में 27 स्वर्ण पदक दिया गया। स्नातक की निशिका विशनानी ने विश्वविद्यालय द्वारा दिए जाने वाले सभी 5 स्वर्ण पदक प्राप्त की। जबकि एमसीए की छात्रा विन्नी अग्रवाल को दो स्वर्ण पदक मिले। वर्श 2020 में स्नातक स्तर पर 27 और स्नातकोत्तर स्तर पर 29 स्वर्ण पदक दिया गया, जिसमें सविता धुर्वे को दो स्वर्ण पदक तथा फार्मेसी की शालिनि शुक्ल को चार स्वर्ण पदक मिले हैं और स्नातकोत्तर में गणित की छात्रा प्रतिभा त्रिपाठी को स्नातकोत्तर का दोनों स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। उपलब्धियों  के आधार बेटियों ने सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक हासिल कर यह साबित कर दिया है कि उन्हें मौका मिले तो इस वनांचल की बेटियां भी देश की तरक्की में अपना योगदान दे सकती हैं। इस तरह बेटियों की उन्नति निष्चय ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाओ‘‘ को सार्थकता प्रदान करती है।

कार्यक्रम का शुभारंभ वाग्देवी सरस्वती पूजन व पं. हरिराम पांडे द्वारा स्वस्ति वाचन के साथ हुआ। कुलाधिपति प्रो. मुकुल ईश्वरलाल शाह ने दीक्षांत समारोह की औपचारिक घोषणा की तत्पश्चात संबंधित संकायाध्यक्षों ने दीक्षार्थियों को दीक्षा हेतु प्रस्तुत किया। इस अवसर पर दीक्षांत स्मारिका एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। दीक्षांत कार्यक्रम में सांसद हिमाद्री सिंह, सांसद ज्योत्सना महंत, कोरबा,विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को, पुष्पराजगढ़, कुलाधिपति मुकुल ईश्वरलाल शाह, कार्यपरिषद विश्वविद्यालय कोर्ट तथा विश्वविद्यालय परिषद के सदस्यगण संकाय अध्यक्ष गण विभागाध्यक्ष गण प्रशासनिक अधिकारी एवं शैक्षणिक एवं कर्मचारियों के साथ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े स्वर्ण पदक तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यर्थियों के परिवार जन उपस्थित थे।

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