कमजोर विपक्ष से सरकार को कोई खतरा नहीं, मध्यवर्गीय परिवारों पर टूटा पहाड़
अनूपपुर। मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान बढ़ती महंगाई को लेकर फिल्मों और टीवी धारावाहिको में जमकर अलोचाएं होती रही हैं। महंगाई को लेकर कई फिल्मी गानों बनायें गये। उस दौर में पीपली लाईव का गाना बहुत हिट हुआ जिसमे कहा सैंया तो खूबय कमात है महंगाई डायन खाए जात हैं जिसके बाद चुनाव में मनमोहन सिंह की सरकार को मुंह की खनी पड़ी थी। इसका फायदा विपक्ष में रहीं भाजपा ने जमकर उठाया। कल की स्थिति आज भी हैं किन्तु कमजोर विपक्ष सरकार के जनविरोधी फैसले का विरोध नहीं कर पा रहीं हैं। जिससे आज महंगाई अपने उच्चतम शिखर पर चढऩे को बेताब हैं।
अनूपपुर को मप्र का प्रवेश द्वार कहें या अंतिम जिला सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता आज नगर में साधारण पेट्रोल की कीमत 100 के आंकड़े को पार करते हुए 18 फरवरी को 100.30 पैसे अब तक की महंगाई का रिकॉर्ड बना चुकी है। रिकॉर्ड बनाने में डीजल भी आमादा है शहर में इसका मूल्य 90.73 पैसे पर है किंतु जल्द ही पेट्रोल की भी शतक के आंकड़े को छूती हुई नजर आएगी। इतना ही नहीं भारत का सबसे मंहगे पेट्रोलियम पदार्थों के लिए अनूपपुर जिले का नाम हैं।
लगातार बढ़ती पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि से आमजन की जेब फट रही है किंतु सरकार अपनी जेब सिल रही हैं वोट की राजनीति से मुफ्त की योजनाएं जहां निचले स्तर कमजोर बना रही हैं तो वही इन योजनाओं से मध्यवर्गीय परिवार चक्की के दो पाटों की तरह पिस रहा है। जिससे सरकार के प्रति गुस्सा पनप रहा हैं जिसका असर दोनों सरकारों आने वाले दिनों में दिखाई देगा।
कोरोना काल से सरकार मध्यवर्गीय परिवारों के लिए कुछ नहीं किया वहीं निचला तबका सबसे ज्यादा मजे में रहा इस दौरान सरकार ने अनाजों के भंडार खोलकर उन तक पहुंचाया इसी दौर में स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ दयालू मध्यवर्गीय परिवारों ने अपने सामर्थ्य अनुसार मदद की। उच्च वर्ग कोई परेशानी नहीं हुई सबसे ज्यादा परेशान रहा मध्यवर्गीय जो आज तक महंगाई की चक्की में पिस रहा है। पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि ने सबका बजट बिगाड़ा है।
इसका विरोध विपक्षी भी ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा एक अच्छे विपक्ष की भूमिका को निभाने में असफल है जहां प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस में अपना विरोध दर्ज कराया है वहीं पूरे प्रदेश में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला स्थानिय विपक्ष तो पूरी तरह शून्य नजर आता है ऐसा लग रहा है की पूरा विपक्ष सरकार के दबाव के आगे नतमस्तक है।
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