इंगांराजवि का आदिवासी संग्रहालय आने वाली पीढ़ी गौरवशाली इतिहास और महत्व जानने पुरातात्विक धरोहरों को सहेजा
अनूपपुर। विश्व संग्रहालय दिवस 18 मई
को मनाने का उद्देश्य यह है कि हम अपने आसपास की प्राचीन धरोहरों, अवशेषों को सहेज कर रखें जिससे हम और हमरी आने वाली पीढ़ी इसका गौरवशाली
इतिहास और महत्व जान सके। प्रदेश की संस्कृति एवं धरोहरों को संरक्षित रखने एवं प्रचारित
करने के लिये विभाग संकल्पित है। सम्पूर्ण जिले में आज भी कई ऐसी धरोहरें हैं।
किसी भी क्षेत्र का इतिहास जानना हो तो उस क्षेत्र का संग्रहालय अवश्य देखना चाहिए
इससे क्षेत्र का ऐतिहासिक काल, मूर्तिकला, शासक और संस्कृति
का पता चलता है, इन्ही सबको ध्यान
में रखकर 1981 तीर्थंकर महावीर पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना की गयी थी। इसका
उद्देश्य जिले की पुरातात्विक धरोहरों को सहेजना और उसका महत्व बताना है। जिले के इंगांराजवि
अमरकंटक के संग्रहालय में अनूपपुर, शहडोल और उमरिया जिले की तीसरी सदी से लेकर तेरहवीं सदी तक प्राचीन
मंदिरों से और खुदाई में मिली मूर्तियां, कलचुरी वंश की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, शिल्पियों द्वारा बनाई गई कलाकृति और पुरातत्व के अवशेष, पाषाण कालीन पत्थर के औजार मौजूद है। शोध करने वाले छात्रों के लिए
संग्रहालय स्वयं जीता जागता इतिहास है जहां वह प्रत्यक्ष रूप से इन्हे देख सकते
हैं और अध्ययन कर जानकारी एकत्रित कर सकते है।
अनूपपुर जिला मुख्यालय से मात्र 65
कि.मी. की दूरी पर स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय वि. वि. के आदिवासी संग्रहालय
(ट्राइबल म्यूजियम) में जिले में पाई जाने वाली विशेष जनजातीय धरोहरों को संजो कर
रखा गया है जैसे कि पहनावा, आभूषण, औशधीय वस्तुएं, जिले में बनाए जाने वाले मिट्टी के बर्तन, बांस से बनाई गई वस्तुएं, बैलगाड़ी की साज-सज्जा की वस्तुएं, कृषि में इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरण व औजार, वाद्ययंत्र, मुखौटे शामिल हैं।
सम्पूर्ण संभाग का प्राचीन इतिहास
अत्यंत गौरवशाली और समृद्ध रहा है। संभाग के तीनों जिलों में खुदाई में अनेक
प्राचीन मंदिर, गढ़ी, प्राचीन बावड़ियां, मूर्तियां, प्राचीन मूर्तियों
के अवशेष मिले हैं। आज भी अनेक स्थानों में शोध कार्य जारी है। अमरकंटक स्थित
प्राचीन कलचुरी कालीन मंदिर समूह, माँ नर्मदा उद्गम स्थल एवं मंदिर समूह, प्राचीन गणेश मंदिर धरहरकलां, ग्यारहवीं शताब्दी का शिव मारुति मंदिर समतपुर, गाज मंदिर, प्रथम शताब्दी ईसवी
सहित अनेक प्राचीन अवशेष एवं प्रतिमा पाई गई है जिनके संरक्षण हेतु जिला प्रशासन, राज्य पुरातत्व विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान से
समन्वय कर आवश्यक कदम उठाए जा रहें हैं।
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