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सोमवार, 27 नवंबर 2023

कार्तिक पूर्णिमा में श्रद्धालुओं ने नर्मदा, सोन सहित सरोबरों में लगाई डुबकी, किया दीप दान


गुरु नानक देव के 554वां जन्मोत्सव पर गुरुद्वारों में की गई शबद कीर्तन और अरदास

अनूपपुर। सनातन धर्म में हर महीने पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व होता है, लेकिन कार्तिक मास की पूर्णिमा विशेष मानी जाती है, यह मास भगवान विष्णु की उपासना करने के लिए कार्तिक मास को उत्तम बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से बड़े-बड़े यज्ञों को करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास के अंतिम दिवस कार्तिक पूर्णिमा पर अनूपपुर जिले के अमरकंटक के नर्मदा उद्गम सहित जिले भर की नदियों सोन, तिपान, चंदास, केवई सहित अन्‍य नदियों सरोबरों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर दीप दान भी किए, साथ ही मंदिरों में दर्शन कर दान किया। वहीं एक मास तक चलने वाले कार्तिक माह का समापन मंगलवार को हो गया।


इसी पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु नानक जी का जन्म हुआ था, जिसे विश्वभर में गुरु नानक जयंती के नाम से मनाया जाता है। इस जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान की पूर्णिमा भी कहते हैं। बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसी के साथ कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार उत्पन्न हुए थे।


कल्‍याण आश्राम के प्रमुख हिमान्द्री मुनी महाराज ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा के दिन कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत करने से घर में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान और पवित्र नदियों स्नान का महत्व है। साथ ही गंगा सहित नर्मदा,सोन जैसी पवित्र नदियों में स्नान के बाद किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। घर में धन, यश और कीर्ति आती है। इसीलिए इस दिन लोग विष्णु जी का ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे दियें जलाते हैं। दीप विशेष रूप से मंदिरों से जलाए जाते हैं। इस दिन मंदिर दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। दीपदान मिट्टी के दीयों में घी या तिल का तेल डालकर करतें हैं।

अमरकंटक के रामघाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्‍था की डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा के अंतिम दिवस पर अमरकंटक के नर्मदा उद्गम सहित जिले भर की नदियों सोन, तिपान, चंदास, केवई सहित अन्‍य नदियों सरोबरों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर दीप दान भी किए, साथ ही मंदिरों में दर्शन कर दान किया। इस अवसर पर छग के श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रहीं। छत्तीसगढ़ के रतनपुर के स्कूली बच्चों ने मॉ नर्मदा स्नान कर दर्शन किया वापस नर्मदा गेट पर सेल्फीली। वहीं एक मास तक चलने वाले कार्तिक माह का समापन मंगलवार को हो गया। श्रद्धालुओं ने ने शिवालयों में पूजा अर्चना कर दीप जालायें, नदियों में दीपदान किया।

जिला मुख्‍यालय अनूपपुर में लोग सोन नदी सहित अन्‍य नदियों में कार्तिक पूर्णिमा पर स्‍नान किया। वहीं आज के दिन घाटों पर स्नान करने और दीप दान करने का काफी ज्यादा महत्त्व माना गया है। इसलिए इस दिन लोगों ने दान कर घाटों पर दीप दान भी किए गए। बता दे, कार्तिक पूर्णिमा से पहले बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सिद्धवट घाट पर हजारों भक्तों ने स्नान किया था। साथ ही सिद्धवट पर दूध भी अर्पित किया गया।

गुरु नानक देव का 554वां जन्मोत्सव

अनूपपुर में नगरपालिका वार्ड नंबर 3 स्थित गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में गुरु नानक देव की 554वां जन्मोत्सव शबद कीर्तन और अरदास के साथ आरम्भ हुआ। जिसमें नगर के सिक्ख और सिंधी सम्प्रदाय के लोगों ने गुरूद्वारा पहुंचकर कर गुरू की याद में गुरु सिंहसभा के सामने मत्था टेका साथ ही गुरूवाणी के साथ शबद कीर्तन और अरदास किया। अरदास प्रसाद वितरण व गुरू का लंगर लिया।


कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार की शाम मॉ नर्मदा उद्गम कुंड के चारो तरफ दीपमाला सजा कर दीप दान किया गया। पुजारियों ने नर्मदा उद्गम कुंड में मॉ की आरती उतारी।

छाया चित्र श्रवण उपाध्‍याय अमरकंटक

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