मंगलवार को अन्न्कूट और गोवर्घनपूजा, दिवाली में घर-घर हुआ धन की देवी की विशेष पूजा अर्चना
दीपों व पटाखों से रोशनमय हुआ जिले का
कोना कोना,हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली
अनूपपुर। विधानसभा चुनावों के बीच
दीपों का पावन त्योहार अर्थात रोशनी का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर विजय
का त्योहार दीपावली रविवार 12 नवम्बर को जिला मुख्यालय अनूपपुर सहित अमरकंटक, कोतमा, बिजुरी, राजनगर,
चचाई, भालूमाड़ा, जैतहरी,
पुष्पराजगढ़ सहित अन्य ग्रामीण अचंलों में धूमधाम व हर्षोल्लास के
साथ मनाया गया। जहां देर रात तक आतिबाजी का आनंद लिया। घर-घर धन की देवी माता
लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही घरों की दीवारों से लेकर दरवाजों की
चौखट, आंगन तक दीपों की लरियां तथा खूबसूरत रंगोली से सजाई
गई। दीपावली के मौके पर बच्चों से लेकर युवाओं तक ने दीप जलाकर पटाखें फोड़े।
दीपों की जगमगाहट तथा रंगीन लाईटों के साथ साथ आसमानों में फूटने वाले रंग-बिरंगी
आतिशबाजी से धरती नहा उठा। 13 नवम्बर दूसरे दिन सोमवती अमवस्या पर महिलाओं ने पीपल
के वृक्ष की 108 परिक्रमा कर पति के लम्बी आयु की कामना की। वहीं अमवस्या और परीवा
की तिथी को लेकर लोगो में असमंजस की स्थिति रहीं। अन्न्कूट और गोवर्घनपूजा 13
नवम्बर को की जायेंगी। वहीं कुछ लोगों ने आज गोवर्घनपूजा कर गौवंश का पूजन किया।
मां मनोकामना समिति अनूपपुर ने रामजानकी मंदिर में मॉ काली की दिवाली की मध्यं
रात्रि पूजन किया। रामजानकी मंदिर में भगवान को मंगलवार को अन्न्कूट का भोग लगेगा।
दीपों का पावन त्यौहार अर्थात रोशनी
का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर विजय का त्यौहार दीपावली रविवार 12 नवम्बर
को जिला मुख्यालय अनूपपुर सहित पूरे जिले में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया
गया। दूसरे दिन 13 नवम्बर को अन्न्कूट और गोवर्घनपूजा, अमवस्या और परीवा की तिथी को लेकर लोगो में असमंजस की स्थिति रहीं।
अन्न्कूट और गोवर्घन पूजा 13 नवम्बर को की जायेंगी। वहीं कुछ लोगों ने आज
गोवर्घनपूजा कर गौवंश का पूजन किया।
माना जाता है कि दीपावली के दिन
अयोध्या के राजा रामचंद्र अपने चौहद वर्ष के वनवास तथा रावण विजयी होने के बाद
सीता व लक्ष्मण संग वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे। जिसमें अयोध्यावासियों का
हृदय अपने प्रिय राजा के आगमन में हर्ष से भाव विभोर था। उनके आगमन में स्वागत के
तौर पर अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए थे। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह
रात्रि दीपों की रोशनी में रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से आज तक भारतीय परिवेश में
यह प्रकाश पर्व के रूप में दीपावली मनाया जाता है। त्यौहारों में दीपावली का
सामाजिक और धार्मिक महत्व है। तमसो मां ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति
प्रकाश की ओर जाईए। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य
की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीपावली पर्व के आगमम से पूर्व ही जिले
में व्यापारिक प्रतिष्ठ सज कर तैयार हो गयें थें। दीपावली की सुरक्षा व्यवस्थाओं
में नगर की पुलिस रात भर गश्त लगाती नजर आई। कोतमा, भालूमाड़ा, राजनगर में भी दीपावली का पर्व पूरे
उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। दीपावली के मौके पर नगर के लोगों द्वारा दीपावली
का पूजन सामग्र, पटाखे, वस्त्र-मिठाईयों
की जमकर खरीदारी की। दीवाली की रात रेलवे पूजा समिति एवं मां मनोकामना समिति
अनूपपुर ने रामजानकी मंदिर में मॉ काली में मां काली की प्रतिमा की स्थापना कर
विधि विधान से पूजा अर्चन किया गया। दीपावली के दूसरे दिन अमवस्या व परीवा होता था
वहीं दिन आज व्यापारियों, मजदूरों, वाहन
मालिको सहित अन्य श्रम से जुड़े कार्यक्रम बंद रहे, बाजार के
व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ताला लगा रहा।
बीएसएफ की 10वीं बटालियन के जवानों ने
सजाई रंगोली
अपनों से दूर चुनाव व त्योहार में सुरक्षा
के लिए लगे सुरक्षाकर्मी ने रोशनी का त्योहार दीपावली का अपने अंदाज से मनाया। एसडीओपी
कार्यालय परिसर में बने बैरक में बीएसएफ के जवानों ने परिवार से दूर बीएसएफ की 10वीं
बटालियन के जवानों का अपना परिवार के साथ रंगोली बनाई और मॉ लक्ष्मी-गणेश का पूजन
कर पटाखे चला एक दूसरे को दीवाली की बधाई दी।
सोमवती अमावस्या: महिलाओं ने व्रत
रखकर पति की लंबी आयु व परिवार में सुख शांति के लिए किया पूजन
सोमवती अमावस्या के अवसर पर जगह-जगह
धार्मिक अनुष्ठान किए गए। महिलाओं ने व्रत रखकर पति की लंबी आयु व परिवार में सुख
शांति के लिए पूजन किया। इस दौरान अमरकंटक में श्रद्धालुओं ने मॉ नर्मदा के दर्शन
किया। इसके पूर्व नर्मदा उद्गम में स्नान के लिए भी घाटों में श्रद्धालुओं की भीड़
रहीं। राम घाट में सुबह से ही महिलाए स्नान के लिए पहुंची थी। नर्मदा स्नान के बाद
पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा कर पूजन अर्चना की। व्रत धारी महिलाओं ने बताया कि
सोमवती अमावस्या महिलाओं के लिए बहुत ही पवित्र और शुभ दिन बताया गया है। इस दिन
महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
परिक्रमा करते समय महिलाएं अपने हाथ में अक्षत और कोई भी वस्तु रखती है। महिलाएं
पीपल के वृक्ष की विधि विधान से पूजा करती हैं। यह क्रम सदियों से चला आ रहा है।
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