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गुरुवार, 25 जनवरी 2018

गुण्डों का कैसा मताधिकार

अनूपपुर।  लोकतंत्र की सफलता अभिव्यक्ति की आजादी, निर्भीक मताधिकार व कल्याणकारी सरकार की बुनियाद पर टिकी है। हिन्दुस्तान विश्व के सबसे लोकतांत्रिक देशों मे शुमार है। विभिन्न भाषा भाषी ,जाति,संप्रदाय, पंथ के लोग शान्ति पूर्ण ढंग से एकदूसरे के साथ सौहार्द पूर्ण तरीके से जीवन यापन करते हैं। राष्ट्रीयता,देशभक्ति ,संस्क्रति एक ऐसा आन्तरिक भाव है जो सभी को एक सूत्र मे जोडे हुए है। हमारी संपन्न सांस्कृतिक धरोहर,इतिहास हमारा गर्व भी है,ताकत भी। पहले मुगलों व फिर अंग्रेजों की सैकडों साल की दासता ने हमारे समाज को कमजोर किया है। देश के बाहर व देश के भीतर अपने ही बीच कुछ तत्व ऐसे हैं जो निरंतर उस वैचारिक, हिंसक, सांस्कृतिक षड्यंत्र का हिस्सा बनते रहे हैं जिसने पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की हमारी धारणा पर कुठाराघात किया है। आजादी के बाद सत्ता को हाथ में लेने की होड ने विभिन्न भाषाई,धर्म ,जाति,प्रान्त के लोगों को जोडने की जगह छिन्न भिन्न करने का कार्य किया है।
कांग्रेस, वामपंथ के साथ कुछ अन्य जातीय दलों की नीतियों पर हमेशा प्रश्न रहे हैं। कुछ वर्षों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को घेरने के लिये अलग अलग सिद्धांत, नीतियों की पार्टियां एकजुट होने की असफल कोशिश करती रही हैं । कांग्रेस व वामपंथ राज्य दर राज्य सिकुडती जा रही हैं । कमजोर ,सिद्धान्त हीन विपक्ष लोकतंत्र के लिये शुभ संकेत नहीं है।
सरकार बनाने के लिये वोट लेना व इसके लिये जिन स्वस्थ तरीकों को अपनाना चाहिये उससे अलग तरीके दलों की मंशा से अधिक उनकी मजबूरी बन गयी है। मताधिकार दोधारी तलवार साबित हो रहा है।इसने विभिन्न् जातीय, भाषाई, प्रान्तीय भेदों को प्रश्रय दिया है।पिछले कुछ वर्षों मे इन गुटों ने अपनी मांगो को लेकर आन्दोलन - प्रदर्शन के नाम पर सडक पर खुली गुण्डागर्दी की। हिंसा,लूट,आगजनी, तोडफोड के साथ सामूहिक बलात्कार तक किये गये। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद राज्य सरकारें ऐसे खूनी प्रदर्शनों को मॊन सहमति देकर निरीह ,शान्तिप्रिय जनता को इनके हवाले कर दिया।
प्रदर्शन की आड मे खुलेआम लूट , हिंसा, आगजनी ,तोडफोड से करोडों - अरबों रुपये की संपत्ति नष्ट कर दी जाती है। सडकें ,माल, संस्थान कुंठित गुण्डों की बपॊती बन जाती है। फिल्में पूरी नही हो पाती ,अफवाह से लोग सडक पर पहले उतर आते है। देश के तमाम संस्थान असहाय ,मूक सिर्फ इन्हे आतंक फैलाने, जनता पर शक्ति प्रदर्शन करने की खुली छूट दे देते हैं।
समय आ गया है कि अभिव्यक्ति, अधिकार,कर्तव्य, आतंक- गुण्डागर्दी में सप्ष्ट भेद हो। वोट की मजबूरी को वोट की ताकत बनाया जाए। समय आ गया है कि देश के सभी राजनैतिक दलों को इन गुण्डा अराजक संगठनों की ब्लैकमेलिंग से मुक्ति दिलाएं। जो व्यक्ति, संगठन, संस्थान अराजकता, गुण्डागर्दी, हिंसा ,लूट, बलात्कार, आगजनी,सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का सिद्ध दोषी पाया जाएगा ,उसे/ उन्हे मताधिकार से वंचित कर दिया जाए। न वे वोट कर पाएगें न सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हे मिल पाएगा। सरकारी- सार्वजनिक संपत्ति देश की ताकत है, अराजक तत्व इसे नष्ट करते हैं, आगजनी करते हैं ,हिंसा करते हैं ( चाहे कारण जो हो) तो इसे राष्ट्र. द्रोह माना जाए। समय आ गया है,आतंक के साथ सडक पर फैल रही अराजकता, गुण्डागर्दी के विरुद्ध देश एकजुट सख्त हो तभी वास्तविक लोककल्याणकारी देश का निर्माण संभव है। 

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