अनूपपुर। शिक्षा के मूलभूत
सुविधाओ का होना जरूरी है और इसकी
जिम्मेदारी सरकार की होती है किन्तु जब यह सुविधा देने में नकाम होती
व्यवस्था के लोगो सिर्फ कागजो में दी या इस ओर शासन की मंशानुरूप देने में नकाम
रहे प्रशासन की जबाबदारी कब तय होगी। ऐसे में कैसे होगा शिक्षा में सुधार बच्चे
कैसे पायेगे कम्प्यूटर ज्ञान और कैसे होगा बच्चो का विकाश जबकि जिले के लगभग ७०
फीसदी स्कूलों में न तो बिजली की रोशनी जगमगा सकी है ना ही पंखे चले हैं। बिजली की
कमी में अंधकारमय कक्षों में बच्चें आंखें फाड़कर अपनी आंखों की रोशनी गंवाने को
तैयार है। जबकि खुद शिक्षक अंधियारे के कारण ब्लैक बोर्ड पर लिखने के बजाय मौखिक
जुबानी शिक्षा बच्चों को उपलब्ध करा रहे हैं। यही कारण है कि उच्च विभाग द्वारा
शासकीय योजनाओं के अनुरूप मांगी जाने वाली जानकारी भी ऑन लाईन के माध्यम से
स्कूलों द्वारा नहीं उपलब्ध कराई जा रही है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में
लगभग ५०० ऐसे विद्यालय है जहां बिजली की सुविधा आज तक उपलब्ध ही नहीं हो सकी है।
इनमें अनूपपुर के ८३ स्कूल, जैतहरी
के १२३ स्कूल, राजेन्द्रग्राम
के ७१ स्कूल तथा कोतमा के ८० स्कूल शामिल है। जबकि शेष विद्यालयों में बिजली की
तारें अगर पहुंची भी है तो उनमें आजतक बिजली का उपयोग नहीं हो सका। बिजली विभाग का
मानना है कि उनके पास उपलब्ध सूची में
लगभग ३०० से अधिक स्कूलों में बिजली की सुविधा आधी किलोमीटर दूरी से गुजरती
है, जहां
स्कूलों तक बिजली उपलब्ध कराने में विभाग को कई खम्भे लगाने की आवश्यकता है।
शिक्षा विभाग के अनुसार जिले में ११६१ प्राथमिक ३९१ माध्यमिक स्कूल सहित ६० उच्च
विद्यालय तथा ६५ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रोशनी है।
पुष्पराजगढ़
में रोशनी सबसे कम
आंकड़ों में
देखा जाए तो जिले के पुष्पराजगढ़ में बिजली की रोशनी से प्रभावित सर्वाधिक स्कूलें
हैं। शिक्षा विभाग सूत्रों के अनुसार
पुष्पराजगढ़ में ५३८ प्राथमिक, १५४
माध्यमिक, १८
उच्च माध्यमिक तथा १७ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित १९ जनशिक्षा केन्द्र सहित ७४६
संस्थाएं संचालित हैं। लेकिन में इनमें लगभग ५००-६०० स्कूलों में बिजली जैसी कोई
सुविधा ही नहीं है। विभाग के अनुसार पुष्पराजगढ़ के अधिकांश गांवों में बिजली की
सुविधा ही नहीं है। जबकि शासन द्वारा बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए प्रत्येक
माध्यमिक विद्यालय सहित उच्च व उच्चतर विद्यालय में कम्प्यूटर लैब उपलब्ध कराया
गया है। लेकिन बिजली के अभाव में इसका समुचित लाभ छात्र-छात्राएं नहीं मिल पा रहा
है। वहीं प्राथमिक स्तर व आंगनबाड़ी केन्द्रों को नई पद्धति में ढालते हुए दीवारों
को कलाकृतियों व छायाचित्रों से संजाया जा रहा है। लेकिन अंधकारमय कक्ष में बच्चों
को न तो अक्षर ही दिखाई दे रहे हैं और ना ही तस्वीर। विभागीय सूत्रों के अनुसार
जिले के अधिकांश प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में बिजली की सुविधा ही नहीं है।
नेत्र
विशेषज्ञ का पक्ष
नेत्र
विशेषज्ञ डॉक्टर जनक सारीवान के अनुसार आंख बहुत ही संवेदनशील है, जब हम किसी चीज को
देखते है उसपर पडऩे वाली रोशनी के अनुसार ही हमारी आंखें वस्तु को बेहतर देख पाती
है। जबकि उसी वस्तु को कम रोशनी में देखने पर अस्पष्ट दिखाई देता है। यानि बाहरी
रोशनी के अनुसार आंखों के देखने का प्रभाव भी बदलता है या आंखों पर दवाब पड़ता है।
अधिक दिनों तक इस प्रकार की लापरवाही आंखों के रोशनी को प्रभावित कर सकती है।
इनका कहना है
कुछ स्कूलों
में बिजली की असुविधा है। इसके लिए हमने सभी बिजली विहीन स्कूलों की सूची बिजली
विभाग को सौंप आपूर्ति कराने का निर्देश दिया है।
पीएन
चतुर्वेदी,सहायक
आयुक्त आदिवासी विकास विभाग
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