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सोमवार, 5 अगस्त 2024

नाबालिग के साथ बलात्संग पर 20 वर्ष का कठोर कारावास


बालिका पर शारीरिक हिंसा न केवल घटना के समय बल्कि उसके पश्चात् संपूर्ण जीवन को प्रभावित करती हैं - विशेष न्यायाधीश 

अनूपपुर। विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) अनूपपुर नरेद्र पटेल की न्यायालय ने थाना चचाई के अपराध धारा 363, 366-ए, 376, 376(2)एन भादवि एवं 3/4, 3/5 पॉक्सो एक्ट  के आरोपी 23 वर्षीय ऋतिक दाहिया पुत्र नत्थूलाल दाहिया निवासी क्वा. नं.- एम/62/2 संजय नगर, चौकी देवहरा, थाना चचाई को पॉस्‍कों अधिनियम की धारा 5एल/6 में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/- रू. अर्थदण्ड/, धारा 363 भादवि में 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड एवं धारा 366 भादवि में 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये अर्थदण्ड  के दण्ड की सजा सुनाई हैं। पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत अग्रवाल द्वारा की गई।

विशेष लोक अभियोजन ने बताया कि घटना 11 अप्रैल 2022 को नाबालिक पीडिता घर से बिना बताए कही चली गई थी जब वह वापिस नही आई तो घर वालों ने आसपास तलाश किया नही मिलने पर ऋतिक दाहिया के घर पर देखा जहां नही मिला। जिसके बाद पीडिता के परिजनों ने थाना चचाई में अपराध पंजीबद्व कराया। 02 दिवस बाद नाबालिक पीडिता आरोपी के साथ दस्तयाब हुई, जिस पर न्यायालय एवं पुलिस द्वारा कथन लेख में नाबालिक पीडिता ने बताया कि ऋतिक दाहिया उसे बहला-फुसलाकर ले गया और उसके साथ बिना उसकी मर्जी के जबरजस्ती लैंगिक हमला किया। जिसके आधार पर संबंधित धाराओं को बढ़ाया गया। पीडिता एवं आरोपी से संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्य एवं मौखिक व दस्तावेज साक्ष्यों  का संकलन किया और आवश्यक विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जहां दोनो पक्षों को सुनने के पश्चात अपराध प्रमाणित पाये जाने पर सजा सुनाई गई।

वहीं न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि‘‘प्रकरण में पीडिता 15 वर्ष से कम आयु की थी जिसके साथ बलात्संग का अपराध किया गया हैं, बालिका के प्रति इस प्रकार की शारीरिक हिंसा न केवल घटना के समय बल्कि उसके पश्चात् संपूर्ण जीवन को प्रभावित करती हैं इस कारण आरोपी के प्रति कोई उदारता नही बरती जानी चाहिए।  साथ ही न्यायालय द्वारा अवयस्क पीडिता को उसके पुनर्वास के लिए म.प्र. पीडित प्रतिकर योजना के तहत प्रतिकर दिलाए जाने का भी आदेश दिया। साथ ही आरोपी पर जो जुर्माना अधिरोपित किया गया है उस राशि को भी अपील न्यायालय के निर्णय के अधीन रहते हुए पीडिता को देने का आदेश दिया।

 

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