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मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

बुधवार को अन्कूट और गोवर्घनपूजा, दिवाली में घर-घर हुआ धन की देवी की विशेष पूजा अर्चना

दीपों व पटाखों से रोशनमय हुआ जिले का कोना कोना,हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली, अनूपपुर। दीपों का पावन त्यौहार अर्थात रोशनी का त्यौहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर विजय का त्यौहार दीपावली मंगलवार 24 अक्टू्बर को जिला मुख्यालय सहित अमरकंटक, कोतमा, बिजुरी, राजनगर, चचाई, भालूमाड़ा, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ सहित अन्य ग्रामीण अचंलों में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जहां देर रात तक आतिबाजी का आनंद लिया। घर-घर धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही घरों की दीवारों से लेकर दरवाजों की चौखट, आंगन तक दीपों की लरियां तथा खूबसूरत रंगोली से सजाई गई। दीपावली के मौके पर बच्चों से लेकर युवाओं तक ने दीप जलाकर पटाखें फोड़े। दीपों की जगमगाहट तथा रंगीन लाईटों के साथ साथ आसमानों में फूटने वाले रंग-बिरंगी आतिशबाजी से धरती नहा उठा। दूसरे दिन मंगलवार 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण सूतक लगने के कारण जिले भर के मंदिरों में ताला लगा रहा और बाजार बंद रहें। वहीं दीपोत्सव पर इस बार चीनी बाजार को झटका लगा है। लोगों ने चीनी सामानों को लेकर रुचि नहीं दिखाई। ज्यादातर सामान स्वदेशी ही बिके। इस दौरान बड़ा कारोबार रंग-बिरंगी लाइटों और लड़ियों का होता है,जो चीनी सामग्रियों से अटी रहती थीं, लेकिन इस बार लोगों ने इससे दूरी बनाकर रखी। कोविड के पहले तक दीपावली के लिए बाजारों में 70 फीसदी तक चीनी उत्पादों का कब्जा हो चुका था,लेकिन कोविड-बाद के बीते वर्षों में बाजार की प्रकृति और लोगों की सोच में बदलाव आया है। बाजार में जहां व्यापारी चीनी माल को रखने में खुद की साख में गिरावट के रूप में देखने लगा है,वहीं आम खरीददार को चीनी उत्पादों की आड़ में होने वाली ठगी का अंदाजा हो चुका है, इसलिए न तो व्यापारी चीनी उत्पादों को लेकर बहुत उत्साहित रहा और न ही आम ग्राहक। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा रामचंद्र अपने चौहद वर्ष के वनवास तथा रावण विजयी होने के बाद सीता व लक्ष्मण संग वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे। जिसमें अयोध्यावासियों का हृदय अपने प्रिय राजा के आगमन में हर्ष से भाव विभोर था। उनके आगमन में स्वागत के तौर पर अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए थे। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीपों की रोशनी में रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से आज तक भारतीय परिवेश में यह प्रकाश पर्व के रूप में दीपावली मनाया जाता है। त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक महत्व है। तमसो मां ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति प्रकाश की ओर जाईए। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीपावली पर्व के आगमम से पूर्व ही जिले में व्यापारिक प्रतिष्ठनें सज कर तैयार हो गई थी। दीपावली की सुरक्षा व्यवस्थाओं में नगर की पुलिस रात भर गश्त लगाती नजर आई। कोतमा, भालूमाड़ा, राजनगर में भी दीपावली का पर्व पूरे उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। दीपावली के मौके पर नगर के लोगों द्वारा दीपावली का पूजन सामग्र, पटाखे, वस्त्र-मिठाईयों की जमकर खरीदारी की। मां काली की प्रतिमा की स्थापना कर विधि विधान से पूजा अर्चन किया गयादीपावली के दूसरे परीवा होता था किन्तुर इस वर्ष सूर्यग्रहण के कारण अन्कूट और गोवर्घनपूजा 26 अक्टूबर को मनाया जायेगा। वहीं दिन आज व्यापारियों, मजदूरों, वाहन मालिको सहित अन्य श्रम से जुड़े कार्यक्रम बंद रहे, बाजार के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ताला लगा रहा।

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