https://halchalanuppur.blogspot.com

बुधवार, 5 जून 2019

राशि के अभाव में हजारों हेक्टेयर भूमि हो रही बंजर,नहीं कटे लैंटिना और यूकोलिप्टस के पेड़

वनविभाग एनजीटी के आदेश के बाद कर रहा पर्यावरण बचाव में अनदेखी
अनूपपुर अमरकंटक नर्बदा पुराणों के साथ अन्य ग्रथों में मिलता है इसके विकाश और संरक्षण के लिये समय-समय पर सरकारे चिंतित दिखाई देती है किन्तु यह चिंता सिर्फ दिखावा साबित हो रही है। तीन वर्षो से लगातार वनविभाग को नोटिस दे कर अमरकंटक वनपरिक्षेत्र के लगभग 9 हजार हेक्टेयर वन भूमि में फैली लैंटिना और यूकोलिप्टस के पेड़ों को हटाने के लिये कह रहा है लेकिन विभाग अपने उच्चधिकारियों से पत्राचार कर इसे हटाने के लिये 5 करोड़ से अधिक की राशि की मांग पर भोपाल ने चुप्पी साध ली है। इस सम्बंध में एनजीटी ने कार्रवाई को लेकर वनविभाग को तीन बार नोटिस जारी कर चुका है। लेकिन उन नोटिसों का प्रभाव क्रियान्वयन के लिए विभाग पहल नहीं दिख रही है। इस सम्बंध में तत्कालीन प्रदेश के वनमंत्री सहित प्रदेश सचिव स्तरीय पदाधिकारियों ने अमरकंटक भ्रमण के दौरान बहुमूल्य वन औषधि को बचाने तथा सरंक्षण करने अमरकंटक में सरंक्षित नर्सरी तथा उनमें स्थानीय प्रकृति स्वरूप के पौधा रोपण करने के आदेश दिए थे। साथ ही अधिकारियों ने नर्मदा के वन व पर्वतीय क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर भूमि में लगी यूकोलिप्टस को बाहरी प्रजाति का पौधा मानते हुए अमरकंटक के पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानते हुए उसके समूल नाश के निर्देश दिए थे। उनका मानना था कि इस प्रकार के पौधे धरती की नमी को खींचकर आसपास के स्थानों को उर्वराहीन बना देते हैं, जिसके कारण ऐसे पेड़-पौधों के आसपास कोई अन्य वनीय पौधा नहीं उग पाता। वर्ष 2016 में एनजीटी की टीम ने भी नर्मदा संरक्षण को देखते हुए वनविभाग से तटों से 200 मीटर तक लगी यूकोलिप्टस और लैंटिना जंगली झाड़ को काटकर हटाने के निर्देश दिए थे। एनजीटी का तर्क था कि लैंटिना बारहमासी पौधा है तथा यह आसपास के जमीनी नमी को अवशेषित करते हुए वनीय विकास को अवरूद्ध करता है। यहीं नहीं यूकोलिप्टस काष्ठीय रूप में अनुपयोगी है तथा आसपास की भूमि को बंजर भी बनाता है। इसके कारण अमरकंटक की अधिकांश भूमि बंजर जैसी नजर आने लगी है। विभाग ने इसका इस्टीमेंट बनाकर वन मंडलाधिकारी के माध्याम से भोपाल भेजा गया। जिसमें अमरकंटक के 9 हेक्टेयर भूमि पर फैली लैंटिना और यूकोलिप्टस पेड़ की कटाई के लिए लगभग 5 करोड़ से अधिक राशि प्रस्तावित की गई। लेकिन पिछले तीन साल से अधिक समय के गुजर जाने बाद भी वनविभाग द्वारा अबतक ऐसे पेड़ों की कटाई के लिए पहल नहीं की है। माना जाता है कि इसके लिए उच्च विभाग से राशि आवंटन नहीं होने से अमरकंटक वनपरिक्षेत्र क्षेत्र कोई कार्य नहीं कराया जा सका। जबकि पुष्पराजगढ़ वनपरिक्षेत्र अंतर्गत राजस्व विभाग का लगभग 20-21 हजार हेक्टेयर की भूमि वनाच्छादन हैं।
दुनिया की बहुमूल्य औषधि
अमरकंटक प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ नर्मदा, सोन उद्गम स्थल सहित औषधियुक्त वनीय क्षेत्र है। जिसमें गुलबकावली, ब्राह्मनी,जटाशंकरी, सफेद मूसली, काली मूसली, जटामानसी, भालूकंद,अमलताश, सर्पगंधा, भोगराज,जंगली हल्दी, श्याम हल्दी सहित हर्रा, बहेरा और आवंला भरपूर संख्या में उपलब्ध है। ये औषधियां अमरकंटक के अलावा अन्य किसी क्षेत्र में बहुयात में नहीं पाई जाती है। लेकिन अब यह आग की झुलस में विलप्त की कगार पर खड़ी है।
इनका कहना है
हमने प्रपोजल बना कर भोपाल विभाग को भेजा है अबतक स्वीकृत नही मिली है।

जामसिंह भार्गव वन मंडलाधिकारी अनूपपुर।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोहरे हत्याकांड का का खुलासा: एक प्रेमिका दो प्रेमी बना हत्या का कारण

नबालिक सहित दो गिरफ्तार, भेजे गये न्यायिक अभिरक्षा  अनूपपुर। एक प्रेमिका दो प्रेमी के विवाद में एक प्रेमी युवक ने अपने नाबालिग साथी के साथ म...