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शनिवार, 15 जनवरी 2022

समूह निविदा से नराज ठेकेदारों ने मुख्यममंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

आदिवासी कन्या एवं बालक सीनियर छात्रावास की निविदा समाप्त करने की मांग अनूपपुर। मुख्यनमंत्री की मंशा अनुरूप निविदा न कराये जाने एवं आदिवासी कन्या एवं बालक सीनियर छात्रावास के नवीन भवन निर्माण की समूह में निविदा कराये जाने से नाराज जिले के ठेकेदारों ने जारी निविदाओं को निरस्त किये जाने को लेकर 15 जनवरी को जिले के समस्त ठेकेदार द्वारा परियोजना संचालक पीआईयू के नाम संभागीय परिजयोना यंत्री अनूपपुर को 5 सूत्री मांगो का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से ठेकेदारों ने बताया कि अधीनस्था संभागीय परियोजना यंत्री कार्यालयों में भवन निर्माण की निविदायें जारी की गई है जिस में कुछ जिलों में अलग-अलग कार्यो हेतु अलग-अलग भवनों का निविदा आमंत्रित की गई है परंतु अतिरिक्त परियोजना संचालक रीवा के अंतर्गत निर्माण कार्यो का समूह बनाकर निविदा आमंत्रित की गई, जिसका समूह में निविदा कराये जाने का औचित्य नही है। जारी की गई निविदाओं में छात्रावास भवनों को (तीन या चार) जोड़कर लगाई जा रही है जिसमें विभाग के अधिकांश पंजीकृत ठेकेदार निविदा में सम्िं छत नही हो पा रहे है यदि निविदाओं के कार्य को कार्य स्थल के अनुरूप अलग-अलग रूप से कार्य आवंटित किया जाए तो सभी पंजीकृत ठेकेदारों सहित जुडे अन्य समान्य वर्ग के लोगो को कोविड-19 के अवधि में रोजगार उपलब्ध होगा। निविदा के अलग-अलग दर आने से शासन को भी राजस्व का फायदा होगा। ज्ञापन में कहा कि कोविड के कारण पूर्व से ही ठेकेदारों की दशा अत्यंत दयनीय स्थिति में है ऐसी महामारी की दशा से उबरने के लिए प्रदेश मुखिया द्वारा प्रधानमंत्री के द्वारा अर्थव्यवस्था में गति प्रदान करने हेतु अथक प्रयास किया जा रहा है इसके बावजूद भी प्रदेश के कुछ विभागों में अधीनस्त उच्चाधिकारियों के द्वारा जो निविदायें जारी की जा रही है उसमें भाई-भतीजावाद सा महसूस हो रहा है और अन्य ठेकेदार अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है। अधिनस्थ कार्यालयों से जारी निविदाओं में एक ही टेंडर नंबर में कई कार्य को सम्लित कर लिया गया है जिससे बड़े निविदाकार उक्त कार्य को लेने में सफल हो जाते है और छोटे निविदाकार एवं उनसे जुड़े अन्य कर्मचारी एवं मजदूर वर्ग कार्य करने से वंचित हो जाते है। जिससे छोटे ठेकेदार एवं अन्य उसके साथ कार्य करने वाले कर्मचारी एवं अन्य श्रमिक वर्ग के ऊपर रोजीरोटी का संकट आ खड़ा हुआ हैं। इससे 90 प्रतिशत पंजीकृत ठेकेदार प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के पात्र नही होगें। आरोप लगाते हुए ठेकेदारों ने कहा कि एक या दो ऐसे रसूकदार या अन्य सगे संबंधी या शासन में सेवारत ऐसे कई अधिकारी है जिनके सगे संबंधी उक्त बड़े स्तर या ए श्रेणी के ठेकेदारों को कार्य मिलता है और छोटे अन्य ठेकेदार उक्त शासकीय कार्य करने से वंचित रह जाते है। अगर इस प्रकार की निविदा प्रणाली लागू की जाती है तो बड़े ठेकेदार का एकाधिकार हो जायेगा जिससे निविदा की लागत बढ़ जायेगी जो की शासन के राजस्व की हानि होगी तथा मुख्यएमंत्री के द्वारा बेरोजगारी समाप्त करने हेतु ठेकोदारों का पंजीयन कर रोजगार प्रदान करने की मंशा के विपरित कार्य होगा। जिले के समस्त ठेकेदारों ने मुख्यहमंत्री की मंशा एवं पंजीकृत ठेकेदारों को ध्यान रखते हुए शीघ्र जारी की गई निविदाओं को निरस्त करने एवं समस्त कार्यो की अलग-अलग निविदा कराये जाने की मांग की हैं।

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