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शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

गोवर्धन पूजन कर गौमाता से आर्शीवाद मांगा, दिवाली में घर-घर हुआ धन की देवी की विशेष पूजा अर्चना

दीपों व पटाखों से रोशनमय हुआ जिले का कोना कोना,हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली अनूपपुर। दीपों का पावन त्यौहार अर्थात रोशनी का त्यौहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर विजय का त्यौहार दीपावली गुरूवार को जिला मुख्यालय सहित अमरकंटक, कोतमा, बिजुरी, राजनगर, चचाई, भालूमाड़ा, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ सहित अन्य ग्रामीण अचंलों में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जहां देर रात तक आतिबाजी का आनंद लिया। घर-घर धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही घरों की दीवारों से लेकर दरवाजों की चौखट,आंगन तक दीपों की लरियां तथा खूबसूरत रंगोली से सजाई गई। दीपावली के मौके पर बच्चों से लेकर युवाओं तक ने दीप जलाकर पटाखें फोड़े। दीपों की जगमगाहट तथा रंगीन लाईटों के साथ साथ आसमानों में फूटने वाले रंग-बिरंगी आतिशबाजी से धरती नहा उठा। शुक्रवार 5 नवंबर को जिन घरों में गौवंश हैं वहां गोवर्धन पूजन कर गौमाता से आर्शीवाद मांगा। अनूपपुर में रामजानकी मंदिर में सहित जिले भर के मंदिरों में विषेश पूजा कर अन्नकूट में 56 प्रकार के भोग लगायें। परेवा तिथि में बाजार बंद रहें।
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा रामचंद्र अपने चौहद वर्ष के वनवास तथा रावण विजयी होने के बाद सीता व लक्ष्मण संग वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे। जिसमें अयोध्यावासियों का हृदय अपने प्रिय राजा के आगमन में हर्ष से भाव विभोर था। उनके आगमन में स्वागत के तौर पर अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए थे। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीपों की रोशनी में रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से आज तक भारतीय परिवेश में यह प्रकाश पर्व के रूप में दीपावली मनाया जाता है। त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक महत्व है। तमसो मां ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति प्रकाश की ओर जाईए। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीपावली पर्व के आगमम से पूर्व ही जिले में व्यापारिक प्रतिष्ठनें सज कर तैयार हो गई थी। दीपावली की सुरक्षा व्यवस्थाओं में नगर की पुलिस रात भर गश्त लगाती नजर आई। कोतमा, भालूमाड़ा, राजनगर में भी दीपावली का पर्व पूरे उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। दीपावली के मौके पर नगर के लोगों द्वारा दीपावली का पूजन सामग्र, पटाखे, वस्त्र-मिठाईयों की जमकर खरीदारी की। मां काली की प्रतिमा की स्थापना कर विधि विधान से पूजा अर्चन किया गया। पशुओं का मना पर्व गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन शुक्रवार को गोवर्धन पूजन में गोबर से श्रीकष्‍ण का स्वरूप देकर पूजा कर पशु मालिकों ने अपनी गाय, बैल, भैंस, बकरियों का पूजन अर्चन किया। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गौधन की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक रूप में गाय है। वहीं परेवा के दिन व्यापारियों, मजदूरों, वाहन मालिको सहित अन्य श्रम से जुड़े कार्यक्रम बंद रहे,बाजार के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ताला लगा रहा।

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