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मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

फसलों पर मंडराया शीतलहर का खतरा,पाला में प्रभावित होगी फसलें

दिसम्बर अंत तक अधिक नुकसान की आशंका पर कृषि विभाग ने किसानों को बचाव के दिए सलाह

अनूपपुर पिछले एक सप्ताह से जिले में शीत लहर का प्रकोप जारी है। पश्चिमी विक्षोप में जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तराखंड में हुई भारी बर्फवारी में पूरा देश शीतलहर की चपेट में है। वहीं मैदानी क्षेत्रों में गलनभरी सर्दी से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। वहीं मंगलवार की अनूपपुर का तापमान सुबह 5 डिग्री तक रहा। इसके कारण जिले के 36.55 हजार हेक्टेयर में लगी दलहनी फसलों के साथ नगदी रूप में उगाई जाने वाली टमाटर, सब्जी की फसलों पर भी खतरा मंडराने लगा है। वर्तमान में शीतलहर के दौरान सुबह निकलने वाली धूप के कारण इसके नुकसान के अनुमान कम लगाए जा रहे हैं, लेकिन कृषि विभाग ने आगामी सप्ताह या दिसम्बर माह के अंत तक बर्फीली हवाओं में बनने वाली शीतलहर और कम होते तापमान में फसलों को अधिक नुकसान की आशंका जताई है। इसमें अरहर, मटर, चना, मसूर सहित अन्य दलहनी फसलों के गोभी, टमाटर, मिर्च सहित अन्य सब्जी की फसलें प्रभावित हो सकते हैं।

दलहनी फसलों के बुवाई का लक्ष्य 37.30 में 36.55 हजार हेक्टेयर

मृदा विशेषज्ञों ने भी मिट्टी के तत्व में पौष्टिकता के आधार पर यहां उगने वाली फसलों में नुकसान की बात कही है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष 37.30 हजार हेक्टेयर के लक्ष्य में 36.55 हजार हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुवाई की जा चुकी है। जिसमें चना 14.30 हजार हेक्टेयर, मटर 3.30 हजार हेक्टेयर, मसूर 18.06 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। वहीं जैतहरी, पुष्पराजगढ़, और अनूपपुर के किसानों द्वारा वृहद स्तर पर सब्जी की फसल को भी उगाया गया है। लेकिन अब इन फसलों पर शीतलहर का खतरा मंडराने लगा है।

सिंचाई के साथ धुंआ कर बचाने की सलाह

कृषि उपसंचालक एनडी गुप्ता ने बताया कि ठंड के मौसम में शीत लहर का प्रकोप फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन शीतलहर के गिरते ही किसान उसके बचाव के लिए एतिहातन उपाय कर लें तो इससे फसलों को कम से कम नुकसान तक रोका जा सकता है। विभाग विकासखंड स्तर पर इसके लिए सलाह जारी भी करती है। वहीं मृदा विशेषज्ञ आईजीएनटीयू बताती है कि शीत के प्रकोप से बचानेे किसान ऐसे फसलों की सिंचाई, मेढ पर खेत के खर-पतवार वाली कचरे का धुंआ, सल्फर डस्ट का छिड़काव या नेट शेड लगाकर फसलों को बचा सकते हैं। इससे खेत के आसपास वातावरण गर्म बना रहेगा और ठंड का असर फसलों पर नहीं बनेगा।

टमाटर की पैदावार पुष्पराजगढ़ और जैतहरी

जिले का पुष्पराजगढ़ विकासखंड टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसके कारण यहां जिले का सर्वाधिक टमाटर की खेती होती है। 10-15 हेक्टेयर में टमाटर की खेती है, इसके बाद पुष्पराजगढ़ से सटे क्षेत्र जैतहरी विकासखंड में टमाटर की फसल दूसरे स्थान में मानी जाती है। जिससे अनूपपुर जिले की बाजारों के अलावा बाहर भी भेंजे जाते हैं।

उपसंचालक कृषि विभाग एनडी गुप्ता ने बताया कि मौसम में बदलाव हुआ, शीतलहर का प्रकोप जारी है। अभी फसलों को ज्यादा नुकसान की आशंका नहीं है, लेकिन आने वाले समय में पाला के कारण अधिक फसल प्रभावित हो सकती है।

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