अमरकंटक घटना पर प्रशासन और संतों के बीच वर्ता, बनी सहमति मन्दिर सहित मॉ नर्मदा की मूर्ती होंगी पुनर्स्थापित
अनूपपुर। नर्मदा उद्गम नगरी अमरकंटक में वन विभाग की संदिग्ध
कार्यवाही ने यहाँ के शांत माहौल मे दुस्साहसिक बखेडा खड़ा कर दिया है। वन विभाग
के कुछ अधिकारियों- कर्मचारियों पर द्वेषात्मक कार्यवाही करने का गंभीर आरोप है।
यद्यपि घटना की जानकारी मिलते ही मामले की संगीनता को भांपते हुए जिला प्रशासन ने
त्वरित कदम उठाए हैं। आरोप हैं कि अतिक्रमण विरोधी कार्यवाही के नाम पर
विद्वेषात्मक और लापरवाह कार्यवाही की गयी है। जिसकी सार्वत्रिक निंदा हो रही है।
वन विभाग ने जिस तरह से मामले से पल्ला झाड़ लिया है तो लोगों के मन में अब सवाल हैं
कि यह कार्यवाही वन विभाग ने नहीं की है तो कहीं यह व्यक्तिगत गुण्डागर्दी का
शिकार तो नहीं हो गया। वहीं सूत्रों ने बताया कि वन विभाग के लोगो ने ही यह कृत्य
किया हैं।
गत दिनों अमरकंटक में माई की बगिया के समीप रुद्र गंगा आश्रम में
तथाकथित रुप से वन विभाग द्वारा अतिक्रमण के नाम पर जमकर तोड़ फोड़ की गयी। मन्दिर
आश्रम की मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त की गयीं। आरोप लगाए गये हैं कि प्राण प्रतिष्ठित
मूर्तियों के साथ बेकद्री करते हुए उन्हे भी तोड़ दिया गया। तस्वीरों - वीडियो से
भी मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त दिख रही हैं। आश्रम के सभी कच्चे - अर्ध पक्के निर्माण, टीन की चादरों तक को जिस तरीके से तोड़ - फोड की गयी है,वह इस कार्य में लगे लोगों के व्यक्तिगत गुस्से और कुंठा को
प्रदर्शित कर रहा है। बड़ी क्रूरता और लापरवाही से अतिक्रमण विरोध के नाम पर
खुन्नस निकाली गयी। आरोप वन विभाग पर और उसके रेंजर पर है जबकि वन विभाग के
उच्चाधिकारी इससे पल्ला झाड़ रहे हैं। घटना प्रकाश में आते ही अमरकंटक के साधू-
संतों में नाराजगी फैल गयी।
कलेक्टर ने दिये जांच के आदेश
नाराज संत प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर आशीष वशिष्ठ को घटना की
जानकारी देते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए मूर्तियों की बेकद्री, तोडफोड मामले की विधिवत सूक्ष्म जांच और दोषियों के विरुद्ध सख्त
कार्यवाही की मांग की। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिये
एसडीएम पुष्पराजगढ तथा वन विभाग के अधिकारियों की दो अलग - अलग टीम गठित कर
अमरकंटक भेजा गया।
अधिकारियों की दो टीम मौके पर
शिकायत प्राप्त होने के अगले ही कलेक्टर के निर्देश पर डीएफओ
अनूपपुर, एसडीएम, एसडीओपी, तहसीलदार
पुष्पराजगढ, नगर निरीक्षक
अमरकंटक सहित अधिकारियों की दो टीमों ने घटना स्थल का अवलोकन करके साधू संतों के
साथ एक बैठक की है। बैठक में यहाँ के प्रमुख आश्रमों के संत, नर्मदा मन्दिर के प्रमुख पुजारी गण, रुद्र गंगा आश्रम के लोग तथा अधिकारियों के साथ अन्य लोगों ने
हिस्सा लिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में अमरकंटक के साधू संतों
ने अतिक्रमण विरोधी कार्यवाही के नाम पर डेढ सौ साल पुराने आश्रम को तोड़ने, मूर्तियों के साथ अपमानजनक व्यवहार और उन्हे क्षतिग्रस्त करने को
लेकर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की। बैठक
में संतो ने कहा कि बारबार ऐसी हरकत अमरकंटक में में ही क्यों हो रहीं हैं।
दण्डात्मक कार्यवाही की मांग
पत्र के माध्यम से मांग की गयी है कि उक्त घृणित कार्य करने वाले
व्यक्ति के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाए। रुद्र गंगा आश्रम को पुन: स्थापित
किया जाए। मन्दिर परिसर में तोड़ फोड़ के दौरान मूर्तियाँ, आभूषण, सामग्रियां वापस की
जाएं। मन्दिर परिसर की बाऊण्ड्रीवाल, परिक्रमा वासियों के लिये आश्रय स्थल, शौचालय का निर्माण किया जाए। मन्दिर पुनर्निर्माण के बाद माता जी
की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा की जाए। मन्दिर परिसर पहुंच मार्ग, विद्युत, जल व्यवस्था की
जाए। भृगुकमंडल में भी जो कार्यवाही की गयी है उसे भी संज्ञान में लेकर कार्यवाही
हो तथा मन्दिर परिसर निर्माण की तिथि सुनिश्चित की जाए। स्थानीय साधू संतों, विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य हिन्दू वादी संगठनों ने भविष्य में ऐसे किसी आपत्ति जनक
कार्यवाही की पुनरावृत्ति को रोकने की मांग की है। मामले का महत्वपूर्ण पक्ष यह
जरुर था कि कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने सक्षम सुनवाई कर, अधिकारियों की दो अलग - अलग जांच टीम गठित करके त्वरित संवेदनशील
कार्यवाही करके लोगों के गुस्से को शांत करने का कार्य किया है।
इको फ्रेण्डली मन्दिर का निर्माण
जानकारी अनुसार शनिवार से वहाँ पुनर्निर्माण का कार्य प्रांरेभ हो चुका
है जहां इको फ्रेण्डली मन्दिर का निर्माण करवा कर पूरे विधिविधान के साथ मूर्तियों
की प्राण प्रतिष्ठा करवाने की तैयारी की जा रहीं है। पक्के कंक्रीट के किसी भी
स्ट्रक्चर के निर्माण से परहेज किया जाएगा। इसके साथ भी सभी सामान, गहने आदि वापस किये जाएगे और जांच में दोषी व्यक्ति/ व्यक्तियों के
विरुद्ध नियमत: कार्यवाही की जाएगी।
अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
कहा जा रहा है कि मामला मुख्यमंत्री की निगरानी में होने के कारण
जांच और कार्यवाही लापरवाही होने पर डीएफओ सहित पुलिस, वन और राजस्व के कुछ अधिकारियों पर शीघ्र गाज गिर सकती है। वहीं
दूसरी ओर अमरकंटक के वन क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित
किया है।
एसडीएम पुष्पराजगढ शिवेन्द्र सिंह बघेल ने बताया कि जांच जारी हैं
अभी कुछ नहीं बताया जा सकता हैं। संतजी के रहने की व्यवस्था बनाई जा रहीं हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें