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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजन का फल धरहरकला के सिद्ध श्रीगणेश के दर्शन बाद होता है पूरा

प्रतिवर्ष बढ़ती है स्वयंभू श्रीगणेश प्रतिमा की आकृति, प्राचीन गणेश की पूजा करने दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु अनूपपुर। जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद अंतर्गत स्थित ग्राम धरहरकला में स्थापित प्राचीन श्रीगणेश प्रतिमा लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा करने का फल भक्तों को तभी मिलता है जब वे धरहरकला के सिद्घ श्री गणेश आश्रम में जाकर शिव पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां गणेश की पूजा अराधना करने आने वाले भक्त कभी निराश नहीं हुए हैं। कल्चुरी कालीन श्री गणेश की यह मूर्ति दक्षिण मुखी है जो प्रतिवर्ष अपना आकार बदलती जा रही है। यह जिले की एक मात्र गणेश मंदिर है जो लोगों के आस्था का केन्द्र है। दर्शन करने दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु पुष्पराजगढ़ तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूरी स्थित ग्राम धरहर कला के घने जंगल के बीच यह प्राचीन गणेश मंदिर स्थापित है। यहां स्थापित गणेश प्रतिमा हजारों साल पुरानीब बताई जाती है। पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी, फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मिलकर मूर्ति के सुरक्षा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के आस-पास कल्चुरी कालीन शंकर, ब्रम्हा, विष्णु जी की प्रचीन मूर्तियां भी स्थापित हैं। गणेश मंदिर के पूर्व तरफ गौरी कुंड है जहां 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है। गौरी कुंड के समीप ही शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। पुरातत्व विभाग अब इस मंदिर की धरोहर को बचाने में जुटी है तथा मंदिर को भव्य बनाने का प्रयास कर रही है। बसंत पंचमी पर लगता है मेला प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर यहां मेला लगता है। यह क्षेत्रीय ग्रामीणों के आस्था का केन्द्र हैं। यहां मनोरम हरियाली का वातावरण रहता है। नैसर्गिक सौन्दर्य देख यहां आने वाला अभिभूत हो जाता है। अमरकंटक जाने वाले लोग इस मंदिर की जानकारी होने पर मुख्य रूप से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि गौरी नंदन गणेश से लोगों को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ा है। गौरी कुंड में 12 महीने रहता है शीतल जल पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी, फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मूर्ति की सुरक्षा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के आसपास भगवान शंकर, ब्रह्मा जी, विष्णुजी की कलचुरी कालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। गणेश मंदिर से पहले गौरी कुंड है। जहां 12 मास शीतल जल मौजूद रहता है। पुजारी कामता प्रसाद पांडे बताते हैं कि जब मंदिर का कायाकल्प हो रहा था तो मूर्ति के आसपास गड्ढा खोदकर कायाकल्प करना था। गड्ढे में पानी भरने के कारण मूर्ति झुक गई थी। मूर्ति को सीधा करने के लिए 20 से 25 मजदूर ने भरसक प्रयास किया, लेकिन मूर्ति सीधा नहीं कर पाए। दो दिन बाद प्रतिमा स्वत: सीधी हो गई। यह कैसे सीधी हो गई, ये किसी को नहीं पता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

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