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शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

गुरु की कृपा, सेवा,विश्वास से भावनाएं गुरु की चुंबक की तरह काम करती है- महामंडलेश्वर श्रीरामभूषण दासजी महाराज

गुरु पूर्णिमा पर्व में दूर दूर से पहुंच रहें शिष्य, गुरु भक्ति में लीन होगा अमरकंटक

अनूपपुर/अमरकंटक। जैसे सूर्य की ताप से तृप्त भूमि को वर्षा से शीतलता तथा फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है वैसे ही गुरु चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। गुरु से ज्ञान प्राप्त करना चाहियें अपने ज्ञान का अभिमान करते हुए उनके पास न जाय, उनकी परीक्षा के लिए उनसे प्रश्न पूंछ कर अपनी छुद्रता, अपना छोटापन न दिखाए बल्कि अपनी जिज्ञासा और समस्या के समाधान हेतु सवाल करें। सच्चे प्रमाणित गुरु , गुरु परंपरा में आए हुए गुरु भगवान के करुणा रूप होते है वह हमे देख हमारी स्थिति, हमारा स्तर और हमारी वंश देख समझ जाते है और हमारे समझ में आने वाली सरल भाषा व उदाहरण देकर हमे समझाते है। यहींसच्चा  गुरु होता हैं।

मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक में संतो, आश्रमों, गुरु स्थलों पर गुरु पूर्णिमा की की तैयारी जोरो पर हैं। गुरु पूजन हेतु देश के अनेक जगहों से अपने- अपने गुरुओं का आशीवर्दा लेने शिष्यों का आना प्रारंभ हो गया। आषाढ़ मास की पूर्णिमा 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जायेगी। इस दिन भगवान के अवतार तथा महाभारत के रचैता कृष्ण द्वैपायन व्यास का प्राकट्य दिवस है जिन्हे हम सभी वेद व्यास के नाम से जानते है। उन्ही के सम्मान में व्यास पूर्णिमा, गुरु पूजन के नाम से भी जानते है। इस दिन गुरु पूजन का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिराजक साधु संत एक ही स्थान पर बैठ कर ज्ञान की गंगा बहाते है, जिसे संत चातुर्मास भी कहते है।

शांति कुटी अमरकंटक के अनंतश्री विभूषित महामंडलेश्वर पूज्य संत स्वामी श्री रामभूषण दास जी महाराज बताते हैं कि भागवत गीता में भगवान कहते है तुम गुरु के पास जाकर सत्य को जानने का प्रयास करो, विनीत होकर जिज्ञासा करो और उनकी सेवा करो। अगर गुरु सेवा चाहिए तो आपको शिष्य बनना होगा। अपने आप को अनुशासित करने को तैयार हो वो ही शिष्य है। गुरु से विनीत होकर सुने व विनम्र भाव तथा सेवा और जिज्ञासा द्वारा गुरु से स्पष्ट ज्ञान प्राप्त करें। जब कोई इस तरह से अपने गुरु की कृपा व सामर्थ पर विश्वास करता है तो उनकी यह भावनाएं गुरु की चुंबक की तरह काम करती है। फिर गुरु की कृपा वर्षा थामने का नाम नही लेती है और आप पा जाते है जीवन का परम सौभाग्य, परम लक्ष्य, परम भक्ति। इसलिए कहते है भगवान की कृपा से गुरु मिलते है और जब गुरु कृपा हो जाय तो भगवान मिल जाते है। यही है गुरु की भक्ति और उनकी महिमा।

अमरकंटक के मैकल और सतपुड़ा की चोटियों पर अनेक तपस्वी, साधु, संत, गुरुजन विराजमान है। कुटिया, आश्रम, स्थान बना कर अपने भक्ति भाव में लीन है। इन्ही के द्वार पर गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर शिष्यों, भक्तो की अपार गुरु पूजन करने शिष्य पधारेंगे और कई भक्त गुरुमंत्र भी लेते है। गुरु स्थानों पर दिनभर भंडारे का आयोजन भी चलेगा।

श्रवण उपाध्याय

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