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शुक्रवार, 27 मई 2022

हमारी जबाबदारी संस्था तक दूध पहुंचाने की हैं, बाजार में ग्रहको की जिम्मेदारी नहीं- सीईओ जबलपुर दुग्ध संघ

अनूपपुर। हमारी जबाबदारी संस्थात तक दूध पहुंचाने की हैं, बाजार में ग्रहको की जिम्मेदारी नहीं यह कहना जबलपुर दुग्ध संघ के सीईओ का हैं। इन दिनों 3 जिलों में दूध को लेकर मारामारी चल रही है। शासकीय डेयरी जबलपुर दुग्ध संघ के अधिकारियों की आदूरदर्शिता और नकारेपन से दुग्ध संघ को लाखों की हानि उठानी पड़ रही है। अनूपपुर सहित उमरिया शहडोल जिलों में सांची दूध की सप्लाई पूरी तरह ठप्प है उपभोक्ता परेशान है मानो ऐसा लग रहा है जबलपुर दुग्ध संघ के अधिकारी जानबूझकर सांची दूध लोगों तक न पहुंचाकर निजी डेरियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य किया जा रहा है। लगभग 1 माह हो रहे हैं किंतु दूध की सप्लाई पूरी तरह बहाल नहीं हो पाई है। इस पर संघ के अधिकारियों का कहना है कि शासन से करार वाले स्थान जेल और चिकित्सालय में भेजने की जिम्मेदारी संघ की है किंतु उपभोक्ताओं तक दूध पहुंचे इसकी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है। सूत्रों की माने तो सिर्फ अनूपपुर जिले के जेल और चिकित्सालय मेवात 20 से 25 लीटर दूध आ रहा है इसके लिए जबलपुर से विशेष वाहन आता है। ऐसा कहीं की 9 की लकड़ी 90 का खर्चा जबलपुर दुग्ध संघ उठा रहा है। जबकि जबलपुर से निकलने वाली गाड़ी कि रास्ते में इन तीनों जिलों में दूध की आपूर्ति इन्हीं वाहनों से कराई जा सकती है। जबलपुर बैठे अधिकारियों की नाकामी से शहडोल में पूर्व वितरक पर 25 लाख से ज्यापदा का बकाया होनेका इंतजार किया। संध के अधिकारियों ने पूर्व में कमीशन लेकर आज तक दूध के लिए शहडोल में नया वितरक खड़ा किया इसके बाद 25 लाख बकाया हुआ तो होश आया तबतक बहुत देर हो चुकी थी। इस कारण पूरे क्षेत्र में दूध की आवक बंद हैं। लाखो उपभोक्ताा परेशान हैं। इसके पूर्व सांची के उत्पाद पनीर,दहीं, लस्सी् जैसे कई उत्पारद गर्मी शुरू होते ही बंद हैं। इस सम्बध में जब जबलपुर दुग्ध संघ के सीईओ दीपक शर्मा से पूछा गया तो पहले तो कहा कि आप दूसरे अधिकारी से बात करें जोर देने पर दो टूक शब्दोे में कहा कि सांची दूध ग्रहको तक पहुंचाने की जिम्मे्दारी हमारी नहीं संस्था तक की जबाबदारी हैं। लाखो की वेतन लेने जबलपुर दुग्ध संघ के अधिकारी का गैरजिम्मेहदारी भरा बयान संध को बंद करा कर ही मानेगें। सूत्रों की माने तो यह सब खेल निजी दूध कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा हैं। उनसे अपनी हिस्सेनदारी लेकर खेल खेला जा रहा हैं। इस पद पर बैठे अधिकारी की योग्यता की भी जांच होनी चाहिए।

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