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शनिवार, 7 मई 2022

बिलासपुर से नेपाल की यात्रा में निकलें शिक्षक संतोष गुप्ता, साइकिल चला दे रहे स्वस्थ भारत और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा

अबतक 15 महीने में 23 हजार किमी से अधिक नापी सड़क अनूपपुर। शिक्षक बच्चों को सिर्फ रास्ता नहीं बताते बल्कि उस मार्ग पर खुद भी चलकर दिखाते हैं, ताकि भावी पीढ़ी को यह अहसास रहे कि जिंदगी में सबकुछ संभव है। ऐसा ही काम सरकारी स्कूल के एक शिक्षक संतोष गुप्ता ने कर दिखाया है। पेट्रोल व डीजल का दाम बढ़ा तो साइकिल के प्रति जागरूक करने महज 15 महीने में 23 हजार 800 किलोमीटर सड़क को साइकिल से नाप दी है। अब ग्रीष्मकालीन अवकाश में बिलासपुर से नेपाल तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करने को उत्साहित हैं। शिक्षक अब विद्यार्थियों व युवा पीढ़ी के साथ प्रत्येक उम्र के लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। दैनिक दिनचर्या में बाजार जाने से लेकर दोस्तों, रिश्तेदारों के घर, सरकारी विभागों में भी साइकिल से ही सफर करते हैं। बिलासपुर से नेपाल की 3000 किलोमीटर की यात्रा पर निकले शिक्षक संतोष गुप्ता रात्रि विश्राम अनूपपुर में कर शनिवार की सुबह आगे की यात्रा प्रारंभ की। स्वस्थ भारत और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिए हुए 39 वर्षीय संतोष गुप्ताक ने बताया कि दैनिक जीवन में अपना हर काम साइकिल से करते हैं। छग बिलासपुर से 27 किलोमीटर दूर सरगांव स्थित शासकीय प्राथमिक शाला सल्फा में शिक्षक हैं। उन्हों ने बताया कि मुंगेलीनाका शांतिनगर अपने निवास से प्रतिदिन स्कूल आना-जाना साइकिल से करते हैं। लगातार एक साथ तीन, चार व छह सौ किलोमीटर की यात्रा तक कर चुके हैं। इसमें डोंगरगढ़ चिल्फी घाटी, सरोधा दादर, संबलपुर ओडिशा, चैतुरगढ़ और अचानकमार शामिल हैं। अब सपना है कि नेपाल के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी और भारत की स्वर्णिम चतुर्भुज नेशनल हाईवे में साइकिलिंग कर भावी पीढ़ी को जागरूक करें। उन्होंयने बताया कि इस कार्य में उनको पंकज तिवारी और नितिन छाबरिया का भरपूर सहयोग मिल रहा है जिसके कारण उनकी यात्रा संभव हुई है। उनका कहना है कि देश में पेट्रोल, डीजल और अन्य चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। इसके अलावा कोरोना महामारी ने भी कई बीमारियों को जन्म दे दिया है। इन सब का बेहतरीन उपाय साइकिल है। इसके जरिए न केवल बीमारी बल्कि आर्थिक संकट से भी बच सकते हैं। सड़क दुर्घटना व ट्रैफिक जाम से भी मुक्ति मिलेगी। सिर्फ एक दिन चलाएं साइकिल पर्यावरण बचाना है, साइकिल अपनाना है नारे के साथ वह सभी से सप्ताह में सिर्फ एक दिन लोगों को साइकिल चलाने को प्रोत्साहित करने की अपील भी कर रहे हैं। शिक्षक संतोष ने यह भी कहा कि नेपाल तक का सफर आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें कई चीजों की मदद की भी आवश्यकता है। सहयोग मिलने से उनका यह सफर और भी आसान हो जाएगा।

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