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शनिवार, 23 अप्रैल 2022

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाला समाज तालाब और गड्ढे खोदकर मटमैला पीने के पानी को मजबूर

जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के ग्राम मलरमट्टा और कुम्हनी के लोगों तक नहीं पहुंचा विकाश अनूपपुर। बिन पानी सब सून यह कहावत जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के सुदूर गांव में बसे लोगों के ऊपर सटीक बैठती है। जल जीवन मिशन जैसी पेयजल योजना सरकार लागू की हुई हैं, लेकिन जिले के दूरस्थ गांव में योजना कागजों में संचालित है। पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत अहिरगवां का मलरमट्टा और कुम्हनी पंचायत का टंगरी टोला एवं डोंगरिया गांव के लोग पानी की समस्या से जूझ रहें हैं। भीषण गर्मी में पानी का जतन जिस तरह ग्रामीण कर रहे हैं वहां जाकर समझा जा सकता हैं कि पानी का मोल यहां के देने वाले लोगों के लिए कितना महत्व रखता है। नगर और तहसील मुख्यालय क्षेत्र के गांव में बुनियादी सुविधाओं में पेयजल बड़ी समस्या नजर ना आती हो लेकिन सबसे बड़ी समस्याल गांव में है जहां के हालात बद से बद्त्तहर स्थिति में है। शासन -प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण आदिवासी ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज हैं। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले तालाब और गड्ढे खोदकर तलहटी में मटमैला पीने के पानी को मजबूर हैं।
तहसील मुख्यालय पुष्पराजगढ़ से लगभग 60 किलोमीटर दूर शहडोल के सीमावर्ती ग्राम पंचायत अहिरगंवा और कुम्हनी दोनों के पोषक गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। ग्राम पंचायत के सरपंच- सचिव या फिर यहां के जनप्रतिनिधि सभी गांव में व्याप्त जल समस्या को दूर करने कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। दोनों पंचायत के नजदीक ही जिला पंचायत अध्यक्ष का गांव चटुआ भी है फिर भी यहां के आदिवासी बहुल गांव के लोग पानी के लिए हर दिन जूझ रहे हैं। जानकारी अनुसार अहिरगवां का मलरमटका गांव और कुम्हनी पंचायत का टंगरी टोला, डोंगरिया ,नटेना,बुलहूपानी ऐसे गांव हैं जहां विलुप्त जनजाति बैगा समुदाय के लोग अधिकाधिक संख्या में रहते हैं। इसी तरह गोंड समाज के भी कई परिवार हैं। जनपद और जिले के अधिकारी कभी नहीं पहुंचते, चुनाव के समय नेताओं के चरण जरूर पड़ जाते हैं। गांव के लोग कई बार पानी की समस्या दूर करने के लिए पंचायत में गुहार लगाई किन्तुन सुनवाई नहीं हुई। गांव पानी के लिए आज भी जद्दोजहद कर रहा है। सरकार द्वारा डिजिटल भारत की जो बात कही जा रही है इन गांव में पानी की भयावहता देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुदूर गांव में लोगों की समस्या से सरकार और जनप्रतिनिधियों का कोई सरोकार नहीं रह गया है। तालाब के किनारे गड्ढा खोदकर खोजा जाता पानीः ग्राम पंचायत अहिरगवां के मलरमट्ठा गांव जहां सैकड़ों परिवार बैगा जनजाति का है। सूखने की कगार पर झटुआ तालाब में गांव की महिलाएं किनारे पानी के लिए बनाए गए गड्ढे में उतर कर कटोरी से पानी एक- एक बूंद बर्तन में एकत्र करती हैं। घंटों की मेहनत का पानी भी मटमैला रहता है लेकिन प्यास बुझाने और भोजन बनाने के लिए यही पानी उपयोग में करते हैं। महिलाओं के सामने समस्या यह है कि कुछ ही दिन में गड्ढे का पानी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। वहीं तालाब में ठहरे हुए पानी का भी इस्तेमाल घरेलू कार्य के लिए करतें हैं। ग्रामीण कन्हई सिंह ने बताया कि टिकरा में उनका गांव है कुछ लोग मलरमट्टा से 2 किलोमीटर से अधिक दूरी तरेरा नाला से दोपहर को पानी लाते हैं। गांव के लोगों का अधिकांश समय पानी में ही व्यतीत हो जाता है। यहां पानी के लिए एक हैंडपंप है जो कि जलस्तर गिरने और खराबी के चलते पिछले 2 वर्ष से बंद पड़ा हुआ है। सरपंच सचिव को जानकारी है फिर भी सुधार नहीं कराया गया। टंगरीटोला और डोंगरिया की प्यास जोहिला भी नहीं बुझा पा रहीः कुम्हनी ग्राम पंचायत भी पानी की समस्या से घिरा हुआ है। यहां के टंगरी टोला,डोंगरिया, कछरा टोला, आमपानी, बुलहूपानी के लोग मलरमट्टा की तरह पानी के लिए परेशान है। छोटे-छोटे झिरिया से पानी लाया जाता है। टंगरीटोला गांव मलरमट्टा से जुड़ा हुआ है यहां के तालाब भी सूख गए हैं और हैंडपंप नहीं है। नजदीक ही डोंगरिया टोला गांव है जो जोहिला नदी से भी पानी की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं नदी में पानी कुछ-कुछ जगह पर है नदी सूखी हुई है। लोग रोज पानी के लिए उमडते हैं अप्रैल माह में ही पानी की किल्लत हो गई है ग्रामीण परेशान है कि मई और जून के माह में क्या हालत होगी पानी कहां से मिलेगा। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ आर पी त्रिपाठी का कहना हैं कि इन गांव में टीम भेजी जा रही है जो यहां के पेयजल समस्या की स्थिति का आंकलन करेगी। इंजीनियर पंचायत सचिव के माध्यम से जानकारी लेकर पेयजल व्यवस्था बनाई जाएगी। अध्यक्ष जिला पंचायत अनूपपुर रूपमती सिंह का कहना हैं कि मेरे गृह क्षेत्र के इन गांवों में पानी की बड़ी समस्या है। जोहिला नदी में स्टॉप डेम बनवा कर पानी रोकने की पहल अच्छी रहेगी और पिपरहा गांव जहां का जलस्तर अच्छा है वहां से पेयजल समस्या वाले गांव में पानी पहुंचाने का कार्य किया जा सकता है। जिला पंचायत की बैठक में क्षेत्र की पेयजल समस्या को रख चुकी हूं फिर से प्रयास करूंगी कि जल्द से जल्द यहां कोई प्रस्ताव तैयार हो।

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