हलचल अनूपपुर से साक्षत्कार में कई विषयो पर रखे विचार
अनूपपुर। यह प्रोजेक्ट शिक्षित बेरोजगारों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है,
जिसमें
सभी वर्गो का ध्यान रखा गया है। परियोजना के दो भाग जिसमें अनुसंधान और विकास तथा
दूसरा उद्यमिता प्रशिक्षण है। परियोजना में ज्ञान के माध्यम से पूरी दुनिया में
भारत को समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देगा, उद्यमिता
स्थापित कर अलग-अलग क्षेत्रों के लिए उद्योग शुरू करवाएं जाएंगे। 15
हजार उत्पादों को अनेक उद्यमों को स्थापित कर इन्हे निर्मित किए जाने की संभावना
है। विकास की संभावना सभी जगह होती है, बस विकास की दिशा होना चाहिए और
वह दिशा वहां तक पहुंचनी चाहिए। उक्त आशय का विचार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय
विश्वविद्यालय अमरकंटक में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी
मंत्रालय द्वारा परियोजना के लिए 395 लाख रूपए के बजट एवं 31
पदों के साथ अनुमोदित किए जाने पर कुलपति श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने गुरूवार को हलचल
अनूपपुर को दिये साक्षत्कार में कही।
कुलपति ने
बताया कि इस योजना से क्षेत्र के लोगो को लाभ होगा, विशेष कर
कृषि क्षेत्र है जो दुनिया को कोरोना आपदा से बचाकर रखा है,कोरोना आपदा
के समय किसी ने दुनिया को संभाल कर रखा है, वह है कृषि
क्षेत्र, आपदा के समय उद्योग खत्म हो गए, लोग
सुख-सुविधाओं से दूर हो गए, लेकिन इस बीच अन्न ने हमारा काम किया।
इस कारण चिकित्सको के सामान ही किसानो को देव के रूप में देखा जाता है यह योजना
अन्नदाताओं के लिए अच्छी है। उन्होने बताया परियोजना प्रमुख डॉ. विकास सिंह 395 लाख
के इस परियोजना को लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। इससे 6 राज्य
लाभान्वित होगे। जिसमें मध्य प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र,
उत्तरप्रदेश,
झारखंड
एवं बिहार है। इस योजना का आधारभूत सिद्धांत, संरचना व
लक्ष्य पूरे देश के लिए है, सभी किसानो, नवजवानों,
शिक्षको,
बेरोजगारों
के लिए है। इस योजना में भारत सरकार के साथ मिलकर प्रशिक्षण का कार्यक्रम है लघु,
सूक्ष्म
और माध्यम श्रेणी के और उन उद्योगो को सांचालित करने के लिए जो ऑनलाइन
राजिस्ट्रेशन के साथ उनको प्रशिक्षण देना है उसके लिए आवश्यक है कि किसी कंपनी के
साथ उसका अनुबंध होना, प्रशिक्षण के बाद ऋण दिलाने की व्यवस्था
है, सरकार
की तरफ से अनुबंध है और इससे स्किल डेवलपमेंट कार्य हो, मेड इन
इंडिया, समर्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के
लिए योजना बनाई गई है।
उन्होने कहा
आसपास का परिवेश में उत्पन्न वनस्पती और उसकी जड़ औषधीय न हो। हम जिस क्षेत्र में
रहते है यहां कंद मूल का बहुत ज्यादा विधान है, कंद को हम इस
तरह से विकसित करे जो अन्न का विकल्प तो बन बने लेकिन ह्यूमिनीटी पावर बढ़ सके।
बहुत से ऐसे कंदमूल है जिसे खाने भूख प्यास नही लगती लेकिन ऊर्जा पर्याप्त मिलती
है, इस
परियोजना का उद्देश्य लोगो को समर्थ बनाना है। वहीं राष्ट्र आगे जाएगा जिसके पास
ज्ञान की विपुल संपदा हो। हमारे सारे ज्ञान को बढ़ाने और समृद्ध के लिए हो रहे है।
ज्ञान के क्षेत्र में हिन्दुस्तान महाशक्ति के रूप स्थापित हो इसके लिए हम
अनुसंधान पर सबसे ज्यादा बल दे रहे है। शीघ्र ही हिन्दुस्तान दुनिया का सुपर नॉलेज
ऑफ पावर बनेगा और इसमें हमारे विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
कुलपति ने
बताया कि आने वाला समय कुछ विलुप्त फसलीय प्राजातीय का होगा, अमरकंटक
क्षेत्र में अनेक प्रकार के अदरक का उत्पादन होता है, यहां अनोखा
क्षेत्र है जहां 36 प्रकार की साग होती है। यह अकेला क्षेत्र है जहां वृक्ष के
ऊपर साग होती है और पत्तियां साग के रूप में खाई जाती है जो अत्याधिक स्वादिष्ट भी
और पौष्टिक भी रही। इसका अंतराष्ट्रीय स्तर पर हम विपणन और विस्तार का प्रयास
करेंगे। संरक्षण और संवर्धन हो यह भी हमारी योजना है, हम क्रमश: इस
परियोजना का विस्तार करेगें। प्रशिक्षण और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला आगे और
क्या-क्या जोड़ सकते है, योजना राष्ट्रीय है और कलांतर में इसे
वैश्विक बनाना है। प्रधानमंत्री का संकल्प है कि लोकल को ग्लोबल बनाएगे यह सब
योजना इसके अंतर्गत है। मुझे पूरा विश्वास है कि योजना सफल होगी बहुत से लोगो को
रोजगार मिलेगा, विश्वविद्यालय से पढ़कर जो विद्यार्थी यहां से निकले जिन्हे
आजीविका को बेहतरीन साधन नही मिला है उन्हे उद्यमता का साधन मिलेगा और समर्थ
राष्ट्र बनाने की दिशा में छोटा ही लेकिन महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएगें।
कुलपति ने
बताया कि मेरा दृष्टिकोण विश्वविद्यालय में दो योजनाएं लेकर है जिसमें आदिवासी
समुदाय का राष्ट्रीय और अंतरराष्टीय सम्मेलन कराना जिसमे पूरी दुनिया में आदिवासी
समुदाय के प्रतिनिधि आएगें। समुदाय विशेष के लिए विकास की आधुनिक धारा उन तक
पहुंचनी चाहिए। विकास का सबसे पहला सोपान विशेष शिक्षा होता है, शिक्षा
के माध्यम से चमत्कारी परिवर्तन इस क्षेत्र के लिए हो, यहां के लोगो
के लिए हो यह देखना ध्येय है। गुणवत्तापरक अनुसंधान कार्य हो, विद्यार्थी
जीवन के कई क्षेत्रो कला, संस्कृति, ज्ञान,
विज्ञान
एवं अध्यात्म जहां भी जाएं शिक्षा का नाम करे, राष्ट्र का
नाम करे और क्षेत्र का नाम करे। इस दौरान परियोजना के अध्यक्ष प्रो.ए.के. शुक्ला,
परियोजना
प्रमुख डॉ. विकास सिंह एवं जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. मनीषा शर्मा रही।