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बुधवार, 20 जनवरी 2021

विभिन्न संस्थानों के बैनर,पोस्टर अन्य प्रचार सामग्री से हरे भरे पेड़ों को नुकशान,नियमों का उल्लधं


पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान युवा संघ ने चलाया अभियान

अनूपपुर प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया गया सबसे मूल्यवान उपहारों में से एक पर्यावरण (वन) आदिकाल से प्रकृति की उपासना भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे,पेड़- पौधे, जल व जीव संरक्षण की वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित रही है। शासन पर्यावरण संरक्षण के तहत विभिन्न कार्यक्रम चला रही हैं। वहीं दूसरी ओर पेड़ व प्रकृति के साथ हो रहे दोहन को नजरंदाज कर मनुष्य स्वार्थपरता को साबित कर रहे हैं। सड़क के किनारे हरे भरे पेड़ों पर विभिन्न संस्थानों के बैनर, पोस्टर व अन्य प्रचार सामग्री पेड़ों में बड़ी-बड़ी कीले लगाकर नुकसान पहुंचा रहे है। जबकि पेड़ों पर कील लगा पोस्टर लगाना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का सीधा उल्लंघन हैं। इसके लिए जनजातीय कल्याण के साथ नर्मदा व पर्यावरण संरक्षण के लिये कार्य करने वाली संस्था प्रणाम नर्मदा युवा संघ ने इसके सरंक्षण के लिए अभियान चलाया हैं।

युवा संघ ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि राष्ट्रिय हरित कोर अधिनियम 2013 के अनुसार पेड़ों पर बैनर, पोस्टर का प्रयोग करना अपराध की श्रेणी में आता है, साथ ही यह अमानवीय हैं। सभी नियमों के बावजूद भी इसका उलंघन सरेआम हो रहा हैं और प्रशासन अंजान बना हैं। एक शोध के अनुसार यह साबित हो गया हैं कि पेड़ - पौधे में भी जान होती है। पेड़-पौधों को भी उतना ही दर्द होता है जितना एक जीव को चोट लगने पर होती हैं, इसके बावजूद स्वार्थ के लिए बड़ी बेरहमी से पेड़ों पर कील लगाकर बैनर, पोस्टर का प्रयोग होता हैं। पेड़ों को दर्द देकर ना केवल हम जंगल को नुकसान नहीं पहुंचा रहे वरन्  प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे इस पृथ्वी पर निवास करने वाले हर उस प्राणी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जिनकी सांसें इस सुंदर सी प्रकृति पर निर्भर हैं।

युवा संघ ने बताया कि विगत दिनों में पेड़-पौधों का दोहन कर के अपने पर्यावरण का संतुलन को बिगाड़ रहें हैं। जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से जूझ रहा है इसका सिर्फ कारण पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने के नतीजा है। मौसम में तेजी से बदलाव,जलवायु परिवर्तन इसमें संतुलन ना होना इन सभी का कारण सिर्फ और सिर्फ प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना है।

युवा संघ ने बताया कि पेड़ों पर बैनर, पोस्टर लगाना लोगो को आम बात लगती है। अमरकंटक वनीय क्षेत्र के साथ सभी जगह पेड़ों में बैनर,पोस्टर दिख जाते है। साल 1901 में 10 मई को भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने साबित कर दिया था कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। 1901 में ये सच सब को पता चल गया था मगर यह सब जान कर भी हम उन्हें बेजान समझ कर इन खूबसूरत से पेड़- पौधे पर हम अत्याचार कर रहे है। हर दिन,हर पल उन्हें चोट ओर दर्द पहुंचा रहे है। उनके तकलीफ से खुद को अनजान बना कर रखे है।

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