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सोमवार, 25 जनवरी 2021

अवैध उत्खनन से नदियों की सीना हो रही छलनी,नाकों पर ठेकेदार का कब्जा


रेत के बैरियर लगने से कीमतों में बढ़ोत्तरी,
मिडिया की हिस्सेदारी में प्रशासन और पुलिस से तालमेल

अनूपपुर प्रति वर्ष नदियों की सरंक्षण में शासन द्वारा बनाए गए नियम कानून अब रेत माफियाओं के लिए कोरा कानून बनकर रह गया है। राजनीतिक संरक्षण में रेत माफियाओं के हौसले और पुलिस दरियादिली कार्रवाई ने रेत उत्खनन और परिवहन को सबसे बड़ा व सरल कारोबार बना दिया है। परिणामस्वरूप जिला मुख्यालय अनूपपुर से गुजरी सोननदी भी मुख्यालय व सटे चचाई व जैतहरी क्षेत्रों में सुरक्षित नहीं बची है। खदान की आड़ में दिन रात रेत का अवैध उत्खनन किया जारी है। आलम यह है कि प्रशासन द्वारा रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर रोक लगाने प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में बनाए गए 6 जांच नाकों के बाद भी नदियों से रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के काम पर अंकुश नहीं लग सका है। जबकि रेत के बैरियर लगने से कीमतों एक से डेंढ़ हजार की बढ़ोत्तरी हो गई हैं।

सोन, तिपान, चंदास, केवई, गोडारू, अलान सहित अन्य नदियों से रेत अवैध तरीके से निकाले जा रहे हैं। जिसमें रेत माफियाओं के लिए सोन, तिपान और केवई नदी मुख्य रेत उत्खनन का अड्डा बन गया है, जहां दिन और रात नदियों की सीना छलनी कर रेत का उत्खनन किया जा रहा है। इनमें शासन द्वारा नर्मदा को छोड़कर अन्य नदियों में मशीन के माध्यम से भी रेत खनन की दी गई अनुमति में नदियों से रेत का दोहन तेजी से हो रहा है। लेकिन आश्चर्य रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन में कार्रवाई एक भी नहीं हो रही है।

जैतहरी व भालूमाड़ा क्षेत्रों में अवैध कारोबार में अग्रणी

जैतहरी विकासखंड की तिपान नदी के बलबहरा, सिवनी, गोबरी घाट,सेंदुरी, बघहा, कछरा, राजेन्द्रग्राम पहुंच मार्ग के घाटों से चौंबीसों घंटों लगातार ट्रेक्टर ट्राली व हाइवा वाहनों से रेत का परिवहन किया जा रहा है। वहीं रात के अंधेरे में इन रेतों के उत्खनन में जेसीबी मशीन का भी उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा चोलना, छातापटपर, रोहिला कछार, महुदा से भी अवैध रेत का उत्खनन किया जा रहा है। जबकि भालूमाड़ा क्षेत्र की केवई नदी में पसान रेत खदान, सोननदी के पोंडीघाट, चोलना, गोडारू नदी में दैखल, हरद, बदरा पुल क्षेत्र हैं। वहीं कोतमा के केवईनदी में जमड़ी घाट, पिपरियानाला, चेंगरीघाट, जोगीटोला, बेलियाघाट,  बरनी नदी में निगवानी, खोडरी, उरतान जैसे क्षेत्रों में रेत का अवैध कारोबार संचालित है।

बदले नियम से रेत उत्खनन आसान

पूर्व में नदियों से मशीन से रेत निकासी पर पाबंदी थी, वहीं एनजीटी ने 5 हेक्टेयर से कम रकबे की रेत खदानों पर प्रतिबंध लगा रखा था। लेकिन अब नियमों की फेरबदल में 4 हेक्टेयर के रकबे वाले खदान भी उत्खनन के लिए उपलब्ध करा दिए गए हैं। वहीं नर्मदा नदी को छोड़कर अन्य नदियों में मशीनों से भी उत्खनन की अनुमति देकर रेत माफियाओं के काम और आसान बना दिया है। यही कारण है कि अनूपपुर के सीतापुर रेत खदान दो साल बाद अब फिर से रेत खदान में तब्दील हो गई है।

कार्रवाई बन रही दिखावा

हाल के दिनों में रेत के अवैध खनन और परिवहन पर कार्रवाई के लिए पहुंचे वनविभाग टीम के साथ रेत माफियाओं ने मारपीट कर ट्रैक्टर को छुड़ा भागे। जिसमें घायल डिप्टी रेंजर और आरक्षक द्वारा दर्ज कराए गए शिकायत के बाद पुलिस सप्ताहभर बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस की इस दिखावटी कार्रवाई से रेत माफियाओं में पुलिस और विभागीय कार्रवाई का कोई खौफ नहीं रह गया है।

रेत के बैरियर लगने से कीमतों में बढ़ोत्तरी

कलेक्टर के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में बनाए गए 6 जांच नाके बनाये गयें जहां सिर्फ ठेकेदार के लोग ही रहतें हैं जिन लोंगो की तैनाती की गई हैं शिवाय उनके सभी लोग जांच के लिए बैठे हैं। जांच नाके बनने से उपभोक्ताओं को की जेब और अधिक ढीली होने लगी हैं। पहले एक गाड़ी 3 हजार में आती थी अब 4 से साढ़े चार हजार रुपए की हो गई। इसके बाद भी नदियों से रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के काम पर अंकुश नहीं लग सका है।

मिडिया की संलिप्ता

रेत के करोबार में मिडिया की भी हिस्सेदारी हो गई हैं अब बराबर के हिस्सेदार बनें हैं। सोनमौहरी खदान में मिडिया पार्टनर चला रहें हैं और लीज की छोड़ दूसरे स्थान से अवैध उत्खनन की शिकायतें मिली हैं। इतना ही नहीं एक बड़े बैनर की हिस्सेदारी प्रशासन और पुलिस के साथ मिडिया साथियों के बीच तालमेल बनाने की हैं।

जिला खानिज अधिकारी पीपी राय का कहना हैं कि जिले में अवैंध उत्खनन पर समय-समय में कार्यवाई होती हैं। अइ तो जांच नाका बनाया गया हैं जहां से निकलने वाले प्रत्येक गाडिय़ों की जांच होती हैं।

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