फाईले अधिकारियों के आलमारियों में दबी
अनूपपुर। प्रदेश में स्कूली छात्र-छात्राओं के प्रति बढ़ रहे अपराध
के मद्देनजर वर्ष 2017 में शासन ने समस्त छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के
आदेश जारी किए थे। साथ ही समस्त छात्रावासों में कार्यरत अधीक्षकों व
छात्र-छात्राओं की उपस्थिति थम्ब इम्प्रेशन मशीन के माध्यम से दर्ज कराने की बात
कही थी, ताकि छात्रावासों में
उपस्थित छात्रों व कार्यरत अधीक्षकों की वास्तविक जानकारी विभाग को उपलब्ध हो सके।
इसके अलावा किसी छात्रावास में घटित होने वाली घटना के सम्बंध में जरूरत के अनुसार
उसकी मॉनीटरिंग भी किया जा सके। विभागीय उदासीनता और जिला प्रशासन की अनदेखी
में जिले में संचालित 105 छात्रावास व आश्रमों में एक भी कैमरा लगाने की कार्रवाई
नहीं हो सकी है। छात्रावास व आश्रमों में शिक्षारत्त छात्र-छात्राओं की सुरक्षा से
आदिवासी विभाग खिलवाड़ कर रहा है। इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी के अधीनस्थ
संचालित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल की चारो विकासखंड अनूपपुर, कोतमा,जैतहरी और पुष्पराजगढ़ के छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे तो लगाए गए है,
लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा
छात्रावास की वास्तविकताओं की आज तक जांच पड़ताल नहीं की। छात्रावास में उपस्थित
अधीक्षकों व बच्चों की उपस्थिति का आजतक सही आंकलन विभाग द्वारा नहीं किया गया।
सादे कागजों पर छात्रावास अधिक्षको द्वारा जो जानकारी भेजी गई, विभाग ने उसे ही सही मान कर बैठ जाता है।
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में आदिवासी विभाग की अधीनस्थ 50 सीटर अनुसूचित
जनजाति 30 आश्रम संचालित है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति की 50 सीटा की 9 जूनियर
छात्रावास, अनुसूचित जनजाति
उत्कृष्ट की 8 छात्रावास, अनुसूचित
जनजाति सीनियर की 50 सीटों वाली 32 छात्रावास, अनुसूचित जनजाति महाविद्यालय स्तर की 50 सीटों वाली 4
छात्रावास, 210 सीटों वाली
एकलव्य आवासीय की 2 छात्रावास, अनुसूचित
जनजाति की 100-100 सीटो वाली दो क्रीड़ा परिसर छात्रावास, अनुसूचित जनजाति की 490 सीटों वाली तीन शिक्षा परिसर
छात्रावास। जबकि अनुसूचित जाति की 50 सीटो वाली 5 जूनियर छात्रावास, अनुसूचित जाति की 50 सीटो वाली 8 सीनियर
छात्रावास तथा अनुसूचित जाति महाविद्यालय की 50 सीटो वाली 2 छात्रावास संचालित
हैं।
विभागीय जानकारो का मानना है कि इन
छात्रावासों में दूर-दराज ग्रामीण अंचल के छात्र-छात्राएं अध्ययनरत होती है। जिनकी
सुरक्षा और छात्रावास की गतिविधियों पर निगरानी के लिए शासन ने प्रत्येक छात्रावास
के सामने और पिछले हिस्से में एक-एक सीसीटीवी कैमरा लगाने के आदेश जारी किए थे।
इसके लिए शासन स्तर पर प्रत्येक छात्रावास के लिए 15 हजार रूपए की राशि भी
प्रस्तावित की थी। जिसमें शुरूआती समय विभाग ने कम बजट की बात कह सीसीटीवी कैमरे
लगाने से दूरी बना ली। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि सीसीटीवी कैमरे वर्तमान
में छात्रावासों की गतिविधियों के लिए आवश्यक है। संचालित छात्रावासों में अधिकांश
छात्रावासों में रात के समय महिला अधीक्षिकाएं उपस्थित नही होती, भृत्य या रसोईयां के भरोसे पूरा छात्रावास
रहता है। कुछ छात्रावासों से लगातार खाना और अन्य गतिविधियों की शिकायतें भी मिलती
है, लेकिन सीसीटीवी कैमरे की कमी
और मॉनीटरिंग के अभाव में दोषी सीधे तौर पर बच निकलते हैं।
इनका कहना है
छात्रावासों से कुछ शिकायतें मिलती रहती है।
सीसीटीवी कैमरे के प्रस्ताव के लिए जिपं सीईओ कार्यालय फाइल भेजी गई थी। कैमरे लगाने
की प्रक्रिया में जुटा हूं।
डीएस राव, सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग अनूपपुर।