भाजपा हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रहीं,नगर सत्ता में देगी परिवार को देगी टिकिट
अनूपपुर। विधानसभा उपचुनाव के बाद आयोग ने स्थानीय निकाय के चुनाव कराने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है इसके लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के भावी उम्मीदवारों ने इसके लिए अपनी तैयारियां प्रारंभ कर दी है अपने सामाजिक संगठन के माध्यम से राजनीतिक संगठन में दबाव बनाने के लिए बैठक कर अपना वर्चव जमाने की कोशिश कर रहें हैं।
भाजपा से एक बार फिर15 वर्षों तक नगर पालिका की कुर्सी पर काबिज रहे बुजुर्ग नेता ने सामाजिक संगठन के सहारे पार्टी में दबाव बनाने के लिए अपने गुर्गों के साथ बैठक कर रणनीति बना रहे हैं। जब पार्टी ने इनके कहने पर पिछली बार टिकिट दिया था और पराजय का मुख देखने को मिला इससे पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी।
नगर विकाश के लिए नये चेहरे से नये विकाश की ओर अग्रसर होना चहिये। भाजपा हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रहीं हैं ऐसे में अगर 15 वर्ष नगर सत्ता का सुख भोगने वाले पर भरोसा करती हैं तो फिर पुराना इतिहास दोहराना पड़ सकता हैं। पार्टी को नये युवा चेहरे को तलाश कर नगर सत्ता की कमान देनी चाहिए।
बुजुर्ग नेता लगातार 15 वर्षों काबिल रहने के दौरान शहर का विकास दोयम दर्जे का रहा है, जहां हर वर्ष वहीं सड़क बनती और बिगड़ती थी जिससे पार्टी को बदनामी सहनी पड़ी थी। फिर नगर की कुर्सी पाने के लिए फडफ़ड़ा रहे व्यक्ति समाजिक संगठन को भी दांव लगाने से पीछे नहीं है। अगर विप्र समाज में ही अध्यक्ष की टिकिट देनी हैं तो ऐसे साफ और स्वच्छ व्यक्ति हैं जिन्हें पार्टी नगर का प्रतिनिधित्व करने का मौका दे सकती है जिसके नतीजे अच्छे आने की संभावना है। वैसे भी ऐसे बुजुर्ग नेताओं को अब सिर्फ मार्गदर्शक मंडल में रखकर सलाह ली जा सकती है अमल करना पार्टी के नेताओं व संगठन के लोगों का काम है। विधानसभा उपचुनाव में इन लोगों द्वारा की गई कारगुजारियों की चर्चा गली-गली में है ऐसे में नगर पालिका चुनाव में बुजुर्ग नेता के कहने पर परिवार को उतारना विपक्ष के लिए परिवारवाद का मुद्दा मिल सकता हैं और भाजपा के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
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