महिला अधिकार विषय पर इगांराजविवि में एक दिवसीय
राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन
अनूपपुर/अमरकटंक। आज की नारी शक्ति पूर्व से कहीं आगे दिखाई
देती है। शिक्षा के कारण महिलाओं को लेकर समाज की सोच में बदलाव हुए हैं। अब नारी
बला को टालने वाली शक्ति है। नारी शक्ति को जब भी अवसर मिला है उसने स्वयं को
साबित किया है और हर क्षेत्र में अपना परचम फहराया है। आज नारी के लिए व्यक्ति,
परिवार और समाज को सतत संवेदनशील
होने की जरूरत है। महिलाओं का सम्मान बेहद जरूरी है। नारी अस्मिता सुरक्षा को
आदर्श स्थिति तक पहुँचाने के लिए सोच में बदलाव जरूरी है। उक्त आशय का विचार
गुरूवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक की जेंडर स्टडीज
सेल तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त द्वारा आयोजित जेंडर बायस, स्टीरियोटाइपिंग, जेंडर ईक्वेलिटी एण्ड वुमेन्स राइट विषय पर एक
दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने कही।
वेबिनार के उद्घाटन सत्र में गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ. अर्चना
ठाकुर, सह-सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली तथा
मुख्य अतिथि प्रो. एंजेला गुप्ता कुलपति गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर
उपस्थित रहे।
डॉ.अर्चना ठाकुर ने महिलाओं के सतत विकास और सशक्तिकरण
के लिए आयोग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होने बताया
सक्षम पोर्टल, लड़कियों
की शिक्षा हेतु सरकार द्वारा प्रदान विभिन्न फेलोशिप तथा विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित विभिन्न पीठों के विषय एवं आयोग महिलाओं
से जुड़े हर विषय पर तत्काल संज्ञान लेता है और उनके सशक्तिकरण हेतु सतत प्रयासरत
है।
प्रो. एंजेला गुप्ता ने कहा कि आज भी महिलाओं को एक
जेंडर के रूप में देखा जाता है। महत्वपूर्ण पदों पर उनकी नियुक्ति बहुत कम है।
कोशा, अपाला आदि विदुषी
महिलाओं के उदाहरण के द्वारा कहा कि जब भी महिलाओं को मौका मिला उन्होंने स्वयं को
साबित किया।
एकेडमिक सत्र में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने संबंधित
विषय पर अपनी बात रखी। प्रो.शिखा सिंह, अंग्रेजी विभाग दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय
गोरखपुर उ.प्र. ने डीकंस्ट्रक्टिंग स्टीरियोटिपिकल विमन थ्रू लिटरेचर एण्ड सिनेमा
विषय कहा कि किस प्रकार साहित्य और फिल्मों के द्वारा महिलाओं की छवि में बदलाव
आया है।
प्रो.अलका पांडे हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग,
लखनऊ विश्वविद्यालय ने कहा कि आज
स्त्री सहना नहीं संघर्ष चाहती है। आज स्त्री नए रंग रूप, नए कलेवर में सामने आ रही है। वह अपने आर्थिक
स्वावलंबन को लेकर चिंतित है।
डॉ.शीला राय जनरल सेक्रेटरी आरएसवीपी जयपुर ने
इन्टेरोगेटिंग दि स्टीरियोटाइप विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारी परंपरा
में अर्द्धनारीश्वर की अवधारणा रही है। पुरुष और स्त्री दोनों मिलकर ही समाज का
लोककल्याणकारी स्वरूप बनाते हैं। वर्तमान समय में महिलाएँ किस प्रकार विभिन्न
प्रशासनिक पदों पर अपने दायित्वों का निर्वाह किस प्रकार कुशलतापूर्वक कर रही हैं
उस पर भी अपनी बात कही।
रश्मि दीक्षित एडवोकेट दिल्ली हाई कोर्ट ने विमेन्स
राइट विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रत्येक महिला को अपने अधिकारों के प्रति
जागरुक होने की जरूरत है। उन्होंने विभिन्न महिला विषयक कानून के संबंध में
महत्वपूर्ण जानकारी दी।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर
से वेबिनार का संयोजन प्रो.संध्या गिहर समन्वयक जेंडर स्टडीज सेल संकायाध्यक्ष,
शिक्षा संकाय द्वारा किया गया
तथा सह-समन्वयक डॉ. मनीषा शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता
एवं जनसंचार विभाग ने आभार प्रदर्शन किया।