जिलेभर में मनाया गया मकर
संक्रांति का पर्व, जगह जगह आयोजित हुआ मेला
अनूपपुर/अमरकंटक। कड़ाके की पड़ रही ठंड के बावजूद 15 जनवरी
को मकरसंक्रांति के मौक पर पवित्र स्नान और माता नर्मदा के दर्शन के लिए हजारों
श्रद्धालु अमरकंटक पहुंच कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया। सुबह से ही संक्रांत का
शुभ मुर्हूत होने के कारण श्रद्धालुओं के साथ अमरकंटक दर्शन आने वाले पर्यटकों ने
नर्मदा नदी-घाट पर पवित्र स्नान किया तथा हाथों में तिल-चावल लेकर सूर्यदेव को
अध्र्य देकर अपर्ण किया। इस मौैके पर भिक्षुओं को तिल गुड का दान कर मां नर्मदा के
दर्शन किए और परिजनों की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। स्नान के बाद पूजा अर्चना
के लिए नर्मदा सहित समस्त 27 मंदिरों में दर्शन के लिए दिनभर
श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। वहीं नर्मदा मंदिर में पूजा पाठ के लिए लोगों की
लम्बी कतार लगी रही। बताया जाता है कि संक्रांत के मौके पर अमरकंटक में 22 हजार
से अधिक लोगों ने स्नान किया तथा तिल और गुड का दान कर माता नर्मदा का पूजन अर्चन
किया। शांति कुटी अमरकंटक महामंडलेश्वर रामभूषण दासजी महाराज ने बताया कि ग्रहों
के अधिपति और आत्मा के कारक भगवान सूर्य धनु राशि की यात्रा समाप्त करके 15
जनवरी
की सुबह 4.05 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश किया। इसके मकर राशि प्रवेश करते
ही देवताओं का दिन और पितरों की राशि का शुभारम्भ हो गया। मकर संक्रांति के दिन से
उत्तरायण का प्रारम्भ होता है जो मकर संक्रांति की महत्ता को और बढ़ाता है।
संक्रांति की महत्ता को बताते हुए महामंडलेश्वर ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन
खरमास समाप्त होकर सभी शुभ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं।
मकर संक्रांति पर तीर्थ
स्नान, पूजन, जप तप, आध्यात्मिक
साधना और यज्ञ आदि का तो विशेष महत्व होता ही है पर इस दिन दिए गए दान का बड़ा
महत्व बताया गया है, इसलिए इसे अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार खाद्य पदार्थ या
वस्त्र आदि अवश्य दान करें। नर्मदा स्नान के बारे में उनका कहना है कि मां नर्मदा
का महत्व माता नर्मदा केस्मरण मात्र से एक जन्म का पाप कट जाता है। नर्मदा के
दर्शन मात्र से तीन जन्मों का पाप हनन होता है। और अगर प्राणी नर्मदा जल से स्नान
कर लेता है तो उसके एक हजार जन्मों के पाप समन (खत्म, समाप्त) हो
जाते हैं। अमरकंटक नगरपरिषद सूत्रों के अनुसार पर्यटक नदी घाटो पर पहुंच स्नान कर
रहे हैं। वाहनों की भारी संख्या देखी जा रही है। गलनभरी ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं
में अधिक उत्साह देखा जा रहा है। बाइक के साथ कार,जीप से
अधिकांश भक्तगण स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। जबकि बसों में श्रद्धालुओं की भी अपार
भीड़ बन रही है। सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिए अमरकंटक ही 250 से अधिक
जवानों को तैनात किया गया था।
वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय
स्थित सोन-तिपान संगम पर सुबह से लेकर शाम तक स्नान के साथ मेला देखने वाले
दर्शकों का तांता लगा रहा है। संगम पर आयोजित हुई दो दिनी मेले में 14 जनवरी
को ज्यादा भीड़ नहीं देखी गई। लेकिन 15 जनवरी को शुभ मुहूत्र्त पर
स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। जबकि दोपहर के समय दूर-दराज के
ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का जत्था मेला देखने उमड़ पड़ा। इसी तरह
राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, राजनगर,
बिजुरी
सहित अन्य क्षेत्रों से गुजरती नर्मदा, सोन, जुहिला,
तिपान,
केवई
सहित अन्य नदियों के नदीघाटों पर लोगों ने स्नानकर इष्टदेवों की विशेष पूजा अर्चना
की। मकरसंक्रात के अवसर पर जिले के अनेक स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया गया है।
कोतमा में बसखली, केवई बैरियल, जोगीटोला, धुरवासिन,
पथरौड़ी
सीतामढ़ी में मेले का आयोजन हुआ।
कोतमा में मकर संक्रांत पर मेला
आयोजित
14 जनवरी को मकरसंक्रांति का पर्व
बड़े ही श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया, जबकि पत्रा के हिसाब से 15 जनवरी
को इस बार मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। कोतमा के आसपास मेले का आयोजन
किया गया जिसमें बसखली, केवई, बेरियल,
जोगीटोला(गोडारीनदी),
धुरवासिन(लखनघाट),
पथरौड़ी,
सीतामणि
में मेले का आयोजन किया गया। मेले में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर मंदिरो में पूजा
अर्चना कर प्रसाद ग्रहण किया। वहीं जागृती मंच के द्वारा 15 जनवरी को
केवई नदी के किनारे पतंग उत्सव का आयोजन किया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री ने किया नर्मदा
माता का दर्शन
मकर संक्रांत के मौके पर
केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल परिवार संग अमरकंटक पहुंचे, जहां मंदिर
परिसर पहुंचकर माता नर्मदा का दर्शन कर पूजा पाठ किया। वहीं मृत्युंजय आश्रम में
जलपान कर जबलपुर के लिए प्रस्थान हुए।