शौचालय में लकड़ी-कंडे व पैरा रखने का बना साधन
अनूपपुर। जिले को शौचमुक्त बनाने के लिये प्रशासनिक स्तर पर तमाम कोशिशें जारी हैं
जिसके बाद भी शौचालय निर्माण में हितग्राही रूचि नहीं दिखा रहे हैं। शासन शौचालय
निर्माण के पश्चात हितग्राहियों को 12 हजार रुपए की अनुदान राशि भी दे रही है, फिर भी हितग्राही शौचालय बनाने के बाद इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। जिसके
कारण अब भी शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। वहीं प्रशासनिक दबाव के
कारण कई हितग्राही जल्दबाजी में शौचालय का निर्माण तो कर लिए हैं पर उसका उपयोग
नहीं किए। उसकी जगह शौचालय में लकड़ी-कंडे व पैरा रखने का साधन बनाए हुए हैं। कई
स्थानों में शौचालय तो कागजों में पूर्ण हो गया किंतु अब तक गड्ढों की स्थिति
दयनीय है। सेप्टिक टैंक न होने के कारण भी कई हितग्राही शौचालय उपयोग से वंचित
हैं। ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत पयारी क्रमांक 1 का है जहां
शौचालय तो बनाए गए किंतु शौचालय का उपयोग मात्र कुछ हितग्राही ही कर रहे हैं और
बाकी शौचालय अधर में पड़े हैं।
गड्ढे तक नहीं पर निकल गई पूरी राशि
पयारी क्रमांक 1 में पंचायत द्वारा आबादी के अनुसार लगभग 300 शौचालय पूर्ण किए गए थे और उम्मीद थी कि अगले सत्र में शौचालय निर्माण की
प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी पर शौचालय निर्माण पूर्ण नहीं हो सका। निर्माण हुए
शौचालयों में आधे परित्यक्त हो गए। वहीं आधे शौचालयों में गड्ढे भी पूर्ण नहीं हो
सके हैं। गड्ढे तो बनाए गए पर उसमें मानक के अनुसार ढलाई आदि प्रक्रिया पूर्ण नहीं
हो सकी है और राशि की निकासी हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के वार्ड
क्रमांक 5 सहित सभी वार्डो में ऐसी ही स्थिति बनी
हुई है। जिसके कारण ग्रामीण आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं। इस पर पंचायत
को ध्यान देना चाहिए था किंतु पंचायत की उदासीनता व संबंधित रोजगार सहायक द्वारा
बिना गड्ढे की स्थिति देखे ही फोटो अपलोड किया गया जिसके कारण ऐसी स्थिति बनी हुई
है।
ग्रामीणों ने मनमाने तरीके से कराया निर्माण
शौचालय निर्माण
के लिए ग्रामीणों को बार-बार कहा गया जिसके बाद भी ग्रामीण शौचालय का निर्माण
मनमाने तरीके से किए, जिसके कारण शौचालय
गुणवत्ताविहीन व अनुपयोगी होता जा रहा है। कई जगह शौचालय के दरवाजे टूटे हैं तो कई
जगह सेप्टिक टैंक का निर्माण न किए जाने से ग्रामीण उसका उपयोग लकड़ी-कंडे तथा
पैरा व अन्य सामग्री रखने के लिए कर रहे हैं। पानी की समस्या के कारण भी ग्रामीण
शौचालय पूर्ण होने के बाद भी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। वहीं शौचालय निर्माण के
बाद प्रथम व द्वितीय किश्त के द्वारा प्राप्त 12 हजार रुपए की राशि का भी ग्रामीण सदउपयोग नहीं कर सके। जिस वजह से शौचालय की
आधी-अधूरी स्थिति बनी हुई है।
समूह द्वारा कराए गए निर्माण भी गुणवत्ताहीन
शौचालय निर्माण
की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण कराए एवं जो हितग्राही आर्थिक रूप से कमजोर
हैं उन्हे शौचालय निर्माण कराए जाने के लिए ग्राम पंचायत में संचालित स्वसहायता
समूह को भी इस कार्य में लगाया गया था। किंतु संबंधित स्वसहायता समूह द्वारा घटिया
शौचालय निर्माण कराया गया जहां प्राप्त राशि को बचाने के चक्कर में समूह संचालक
द्वारा गुणवत्ताहीन शौचालय बनाया गया। जहां कई जगह गड्ढे पूर्ण नहीं हुए तो कई जगह
दीवार की छपाई व पानी टंकी का भी निर्माण नहीं कराया गया। वहीं कई शौचालय में
टायलेट सीट को भी नहीं बैठाया गया दिखावे के लिए उस स्थान पर रख दिया गया है एवं
सीमेंट में भी रेत की मात्रा ज्यादा होने से छपाई के बाद परत भी निकलने लगे हैं
जिसके कारण आज भी स्थिति लोटाप्रथा की स्थिति बनी हुई है।
इनका कहना है
हितग्राहियों
के बताए अनुसार ही शौचालय निर्माण कराए गए हैं। जनपद पंचायत द्वारा फोटो देखने के
बाद ही शौचालय निर्माण का अनुदान हितग्राही के खाते में भेजे गए हैं। सभी निर्माण
कार्य गुणवत्तापूर्ण हैं। यह हितग्राहियों की मानसिकता है कि वह शौचालय का उपयोग न
कर सामग्री रखने का कार्य कर रहे है।
के.पी.रजौरिया मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत
अनूपपुर