अनूपपुर। दिगंबर जैन धर्म का 10 दिवसीय पर्व राज पर्युषण की शुरूआत 8 सितंबर से प्रारंभ हो गया हैं। इस दौरान धार्मिक कार्यक्रम, अभिषेक शांतिधारा और आरती आयोजन हुआ। 10 दिवसीय पर्व दस धर्मों में बंटा रहता है। जिले भर में जैन समाज जैन मंदिरों में जिसके अलग अलग दिन उस विषय पर प्रवचन होंगे। प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म से प्रारंभ हो कर क्षमा वाणी पर्व पर समाप्त होता है। दूसरे दिन उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।
10 दिवसीय पर्व राज पर्युषण की शुरूआत 8 सितंबर से प्रारंभ हो गया हैं। पर्वराज पर्युषण पर्व एक महत्वपूर्ण जैन त्योहार है, जो जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार जैन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और यह आमतौर पर अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है। कोतमा के श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, श्री 1008 शांतिनाथ जिनालय, श्री 1008 महावीर दिगंबर जैन मंदिर, तीनों मंदिरों में प्रतिदिन अभिषेक, पूजन आरती, प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, संस्कृति कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में जैन धर्म के संस्कार मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। पर्वराज पर्युषण पर्व का अर्थ है "पवित्र दिनों का त्योहार" और यह त्योहार जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को मनाने और उनका पालन करने के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, जैन अनुयायी उपवास करते हैं, प्रार्थना करते हैं, और दान करते हैं
इस दौरान जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को करते याद
जैन अनुयायी उपवास करते हैं और केवल पवित्र भोजन खाते हैं। जैन अनुयायी प्रार्थना करते हैं और जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को याद करते हैं।जैन अनुयायी दान करते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं।जैन अनुयायी जैन धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझते हैं। पर्वराज पर्युषण पर्व एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो जैन धर्म के अनुयायियों को उनके धर्म के मूल सिद्धांतों को याद दिलाता है और उन्हें पवित्र जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
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